महाराष्ट्र में अकेले दम पर शतक ठोकने की ओर BJP, सहयोगियों से 60 सीटों का चाहती है जुगाड़

भाजपा का मानना है कि सत्ता में पहुंचना है तो सहयोगियों के मुकाबले अपना स्ट्राइक रेट बेहतर कर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी।

महाराष्ट्र, भाजपा

भाजपा विधानसभा चुनाव में अजित पवार की तुलना में एकनाथ शिंदे पर ज्यादा भरोसा कर रही है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कम से कम 165 सीटों का टारगेट सेट किया है। पार्टी की कोशिश जहां खुद 100 से ज्यादा सीटें लाने की है, वहीं दोनों मुख्य सहयोगियों एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के भरोसे ज्यादा नहीं 50 से 65 सीटें का जुगाड़ होने की आस है। एनसीपी और शिवसेना में दो फाड़ होने से चूंकि इस चुनाव में समीकरण बदल चुके हैं और असमंजस की स्थिति में दोनों धड़ों के बीच मतदाता बंट रहे हैं, ऐसे में भाजपा का मानना है कि सत्ता में पहुंचना है तो सहयोगियों के मुकाबले अपना स्ट्राइक रेट बेहतर कर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी।

एकनाथ शिंदे ने खुद को किया साबित, अजित पवार अब तक फेल

महायुति गठबंधन में भाजपा 152 सीटों पर खुद लड़ रही है, वही एकनाथ शिंदे की शिवसेना 80 तो अजीत पवार की एनसीपी 52 सीटों पर लड़ रही है। भाजपा एक रणनीति के तहत अपने 18 नेताओं को शिवसेना और NCP के सिंबल पर भी लड़ा रही है। महाराष्ट्र में भाजपा का चुनाव प्रबंधन देख रहे एक वरिष्ठ नेता ने टीएफआई को बताया कि हमारी पार्टी सत्ता के नजदीक आसानी से तभी पहुंच पाएगी, जब अकेले 100 या उससे ज्यादा सीटें जीते। 2014 में अकेले लड़कर 122 तो 2019 में उद्धव के साथ गठबंधन में भी 105 सीटें मिलीं थीं।

एकनाथ शिंदे तो 2024 के लोकसभा चुनाव में 15 में 7 सीटें जीतकर खुद को साबित कर चुके हैं। लेकिन, अजित पवार लोकसभा में चाचा शरद पवार के सामने पिट गए थे। एनसीपी का वोट ट्रांसफर न होने से दिक्कत सामने आई थी। ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी अजित पवार की तुलना में शिंदे पर ज्यादा भरोसा कर रही है। दोनों सहयोगी दल, बहुत अच्छा नहीं लेकिन औसत प्रदर्शन भी कर ले गए तो NDA की सरकार बन सकती है। भाजपा अगर 100 लाती है तो 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 45 सीटें और चाहिए। लेकिन, खतरे के निशान से बाहर जाने के लिए 60 से 65 सीटें चाहिए, ताकि आसानी से सरकार चल सके।

पिछले चुनाव का हाल

2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना और एनसीपी दोनों अविभाजित पार्टियां थीं। तब 164 सीटों पर लड़कर बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वहीं शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। इस बार शिवसेना और एनसीपी दो फाड़ होने और राज्य में मुख्य रूप से दो गठबंधन के बीच मुकाबला होने से नए समीकरण उभरे हैं।

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