बटेंगे तो कटेंगे: ‘आतंकियों की भाषा, गेरुआ कपड़े बाल नहीं’… योगी का मजाक उड़ाना कांग्रेस को महंगा न पड़ जाए?

योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों में बटेंगे तो कटेंगे का नारा लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ पर खरगे की आपत्तिजनक टिप्पणी

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘भाषाई आतंकवाद’ का नमूना पेश किया है। झारखंड की रैली में पहले तो कहा कि बटेंगे तो कटेंगे जैसा बयान देना साधु नहीं, टेररिस्ट का काम है। इसके ठीक बाद एक और सभा में खरगे ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का मजाक उड़ाया। कह दिया कि गेरुआ कपड़े पहनते हैं और उनके सिर पर बाल नहीं हैं। कांग्रेस के लिए कहीं उनका यह बयान आत्मघाती न साबित हो जाए? याद कीजिए मणिशंकर अय्यर को। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उस वक्त बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी पर तंज कसा था। चुनाव के बाद साफ हो गया कि अय्यर के इस बयान ने कांग्रेस को गर्त में डाल दिया। अब कुछ उसी लाइन पर खरगे चल रहे हैं।

ऐसा आतंकी बोल सकता है, साधु नहीं: खरगे

खरगे ने जो दो विवादित बयान दिए हैं, उनको महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ही यूपी उपचुनाव की रैलियों में बीजेपी भुना सकती है। झारखंड की छतरपुर विधानसभा सीट पर रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए कहा, ‘वे साधु का ड्रेस पहनते हैं, पर लोगों के बीच आकर बटेंगे तो कटेंगे बोलते हैं, क्या ये साधु का काम है? ऐसा कोई टेररिस्ट (आतंकवादी) बोल सकता है, साधु नहीं। क्या उन्होंने गेरुआ वस्त्र प्रधानमंत्री की तरह झूठ बोलने के लिए पहना है? साधु तो करुणामय होते हैं। उन्होंने बहुत के घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया। जब राजीव गांधी को मानव बम से उड़ाया गया तो उनके टुकड़े-टुकड़े हो गए। टुकड़े जोड़कर उनकी अंतिम क्रिया की गई। ऐसा करने वाले लोगों को सोनिया गांधी ने माफ कर दिया। इसे करुणामय कहते हैं।‘

गेरुआ कपड़े हटाओ, नहीं तो छोड़ो राजनीति: खरगे

यह बयान अभी ठंडा नहीं पड़ा था कि खरगे ने एक और सेल्फ गोल कर दिया। खरगे ने कहा, ‘कौन एक साधु के वेश में रहते हैं। अच्छे पॉलिटिशियन बन गए हैं, चीफ मिनिस्टर भी बने हैं। गेरुआ कपड़े पहनते हैं और सिर पर बाल भी नहीं रखते। मैं बीजेपी से यह कह रहा हूं कि या तो सफेद कपड़े पहनें या संन्यासी हैं या गेरुआ कपड़े डालते हैं, तो राजनीति से बाहर हो जाओ। एक तरफ आप गेरुआ कपड़े डालते हो और दूसरों को उपदेश देते हो- बटेंगे तो कटेंगे बोलते हो। आपका काम तो सबको जोड़ना है। वे लोगों के बीच नफरत फैला रहे हैं और उन्हें बांटने की कोशिश कर रहे हैं।’

खरगे का बयान बनेगा बीजेपी के लिए सीढ़ी?

मल्लिकार्जुन खरगे वैसे तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं लेकिन वह योगी पर हमला करते हुए नितांत व्यक्तिगत हो गए। ख्याल ही नहीं रहा कि जिस गेरुआ रंग पर वह सवाल उठा रहे हैं, वह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। योगी के खिलाफ बयान देने की टाइमिंग भी खरगे के खिलाफ जा सकती है। झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ रही है। ऐसे में खरगे के बयान पर काउंटर अटैक चुनावी रैलियों और सभाओं में सामने आएगा। योगी आदित्यनाथ की पहचान शुरुआत से ही कट्टर हिंदुत्व की आवाज उठाने वाले नेता की रही है। बटेंगे तो कटेंगे के जरिए बीजेपी जाति के कार्ड को फेल करने में जुटी है। ऐसे में खरगे ने जिस तरह योगी पर पर्सनल कमेंट किए, वह कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है।

योगी की संन्यासी पहचान पर हमला बढ़ाएगा मुसीबत?

एक बड़े वर्ग में योगी की पहचान गोरक्षपीठ के उस संन्यासी के रूप में भी है, जिसने यूपी की कानून-व्यवस्था को पटरी पर ला दिया। एक ऐसा फायरब्रांड नेता जो कहता है कि एक हाथ में माला और दूसरे में भाला भी जरूरी है। योगी की रैलियों की डिमांड देश के हर उस राज्य में रहती है, जहां चुनाव हो रहे होते हैं। बतौर स्टार प्रचारक योगी महाराष्ट्र और झारखंड में भी धुआंधार रैलियां कर रहे हैं। खरगे ने बुलडोजर से घरों को तोड़ने का जिक्र करते हुए योगी को निष्ठुर बता दिया। खरगे शायद यह भूल गए कि ‘बाबा का बुलडोजर’ सीएम योगी की एक नई पहचान बन चुका है। खरगे ने जिस तरह गेरुआ कपड़े और सिर पर बाल न रखने को लेकर योगी पर तंज किया, वह भी कांग्रेस के लिए मुसीबत बढ़ा सकता है। संत समाज खरगे के बयान पर मुखर हो गया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अगर कांग्रेस सनातन संस्कृति पर हमले नहीं बंद करती है तो संत समाज इसका कड़ा विरोध करेगा। उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को ऑल इंडिया चर्च कमेटी तक कह दिया।

मणिशंकर अय्यर ने किया था सेल्फ गोल

अब सवाल उठ रहे हैं कि कहीं खरगे कांग्रेस के लिए मणिशंकर अय्यर न साबित हो जाएं? 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी पर मणिशंकर अय्यर की चायवाला टिप्पणी को बीजेपी ने हाथोंहाथ लिया था। अय्यर ने कहा था, ‘मैं आपसे वादा करता हूं कि 21वीं सदी में नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री कभी नहीं बन पाएंगे। लेकिन अगर वह यहां (कांग्रेस मुख्यालय) आकर चाय बेचना चाहते हैं तो हम उन्हें इसके लिए जगह दिला सकते हैं।‘ इसी तरह 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अय्यर का नीच बयान चर्चा में रहा था। अय्यर ने पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन कहा, ‘मुझे लगता है कि ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?’ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि अय्यर के इस बयान से गुजरात चुनाव पलट गया। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की युवा तिकड़ी ने बीजेपी के लिए चुनाव मुश्किल कर दिया था। चुनाव में कांटे की टक्कर थी और बाजी पलट सकती थी। अय्यर के इस बयान को मोदी और बीजेपी ने लपकने में देर नहीं लगाई। नतीजा गुजरात में कांग्रेस की फिर वापसी नहीं हो सकी। अब खरगे के बयान का बचाव करना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर होगा।

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