उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे… डूबती कांग्रेस को अब ‘दलाल’ का सहारा, निवेशकों में डर फैला रहे राहुल गाँधी

NSE ने कभी सुचेता दलाल के खिलाफ 100 करोड़ रुपए का मानहानि का मामला भी दायर कराया था। सुचेता दलाल का दिल्ली के सत्ताधारी समूह में पूर्व में काफी प्रभाव रहा है।

सुचेता दलाल, राहुल गाँधी

सुचेता दलाल से NSE-L घोटाले में ED ने की थी पूछताछ

मोदी सरकार के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाने के लिए विपक्ष हर तिकड़म आजमा रहा है। चोर से कहवाया जा रहा है कि मोदी सरकार में चोरी बढ़ गई है। नेता से कंटेंट क्रिएटर बने राहुल गाँधी का वीडियो हाई क्वालिटी में शूट किए जा रहे हैं। कभी वो मोची की दुकान पर दिखते हैं, कभी किसी सैलून में तो कभी किसी गैराज में। कभी संविधान माथे पर लेकर नाचते हुए दिखाई देते हैं तो कभी अंबानी-अडानी के नाम पर लोगों को डराते हुए। अब राहुल गाँधी और कांग्रेस के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा के संवाद का एक वीडियो सामने आया है।

राहुल गाँधी-पवन खेड़ा का वीडियो, SEBI पर निशाना

लेकिन, इस वीडियो में एक बहुत बड़ा लोचा है। वो क्या है, इस बारे में हम आपको आगे बताएँगे। लेकिन, पहले जान लेते हैं कि आखिर उस वीडियो में है क्या। पवन खेड़ा इस वीडियो में कह रहे हैं कि बाजार की मौजूदा स्थिति को समझने के लिए हमें एक विशेषज्ञ की आवश्यकता है। फिर ‘विशेषज्ञ’ के रूप में सुचेता दलाल को लाया जाता है। असल में इस वीडियो के जरिए ये माहौल बनाया जा रहा है कि उद्योगपति गौतम अडानी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस की गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बैठक की।

फिर पवन खेड़ा पूछते हैं कि एक उद्योगपति सरकार बनाने-बिगाड़ने का काम कैसे कर सकती है। इसके बाद धारावी पुनर्विकास योजना को इससे जोड़ कर डर बनाया जाता है। फिर बताया जाता है कि बाजार पर इसका बुरा असर होगा। इसपर सुचेता दलाल से कहवाया जाता है, “ये बहुत गंभीर मुद्दा है, ये अच्छी बात है कि आप इसे देख रहे। भारत विश्व के शीर्ष पाँच कैपिटल मार्केट्स में आता है, ऐसे में रेगुलेटर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। किसी SEBI अध्यक्ष में ये हिम्मत नहीं होती कि वो जाँच के लिए पेश न हों, जब तक के लिए ऊपर से मौन स्वीकृति देकर ये कहा न जाए कि हम सब सँभाल लेंगे। SEBI अध्यक्ष अकेली काम नहीं कर रही हैं।”

सुचेता दलाल की एंट्री, हिंडेनबर्ग इकोसिस्टम का प्लान?

अब थोड़ा सुचेता दलाल के इस बयान के पीछे का परिप्रेक्ष्य समझ लीजिए। अमेरिका स्थित सॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडेनबर्ग अडानी समूह के खिलाफ जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट लेकर आती है। इसके बाद अडानी के शेयर जम कर गिरते हैं और हिंडेनबर्ग जम कर कमाई करती है। अडानी समूह के शेयर धड़ाम होने का जश्न केवल विदेश में स्थित भारत विरोधी शक्तियाँ ही नहीं, बल्कि देश में स्थित एक समूह भी मनाता है। इसके डेढ़ साल बाद हिंडेनबर्ग फिर से अडानी समूह के खिलाफ रिपोर्ट लेकर आता है। इस बार लोग समझदार हो चुके होते हैं, भगदड़ नहीं मचती और शेयर नहीं गिरते। फिर हिंडेनबर्ग एक और रिपोर्ट लेकर आता है, कहीं कुछ असर नहीं होता।

इसके बाद भारत विरोधी समूह, जो भारत में भी है और भारत के बाहर भी, अवाक रह गया। तो अब भारत के करोड़ों निवेशकों को डराया जा रहा है। ये तो हम देख ही चुके हैं कि भारत में विपक्षियों की पूरी की पूरी राजनीति ही डरा कर चलती है। कभी हरियाणा के पहलवानों को डराया जाता है कि तुमलोगों पर यूपी का नेता हावी है। कभी किसानों को डराया जाता है कि कृषि सुधार के लिए आए तीनों कानून किसान विरोधी हैं। कभी मुस्लिम खातूनों को डराया जाता है कि CAA के कारण उनकी नागरिकता चली जाएगी। तो कभी दलितों और जनजातीय समाज को डराया जाता है कि उनका आरक्षण छीन लिया जाएगा।

