जानिए कौन है ईरान का नया सुप्रीम लीडर: मरणासन्न है अयातुल्ला अली खामेनेई, भारत के खिलाफ उगला था ज़हर

35 साल से सुप्रीम लीडर है अयातुल्ला अली खामेनेई

ईरान अयातुल्ला अली खामेनेई सुप्रीम लीडर

किसी भी दिन हो सकता है ईरान के सुप्रीम लीडर का ऐलान

ईरान (Iran) के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Ali Khamenei) लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। ऐसे में खबर है कि वह पद छोड़कर अपने बेटे मोजतबा खामेनेई (Mojtaba Khamenei) को उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। इसके लिए अयातुल्ला अली खामेनेई ने सितंबर में ही तैयारी शुरू कर दी थी और अब औपचारिक घोषणा बाकी है। हालांकि सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि अली खामेनेई की मौत हो चुकी है।

क्यों चर्चा में हैं खामेनेई:

दरअसल, अयातुल्ला अली खामेनेई के बीमार होने को लेकर लंबे समय से खबरें आती रहीं हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी सवाल किए जाते रहे हैं। ईरान में अगला सर्वोच्च नेता बनने के लिए यूं तो कई दावेदार हैं लेकिन अली खामेनेई के बेटे मोजतबा खामेनेई का नाम हमेशा ही आगे रहा है। इसके अलावा, मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि अली खामेनेई ने 26 सितंबर, 2024 को ईरान की एक्सपर्ट असेंबली की गोपनीय मीटिंग बुलाकर इसकी आधिकारिक तैयारी भी शुरू कर दी थी।

ऐसा कहा जा रहा है कि अली खामेनेई ने इस मीटिंग में ईरान की एक्सपर्ट असेंबली के 86 में से अपने भरोसेमंद 60 सदस्यों को बुलाकर ईरान का अगला सर्वोच्च नेता चुनने के लिए कहा था। इस मीटिंग में एक्सपर्ट असेंबली ने सर्वसम्मति से मोजतबा खामेनेई के नाम पर मुहर लगाई। बता दें कि ईरान में सुप्रीम लीडर यानी सर्वोच्च नेता का चयन असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स ही करती है।

ईरान में सर्वोच्च नेता बनने के लिए असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के दो-तिहाई वोट मिलना जरूरी होता है। असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स 86 मौलवियों का एक समूह है, प्रत्येक 8 वर्ष बाद इनका चुनाव होता है। असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के सदस्यों का चुनाव गार्जियन काउंसिल करती है। इस गार्जियन काउंसिल के मेंबर के चुनाव में सर्वोच्च नेता की बड़ी भूमिका होती है। अली खामेनेई बीते 35 साल से ईरान के सर्वोच्च नेता के पद पर हैं। ऐसे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने भरोसेमंद लोगों को गार्जियन काउंसिल में भर रखा है।

सोशल मीडिया में चर्चा:

अली खामेनेई को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अयातुल्ला अली खामेनेई को खाने में जहर मिलाकर दिया गया था, जिससे उनकी मौत हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि बीमारी के चलते अली खामेनेई की मौत हो गई है। हालांकि इसको लेकर ईरान की ओर से अब तक कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।

‘तेहरान के कसाई’ की मौत के बाद मजबूत हुआ मोजतबा का दावा:

ईरान के राष्ट्रपति रहे इब्राहिम रईसी की क्रूरता के चलते उन्हें ‘तेहरान का कसाई’ कहा जाता था। रईसी की इसी साल मई में हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी। रईसी की मौत में पहले इजराइल का हाथ होने का दावा किया जा रहा था। लेकिन फिर जांच के बाद ईरान ने विदेशी हाथ होने की बात से इनकार किया था। चूंकि रईसी को अली खामेनेई का उत्तराधिकारी माना जाता था। ऐसे में उनकी मौत के पीछे मोजतबा खामेनेई का हाथ होने का शक बताया जाता रहा है। दरअसल, रईसी को ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स भी पसंद करती थी। ऐसे में उनकी मौत के बाद सर्वोच्च नेता के मोजतबा खामेनेई का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है।

हिजाब आंदोलन:

ईरान में हुए हिजाब विरोधी आंदोलन को लेकर भी अली खामेनेई पर आरोप लगते रहे हैं। बेशक ईरान की सरकार राष्ट्रपति के हाथों में होती है लेकिन सरकार चलाने के लिए होने वाली कई नियुक्तियां सर्वोच्च नेता के हाथों में होती है। इसमें महिलाओं के ड्रेस कोड समेत अन्य धार्मिक चीजें लागू कराने के लिए ‘प्रमोशन ऑफ वर्च्यू एंड प्रिवेंशन ऑफ वॉइस’ के प्रमुख की नियुक्ति अली खामेनेई ने ही की थी। इसके अलावा, सर्वोच्च नेता रहते हुए अली खामेनेई ने जबरन हिजाब पहनाने के खिलाफ कोई भी बयान नहीं दिया था। ऐसे में इन सबके पीछे खामेनेई का ही हाथ माना जा रहा है।

कौन है मोजतबा खामेनेई:

ईरान का अगला सर्वोच्च नेता माना जा रहा मोजतबा खामेनेई वर्तमान सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का दूसरा बेटा है। 1969 में जन्मे मोजतबा ने कई बड़े मौलवियों की देखरेख में मजहबी पढाई की जिसके बाद वह अपने पिता की तरह मौलवी बन गया। मोजतबा आज भी ईरान के प्रसिद्ध क्यूम सेमिनरी मदरसे में पढ़ाता है। ऐसा माना जाता है कि साल 2009 में चुनाव के बाद हुए विरोध प्रदर्शन को दबाने में भी उसकी अहम भूमिका थी। इसके बाद ही उसे ईरान के सर्वोच्च नेता की संवैधानिक जरूरतें पूरी करने के लिए अयातुल्ला की उपाधि दी गई थी।

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