मैं लोकायुक्त के पास जाऊंगा… MUDA जमीन घोटाले में घिरे सिद्धारमैया बोले, पूरा मामला जानिए

सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती से इस मामले में 25 अक्टूबर को लोकायुक्त पुलिस ने पूछताछ की थी।

सिद्धारमैया को लोकायुक्त नोटिस

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में घिरे सीएम सिद्धारमैया को लोकायुक्त पुलिस ने समन जारी किया है। MUDA जमीन घोटाले में उनसे पूछताछ के लिए यह नोटिस दिया गया है। इससे पहले 25 अक्टूबर को सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती से लोकायुक्त ने इसी मामले में पूछताछ की थी। पार्वती भी इस मामले में आरोपी हैं। अब सिद्धारमैया बुधवार को मैसूर लोकायुक्त दफ्तर में हाजिरी देंगे। आखिर क्या है यह पूरा मामला और सिद्धारमैया कैसे इसमें घिरते चले गए?

हमने सिद्धारमैया को बुधवार सुबह बुलाया: लोकायुक्त

एक वरिष्ठ लोकायुक्त अधिकारी ने कहा, ‘हमने बुधवार सुबह उन्हें (सिद्धारमैया को) दफ्तर में बुलाया है।‘ लोकायुक्त पुलिस का नोटिस मिलने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ‘हां, मैसूर लोकायुक्त ने MUDA के संबंध में नोटिस जारी किया है। मैं 6 नवंबर को मैसूर लोकायुक्त के पास जाऊंगा।‘ लोकायुक्त पुलिस ने 27 सितंबर को सिद्धारमैया के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में उनकी पत्नी बीएम पार्वती और साले मल्लिकार्जुन स्वामी का नाम शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सिद्धारमैया समेत कई लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया है। इस मामले में नया मोड़ उस समय आया था, जब सिद्धारमैया की पत्नी ने MUDA को चिट्ठी लिखकर 14 प्लॉट लौटाने की पेशकश की थी।

MUDA जमीन घोटाला क्या है?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा कर्नाटक की एक विकास एजेंसी है। शहरी विकास को बढ़ावा, किफायती आवास मुहैया कराना और आवास का निर्माण जैसे काम यह एजेंसी करती है। विकास प्रोजेक्ट के लिए कई बार यह एजेंसी जमीन का अधिग्रहण करती है। ऐसे में मुडा ने जमीन खोने वाले लोगों के लिए 50:50 नाम की स्कीम शुरू की थी। इसमें जमीन खोने वाले लोग विकसित जमीन के 50 प्रतिशत के हकदार होते थे। यानी अगर किसी की दो एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उसे दूसरी विकसित जगह पर एक एकड़ जमीन दी जाती है। 2009 में शुरू हुई इस योजना को 2020 में बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया था। हालांकि मुडा की ओर से जमीन अधिग्रहण और आवंटन जारी रहा। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया क्यों कठघरे में हैं? आरोपों के मुताबिक मुख्यमंत्री की पत्नी बीएम पार्वती के नाम दर्ज तीन एकड़ 16 गुंटा जमीन को मुडा ने अधिग्रहित किया। इसके बदले में उन्हें 50:50 स्कीम के तहत बेशकीमती 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में स्थित यह जमीन बीएम पार्वती के नाम पर दर्ज थी। इसे उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में गिफ्ट के तौर पर दिया था। आरोप है मुडा ने बिना इस जमीन का अधिग्रहण किए देवनूर थर्ड फेज प्रोजेक्ट को डेवलप कर दिया। सिद्धारमैया की पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया और इसके बाद उन्हें मुडा ने विजयनगर 3 और 4 फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। 50:50 स्कीम के तहत कुल 38,284 वर्गफीट जमीन के आवंटन को लेकर घोटाले के आरोप हैं। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण कानून और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धाराओं के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दी थी। सीएम ने राज्यपाल के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 24 सितंबर को सिद्धारमैया की अर्जी को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

विपक्ष का क्या आरोप?

