उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक दलित युवती की हत्या कर दी गई है। उसकी नग्न लाश मिली है। लड़की की हत्या का आरोप समाजवादी पार्टी के नेता प्रशांत यादव पर लगा है। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि युवती ने उपचुनावों में भाजपा को वोट देने की बात कही तो उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद करहल में दलित युवती की हत्या पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। करहल के भाजपा प्रत्याशी अनुजेश प्रताप यादव ने दलित युवती की हत्या का आरोप सपा पर लगाया है।
दलित युवती की हत्या, सपा का PDA सिर्फ दिखावा
मृतका के परिजनों का आरोप है कि युवती को एक दिन पहले ही धमकी दी गई थी। इसके बाद घटना के दिन 2 लोग आए और बाइक पर आकर जबरन बैठाकर ले गए। इसके बाद युवती का शव करहल थाना के कंजरा नदी पुल के पास मिला है। परिजनों का कहना है कि प्रशांत यादव ने कहा कि साइकिल को वोट देना है। इस पर मृतका ने कहा कि वह भाजपा को वोट देगी। इसके बाद प्रशांत यादव और उसके साथियों ने उसे धमकी दी थी।
ये हालात हैं उत्तर प्रदेश के। यहाँ समाजवादी पार्टी PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की बात करती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं कि UPA और सपा PDA के लिए समर्पित है। अखिलेश भाजपा को ही PDA विरोधी साबित करने के लिए तमाम कोशिश करते रहते हैं। हालाँकि, अगर पिछली कुछ घटनाओं को देखें तो साफ हो जाएगा कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता दलित को आज भी अछूत समझते हैं और उन्हें अपनी जागीर समझते हैं। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने पिछड़ी और दलित जाति के लोगों के साथ आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया, लेकिन अखिलेश यादव उस पर एक्शन लेने के बजाय अपने कार्यकर्ताओं को बताते नजर आए।
ये सिर्फ अखिलेश यादव की बात नहीं है, खुद को दलितों का हितैषी कहने वाले लोग एवं एक्टिविस्ट भी इस पर चुप हैं। उन्होंने ना ही इस घटना पर किसी तरह की प्रतिक्रिया दी और ना ही इसके पहले वाली किसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव और उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी से वाल किया। यह राजनीति में दलित और पिछड़े के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटी सेंकने की ओर इशारा करता है। इसका वास्तविक जीवन में किसी तरह का कोई समानता वाला व्यवहार को आगे बढ़ाने और उनकी उन्नति के लिए किए जाने वाले कामों को नई दिशा देने के लिए नहीं है।
पिछड़ी जाति की लड़की के साथ सपा नेता ने किया था रेप
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब अयोध्या में अखिलेश यादव की पार्टी के नेता ने एक पिछड़ी जाति की लड़की के साथ रेप किया था। इस पर अखिलेश यादव ने बयान देने के बजाय लड़की के पेट में पलने वाले बच्चे का DNA टेस्ट कराने की माँग करके एक तरह से अपने नेता को क्लिनचीट दे दी थी। यही है समाजवादी का दलित-पिछड़ा प्रेम है। यह प्रेम सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए है, जिसमें किसी तरह समाजवादी पार्टी के लिए वोट पाना और फिर सत्ता पाना है।
अयोध्या में सपा नेता मोईद खान और उसके नौकर राजू खाँ ने बेकरी की दुकान में निषाद समाज की एक बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की थी। आरोप लगा कि एक अन्य सपा नेता राशिद खान ने पीड़िता को जान से मार डालने की कोशिश की थी। मोईद खान फैज़ाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी है, जिन्हें विपक्षी नेता ‘अयोध्या का राजा’ कह कर संबोधित करते हैं।
