महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, राज्य में 20 नवंबर को सभी 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी और 23 नवंबर को पता चलेगा कि महाराष्ट्र की कुर्सी पर किसका कब्जा होने जा रहा है। इस बीच सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति व विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी ने चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा दी है। किन्हीं मुद्दों के जरिए वोटों को ध्रुवीकरण किया जा रहा है तो किन्हीं के जरिए वोटों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। महाविकास अघाडी कुछ मुस्लिमों संगठनों के सहारे मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है।
इन सबके बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी ‘सजग रहो’ अभियान शुरू किया है। संघ ने हालांकि आधिकारिक रूप से इसे अपना अभियान ना बताकर स्वयंसेवकों द्वारा उनके स्तर पर चलाया जा रहा अभियान ही बताया है। इसके जरिए संघ हिंदुओं को एकजुट करने और उनको बांटने के असर को कम करने की कोशिश कर रहा है। इस अभियान को कितने बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसलिए लिए संघ के सिर्फ स्वयंसेवक ही नहीं बल्कि उसके आनुषंगिक संगठनों समेत कुल करीब 65 एनजीओ काम कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसके लिए कुछ हद तक आरएसएस की सक्रियता को भी जिम्मेदार ठहराया था।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कहा गया था कि आरएसएस उन चुनावों में उस सक्रियता के साथ नहीं जुटा जैसे उसे जुटना चाहिए था। हालांकि, इस बार संघ ने भी सबक लेते हुए सक्रिय रूप से काम करने की शुरुआत कर दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारों के बाद आरएसएस ने ‘सजग रहो’ के जरिए हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, संघ परिवार का मानना है कि अगर हिंदू विभाजित नहीं होंगे तो वे हमेशा जैसे शांतिपूर्ण तरीके से रहेंगे और उन्हें आत्मरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की नौबत नहीं आएगी। इसके पीछे बांग्लादेश और कनाडा में हिंदुओं पर हमले जैसी स्थितियों का जिक्र किया जा रहा है।
संघ से जुड़े लोगों के हवाले से टीओआई ने बताया है कि ‘सजग रहो’ और ‘एक हैं तो सेफ है’ जैसे नारों का उद्देश्य किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि हिंदुओं के बीच जातिगत विभाजन को खत्म करना है। ‘सजग रहो’ के विचार को बड़े स्तर तक फैलाने के लिए संघ की तरफ से सैकड़ों बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ महाराष्ट्र के चुनाव तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी मदद से संघ उस नैरेटिव की काट करने की कोशिश कर रहा है जिसके जरिए हिंदुओं को जातियों में बांटा जाता है और मुस्लिम ब्लॉक एकजुट किया जाता है।
महाराष्ट्र के चुनावों में संघ की भूमिका सिर्फ वित्तीय रूप से मजबूत राज्य में सत्ता वापसी तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह इसलिए भी अहम है क्योंकि नागपुर से संघ की शुरुआत हुई है। महाराष्ट्र संघ का ना केवल जन्मभूमि है बल्कि शुरुआती कर्मभूमि भी रहा है। इस अभियान के तहत संघ ना सिर्फ राजनीतिक प्रभाव पैदा करना चाहता है बल्कि एक पुरातन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना के जरिए समाज को एकजुट रखने की कोशिश करना चाहता है।