विपक्ष का कहना है कि विजयनगर में जो साइटें आवंटित की गईं, उनका बाजार भाव केसारे की जमीन से बहुत ज्यादा है। इस मामले में विपक्ष 45 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा रहा है। आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को उन इलाकों में जमीन दी गई, जहां का सर्किल रेट ज्यादा था। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मंजूनाथ स्वामी नाम के शख्स ने मैसूर के डिप्टी कमिश्नर को एक चिट्ठी लिखी। उसने सिद्धारमैया की पत्नी के नाम पर दर्ज जमीन को अपनी पैतृक संपत्ति बताया। स्वामी का आरोप है कि उसके चाचा देवराजू ने धोखे से जमीन पर कब्जा कर लिया और इसे सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन को बेच दिया। लोकायुक्त ने इस मामले में 120 बी (आपराधिक साजिश), 403 (बेईमानी से संपत्ति का दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी) समेत आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।

कैसे आया नया मोड़             

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ईसीआईआर (इन्फोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) में सिद्धारमैया पर केस दर्ज करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) की धाराएं लगाई हैं। इसके बाद सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने भूखंड लौटाने के लिए मुडा को खत लिखा है। मुडा कमिश्नर एएन रघुनंदन का कहना है, ‘सिद्धारमैया की पत्नी द्वारा 14 प्लॉट वापस करने के लिए एक खत लिखा गया है। सीएम सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र यह खत देने के लिए हमारे दफ्तर आए थे। हम इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह लेंगे।‘ उधर सिद्धारमैया ने पत्नी के खत पर हैरानी जताते हुए एक्स पर लिखा था, ‘मेरे खिलाफ सियासी साजिश से परेशान होकर मेरी पत्नी ने 14 प्लॉट लौटाने का फैसला लिया है। इससे मुझे भी हैरानी है।‘

क्या प्लॉट लौटाने से बच जाएंगे सिद्धारमैया?

एक सवाल यह है कि क्या प्लॉट लौटाने से सिद्धारमैया और उनका परिवार इस मामले में बच जाएगा? फिलहाल तो इसके आसार नहीं हैं। अगर नियमों को ताक पर रखकर कोई अनियमितता होती है, तो प्रक्रिया रद्द करना काफी नहीं होता है। इससे अपराध रद्द नहीं होता है। ईडी का काम आर्थिक अपराध की जांच करना है। ईडी ने सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ जो ईसीआईआर लगाई है, वह पुलिस एफआईआर के बराबर है। पीएमएलए के मामलों में आरोपी को कोर्ट में बेगुनाही साबित करनी होती है। ईडी इस केस में आगे ऐक्शन ले सकती है, मसलन समन के जरिए पूछताछ के लिए बुलाना। जांच के दौरान संपत्ति की कुर्की का भी ईडी के पास अधिकार है।

क्या सिद्धारमैया ने गलती मान ली?

एक सवाल उठता है कि क्या सिद्धारमैया ने गलती मान ली है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आवंटन और प्रक्रिया में पारदर्शिता अपनाई गई तो सिद्धारमैया फैमिली को किस बात का डर है? यह सवाल इसलिए भी उठता है क्योंकि सिद्धारमैया की पत्नी ने खुद चिट्ठी लिखकर मुडा को प्लॉट वापस करने की बात कही है। कर्नाटक विधानसभा में नेता विपक्ष आर अशोक ने कहा है, ‘कानूनी दबाव बढ़ने के बाद सिद्धारमैया ने अपनी पत्नी के नाम आवंटित 14 साइटों को वापस करने का फैसला लिया है। पहले सिद्धारमैया कह रहे थे कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने कुछ भी गलत नहीं किया है। अब वह अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं। क्या चोरी की गई संपत्ति लौटाने से चोर दोषमुक्त हो जाता है? चोरी का माल लौटाने से क्या चोरी अपनेआप माफ हो जाएगी? प्ल़ॉट लौटाने की बात करने से साबित होता है कि सिद्धारमैया ने गलती मान ली है। आपको अब कानून का सामना करना होगा और जब तक आपका इस्तीफा नहीं होता है, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।‘

सिद्धारमैया ने क्या सफाई दी है?  

सिद्धारमैया ने जमीन आवंटन पर बचाव में कहा है कि यह 2021 में हुआ, जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। सिद्धारमैया के कानूनी सलाहकार एएस पोन्नन्ना का दावा है कि विजयनगर में मुआवजे वाली साइट का मूल्य केसारे की जमीन से कम है। उनका कहना है कि जमीन अधिग्रहण कानून के मुताबिक पार्वती करीब 57 करोड़ रुपये की हकदार हैं, जबकि मुआवजे के रूप में मिली जमीन की कीमत महज 15 से 16 करोड़ रुपये है। मुआवजा स्थल का क्षेत्रफल 38,284 वर्गफीट है, जबकि उनकी अधिग्रहित जमीन 1,48,104 वर्गफीट क्षेत्र में थी। सिद्धारमैया ने कहा है कि उनकी जमीन को अधिग्रहित करने के बाद पार्क बनाया गया और उन्हें मुआवजे के रूप में प्लॉट दिया गया। अगर जमीन की कीमत 62 करोड़ रुपये है तो प्लॉट वापस ले लेना चाहिए और हमें उसी के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए।

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