इतना ही नहीं, कन्नौज के सपा नेता नवाब सिंह यादव ने नौकरी का लालच देकर एक लड़की के साथ रेप किया। इस मामले में भी अखिलेश यादव ने चुप्पी साधे रखी। नवाब यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का चुनाव प्रभारी रह चुका था। उसे अर्धनंगे हालत में पुलिस ने दबोचा था। इतना सबूत होने के बावजूद अखिलेश यादव और उनके लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा और वे बेशर्मी के साथ अपने नेताओं का बचाव करते रहे।
ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ अखिलेश यादव का मसला है। समाजवादी पार्टी में नेताओं का एक लंबी लिस्ट है, जो रेप जैसी घटनाओं को नजरअंदाज करते रहे हैं। दलित समाज के प्रति किसी प्रकार की क्रूरता तो उनके लिए सामान्य सी बता है। अगर यह क्रूरता समाजवादी पार्टी के किसी नेता ने की हो तो यह मामला उनके लिए बिल्कुल इग्नोर करने लायक बन जाता है।
मुलायम सिंह यादव से लेकर अब तक, वही सोच
समाजवादी पार्टी के चरित्र पर नजर दौड़ाने के लिए समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बयान को समझा जा सकता है। मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर बलात्कार का यह कहकर बचाव किया था कि “लड़के हैं, गलती हो जाती है”। सपा सांसद आजम खान ने सदन की अध्यक्षता कर रहीं रमा देवी से कह दिया था, “आप मुझे इतनी अच्छी लगती हैं कि मेरा मन करता है कि आपकी आँखों में आँखें डाले रहूँ।” आजम खान ने तो लोकसभा चुनाव के दौरान इशारों-इशारों में प्रतिद्वंद्वी महिला उम्मीदवार की अंडरवियर का कलर तक बता दिया था।
साल 2010 में महिला आरक्षण विधेयक के विरोध में टिप्पणी करते हुए मुलायम सिंह यावद ने कहा था, ”वर्तमान स्वरूप में महिला आरक्षण विधेयक पास हुआ तो संसद में उद्योगपतियों और अधिकारियों की ऐसी-ऐसी लड़कियाँ आ जाएँगी, जिन्हें देखकर लड़के पीछे से सीटी बजाएँगे।” साल 2012 में बाराबंकी में उन्होंने कहा था कि समृद्ध घराने की महिलाएँ जीवन में आगे बढ़ पाएँगी, क्योंकि गाँव की महिलाएँ आकर्षक नहीं होतीं। साल 2014 में बलात्कार के आरोपियों का बचाव करते हुए मुलायम सिंह ने कहा था, “लड़कों से गलती हो जाती है, लेकिन उन्हें मौत की सजा देना गलत है। अगर हम सरकार में आए तो हम कानून में संशोधन करेंगे।”
सपा के बाकी नेताओं की भी महिला विरोधी सोच
ऐसा नहीं है कि इस तरह की सोच सिर्फ मुलायम सिंह यादव की है। सपा नेता अबु आजमी ने साल 2013 में कहा था कि फैशन और नग्नता भारत की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का कानून हो सकता है तो ऐसा कानून भी होना चाहिए जो महिलाओं के देर रात तक घूमने और गैर मर्द के साथ घूमने पर रोक लगाए। इसी साल उन्होंने कहा था कि औरतें सोने की तरह कीमती होती हैं, अगर उन्हें खुला छोड़ा तो उन्हें लूट लिया जाएगा।
ये कुछ उदाहरण है। इसके अलावा, रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल, एसटी हसन, अब्दुल्लाह आजम, शिवचरण प्रजापति जैसे अनगिनत समाजवादी पार्टी के नेता रहे हैं, जिनके लिए महिला का मतलब सिर्फ वस्तु है। यही कारण है कि समय-समय पर उनकी सोच भी सामने आती रहती है। समाजवादी पार्टी की इस वैचारिक विरासत को समाजवादी पार्टी और उसके वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश यादव बदस्तूर जारी रखे हैं। परिणाम ये है कि उनके पार्टी के कार्यकर्ता भी इसे आगे बढ़ाने में पीछे नहीं हटते और कभी साइकिल को वोट नहीं देने पर दलित लड़की की हत्या कर देते हैं तो कभी मौका मिलने पर मोईन खान जैसा नेता निषाद समाज की लड़की का रेप करके उसे गर्भवती कर देता है। समाजवादी पार्टी के लिए PDA सिर्फ एक बहाना है।