वैसे ही, अब निवेशकों को डराया जाता है। उस NSE, यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निवेशकों को, जो 2024 में एक बार या दो बार नहीं बल्कि 59 बार ‘ऑल टाइम हाई’ का रिकॉर्ड बना चुका है। भारत का बाजार आसमान छू रहा है, ऐसे में भारत को बर्बाद करने की साजिश रचने वालों को कुछ तो नकारात्मकता फैलानी होगी जिससे बाजार नीचे गिरे। क्योंकि, बाजार गिरेगा तो लोगों के पैसे डूबेंगे और पैसे डूबेंगे तो सरकार पर से भरोसा उठेगा। फिर ये विपक्ष वाले उस माहौल का फायदा उठा कर देश में आग लगाएँगे। तो अबकी SEBI चीफ माधवी पुरी बुच को इसमें घसीटा गया। हिंडेनबर्ग ने कहा कि वो अडानी से मिली हुई हैं। इसके कोई सबूत नहीं मिले। अब सुचेता दलाल से कांग्रेस कहवा रही है कि जो जितना शक्तिशाली वो वो जवाबदेही से उतना ही निश्चिंत है। सुचेता दलाल का कहना है कि वो 40 सालों से मार्केट को कवर कर रही हैं और फ़िलहाल वो काफी चिंतित हैं।

उनका कहना है कि निवेशक मीडिया में खबरें देख कर निवेश कर रहे हैं, उन्हें बाजार की कोई समझ नहीं है। उन्होंने बाजार को केवल चढ़ते हुए देखा है, गिरते हुए नहीं। फिर उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार दोषियों को बचा रही है, भारतीय बाजार की विश्वसनीयता को गिराया जा रहा है। एक तरह से कांग्रेस के इस वीडियो में माधुरी पुरी बुच और गौतम अडानी के खिलाफ लोगों को भड़काया जा रहा है। वीडियो के दौरान कैमरा आगे-पीछे होता रहता है, राहुल गाँधी को दूर से फिर जूम कर के दिखाया जाता है। खैर, अब जान लीजिए कि भारत के बाजार को लेकर ‘चिंता’ ज़ाहिर करने वाली सुचेता दलाल कौन हैं।

जिस बाजार ने 1 साल में 59 बार ‘ऑल टाइम हाई’ का रिकॉर्ड बनाया है, और इसी मोदी सरकार में इसी बाजार ने इससे पहले 2021 में 58 बार ‘ऑल टाइम हाई’ का रिकॉर्ड बनाया था – उस बाजार को बदनाम करने के मिशन में कांग्रेस के साथ निकलीं सुचेता दलाल का खुद का इतिहास ठीक नहीं है। उनके ताज़ा बयान पर ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। यहाँ तक कि 2020 और 2023 में जब 29-29 बार निफ्टी ने ‘ऑल टाइम हाई’ का रिकॉर्ड बनाया तब भी केंद्र में यही मोदी सरकार थी।

सुचेता दलाल: हर घोटाले में कहीं न कहीं से आ जाता है ये नाम

तो ये जो मैडम सुचेता दलाल हैं, उन्हें आजकल वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है। वरिष्ठ पत्रकार तो राजदीप सरदेसाई से लेकर रवीश कुमार, पुण्य प्रसून वाजपेयी और अजीत अंजुम तक हैं। अब एक घोटाले की बात करते हैं, जिसका नाम है- NSE को-लोकेशन स्कैम। जुलाई 2022 में ED और CBI ने जाँच के दौरान उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। फिर उनका बयान रिकॉर्ड भी किया गया था। इस घोटाले के व्हिसल-ब्लोअर केन फॉग ने सुचेता दलाल के साथ पत्राचार किया था, लेकिन सुचेता दलाल का कहना था कि वो जानती ही नहीं कि ये व्यक्ति कौन है। पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय की कंपनी iSec Services के साथ भी उनका नाम जुड़ा था, जिसे सुचेता दलाल ने नकार दिया था।

