झारखंड में सिर्फ़ ‘डेमोग्राफी’ ही नहीं ‘डेमोक्रेसी’ भी हो रही चेंज…आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए ST महिलाओं से ‘निकाह’ का पैटर्न हुआ Expose

आरक्षित सीटों पर समुदाय विशेष का नया निकाह पैटर्न लोकतंत्र और जनजातीय अधिकारों के लिए क्यों है ख़तरनाक?

झारखंड मुस्लिम घुसपैठ

झारखंड में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों की बढ़ती घुसपैठ लंबे समय से चिंता का कारण रही है। ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि घुसपैठिए जनजातीय लड़कियों से निकाह कर उनकी जमीन पर ‘कब्जा’ कर रहे हैं और डेमोग्राफी में बड़े पैमाने पर बदलाव कर रहे हैं। अब ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है, जिसमें मुस्लिम युवकों ने स्वीकार किया है कि चुनाव लड़ने के लिए वे जनजातीय लड़कियों से निकाह कर रहे हैं।

दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच ‘ऑर्गनाइजर’ ने साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के लोगों से बात की है। इस बातचीत में मुस्लिम युवक ने आरोपों को सच बताते हुए कहा है, “यह सही बात है, साहिबगंज विधानसभा एसटी (अनुसचित जनजाति) के लिए आरक्षित है, यहां से मुस्लिम न तो समिति का चुनाव लड़ सकते हैं, न ही मुखिया का और न ही वार्ड का। इस कारण जनजातीय से निकाह करते हैं।” इस पर जब पत्रकार ने उस युवक से दोबारा पूछा कि क्या सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए जनजातीय लड़कियों से निकाह करते हैं तो उसने फिर से स्वीकार करते हुए कहा कि हां चुनाव लड़ने के उद्देश्य से ही जनजातीय लड़कियों से निकाह करते हैं।

इस दौरान वीडियो में मुस्लिम युवक ने यह भी बताया कि गांव के मुखिया और जिला परिषद अध्यक्ष का निकाह भी मुस्लिम से ही हुआ है। साथ ही यह भी बताया कि बरहेट की जिला परिषद अध्यक्ष मोनिका किस्कू का निकाह पहले उमैद अली से हुआ था। उमैद अली की मृत्यु के बाद मोनिका किस्कू का निकाह उसके छोटे भाई एजाज अली से हो गया है। वीडियो में पत्रकार ने कहा है कि अधिक जानकारी के लिए वह मोनिका किस्कू के घर गईं थीं जहां घर गईं थीं, जहां परिजनों ने बताया कि मोनिका और उनके शौहर एजाज हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम के चुनाव प्रचार में गए हुए हैं।

इसके अलावा, इस दौरान मुस्लिम युवक ने यह भी स्वीरकर किया कि जनजातीय लड़कियों से निकाह करने के बाद उनका धर्मांतरण कराया जाता है। यही नहीं उसने यह भी कहा कि बिना धर्मांतरण के जनजातीय लड़की उनके घर में नहीं रहती और धर्मांतरण करना जरूरी होता है। हालांकि उसने यह भी कहा कि धर्मांतरण जबरदस्ती से नहीं बल्कि लड़की की मर्जी से होता है।

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि मुस्लिम युवक से निकाह करने के बाद लड़की को रहना तो मुस्लिम घर में ही रहना होगा। साथ ही बिना धर्मांतरण के वह मुस्लिमों के घर में रह भी नहीं सकती, ऐसे में लड़की धर्मांतरण मर्जी से करती है या फिर मजबूरी में यह सोचने वाली बात है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ने और जनजातीय वर्ग की संख्या में कमी आने को लेकर युवक ने कहा कि मुस्लिम हम दो हमारे दो पर भरोसा नहीं रखते, वो लोग हम दो हमारे बहुत सारे की राह पर चलते हैं।

 

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