NSE ने कभी सुचेता दलाल के खिलाफ 100 करोड़ रुपए का मानहानि का मामला भी दायर कराया था। सुचेता दलाल का दिल्ली के सत्ताधारी समूह में पूर्व में काफी प्रभाव रहा है। 1984 में ‘फार्च्यून इंडिया’ के साथ अपना करियर शुरू करने वाली सुचेता दलाल इसके बाद ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ और ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ जैसे तमाम मीडिया संस्थानों में रहीं। आपको 1992 का हर्षद मेहता केस याद ही होगा, इस पर बनी वेब सीरीज सबने देख रखी है। इस पूरे मामले का खुलासा उन्होंने ही किया था। 2001 में केतन पारेख मामले में भी स्टॉक मार्केट स्कैम का खुलासा करने वालों में भी वो शामिल थीं, जिस कारण बाजार क्रैश हुआ। इस पर भी वेब सीरीज बन चुकी है।

हाल ही में TMC सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा अडानी को निशाना बनाने के लिए दुबई स्थित कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कैश और महँगे तोहफे लेकर संसद में सवाल पूछने का मामला सामने आया। बाद में दर्शन हीरानंदानी ने अपने बयान में बताया कि जो लोग महुआ मोइत्रा की मदद कर रहे थे उनमें सुचेता दलाल भी शामिल थीं। सुचेता दलाल ने बाद में महुआ मोइत्रा के साथ संबंधों को नकार दिया था। जबकि अक्टूबर 2023 में ट्विटर पर दोनों बातें करती हुई दिख रही हैं और महुआ मोइत्रा ने किसी सूचना को भेजने के लिए कह रही हैं और जवाब में सुचेता भी हामी भर रही हैं कि वो भेज देंगी।

महुआ मोइत्रा के साथ सुचेता दलाल की गुटर-गू

खैर, 2008 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब NSEL (नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड) का गठन किया गया था, जहाँ मैनुफ़ैक्चर और कृषि से जुड़ी वस्तुएँ साथ में बिकती थीं। यूपीए काल घोटालों का काल था और इसमें भी घोटाला हो गया। 2015 में पीड़ित निवेशकों ने मुंबई पुलिस को पत्र लिख कर बताया कि इस घोटाले में सुचेता दलाल का भी हाथ है। आखिर क्या कारण है कि भारत के बाजार में कोई भी घोटाला होता है तो उससे किसी न किसी रूप में सुचेता दलाल का नाम जुड़ता ही है? उनका नाम कहीं न कहीं से आ ही जाता है। अब राहुल गाँधी और पवन खेड़ा चाहते हैं कि इन्हीं सुचेता दलाल पर भरोसा कर के निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा वापस खींच ले? क्यों? एक ईमेल से खुलासा हुआ था कि 2012 में ही सुचेता दलाल को NSEL घोटाले के बारे में पता था, खुलासे से 15 महीने पहले।

जिस ईमेल की यहाँ बात हो रही है, उसे सुचेता दलाल ने 8 मई, 2012 को NSEL के कम्युनिकेशन विभाग को लिखा था, इसके MD जिग्नेश शाह को भी ये ईमेल भेजा गया था। जिग्नेश शाह इस घोटाले में गिरफ्तार भी हुए थे। इस ईमेल में सुचेता दलाल NSEL के लेनदेन में हुई गड़बड़ियों को लेकर बात करती हुई दिख रही हैं। यानी, उन्हें पता था कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। वहीं निवेशकों ने पुलिस को जो पत्र भेजा था, उसमें बताया गया था कि सुचेता दलाल का FTIL के संचालक जिग्नेश शाह के साथ करीबी संबंध थे। इसमें तो यहाँ तक दावा किया गया कि 2011-13 में सुचेता दलाल की कंपनी Moneylife को जिग्नेश शाह की कंपनी Tickerplant से 88 लाख रुपए मिले।

Tickerplant से सुचेता दलाल की कंपनी को मिले 88 लाख रुपए

जो हिंडेनबर्ग के मुद्दे को प्रसारित कर के अडानी को बदनाम करने की साजिश का साथ देती हों, उस पर कोई क्यों भरोसा करेगा? राजदीप सरदेसाई जैसे ‘गिद्ध पत्रकारिता’ के झंडाबरदार जिसकी तारीफ़ करते नहीं थकते हों, उस पर कोई भरोसा क्यों करेगा? भारत का बाजार यूँ ही आगे बढ़ता रहेगा, भारत में एक नहीं कई अडानी पैदा होंगे और हजार हिंडेनबर्ग मिल कर भी उनका कुछ नहीं उखाड़ पाएँगे। घोटालों के खुलासे का दावा करने वाली सुचेता दलाल जैसियों पर भरोसा कर के बाजार और निवेशक चलने लगे तो हो गया बड़ा गर्क।

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