टिकट के लिए बक रहीं गालियाँ, फिर भी नेहा सिंह राठौड़ की ‘तपस्या में कमी’: अब जनजातीय लड़कियों से ‘लव जिहाद’ का समर्थन

इन्हें लगता था कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की जनता फूल-माला लेकर इनके स्वागत में तैयार ही बैठी है और मतदान तो सिर्फ औपचारिकता है

नेहा सिंह राठौड़

नेहा सिंह राठौड़ ने झारखंड में जनजातीय समाज की बेटियों के साथ 'लव जिहाद' का किया समर्थन

“साहेबवा गज़ब नीच आदमी है।” – ये शब्द किसी सोशल मीडिया ट्रॉल के नहीं बल्कि खुद को लोकगायिका बताने वाली नेहा सिंह राठौड़ के हैं। ये वही नेहा सिंह राठौड़ हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश को बदनाम करने के लिए राज्य के खिलाफ एक के बाद एक गीत गाए थे। ये वही नेहा सिंह राठौड़ हैं, जिन्होंने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से टिकट पाने के लिए वहाँ के भाजपा सांसद और भोजपुरी गायक-अभिनेता मनोज तिवारी को बदनाम करने का ठेका उठा लिया था। ये वही नेता सिंह राठौड़ हैं, जिन्होंने अपने पति की नौकरी जाने को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने का मुद्दा बना लिया।

झारखंड में ‘लव जिहाद’, PM मोदी ने क्या कहा था

अब नेहा सिंह राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान क्यों चलाया हुआ है, आपको पता है? इसका कारन केवल ये है कि जनजातीय समाज की महिलाओं के अधिकार के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवाज़ उठाई है। झारखंड के गरीबों के लिए उन्होंने आवाज़ उठाई है। नेहा सिंह राठौड़ उस कांग्रेस इकोसिस्टम के लिए बैटिंग कर रही हैं, जिसके सर्वेसर्वा राहुल गाँधी बात-बात में दलित-पिछड़ा-आदिवासी का रट्टा मारते हैं। लेकिन, जब जनजातीय समाज के अधिकारों एवं उनकी सुरक्षा के लिए आवाज़ उठती है सबसे पहले तो यही लोग विरोध में खड़े रहते हैं।

आइए, जानते हैं कि पीएम मोदी ने क्या कहा था। पीएम मोदी ने झारखंड के गढ़वा और चाईबासा में सोमवार (4 नवंबर, 2024) को रैली की। इस दौरान उन्होंने कहा, “जब बेटियों के साथ शादी के नाम पर छल-कपट होने लगे तो पता चलता है कि पानी सिर से ऊपर गुजर चुका है। जब घुसपैठ का मामला कोर्ट में जाए और प्रशासन इससे इनकार करे, तो पता चलता है कि सरकारी तंत्र में ही घुसपैठ हो चुकी है। ये आपकी रोटी भी छीन रहे हैं, ये आपकी बेटी भी छीन रहे हैं, और ये आपकी माटी भी छीन रहे हैं।”

झारखंड में डेमोग्राफी में हो रहा बदलाव

इसमें क्या गलत था? आइए, पीएम मोदी के इस बयान का कारण जान लेते हैं, थोड़े तथ्य भी देख लेते हैं। ‘राष्ट्रीय अनसूचित जनजाति आयोग’ ने भी सितंबर 2024 में सौंपी गई एक जाँच रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में NCST ने कहा था कि झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण डेमोग्राफी तेज़ी से बदली है। आशा लकड़ा के नेतृत्व वाली इस समिति ने गाँव-गाँव घूम कर 28 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी और इसमें सबूत भी दिए थे। कई क्षेत्रों में 1951 में जनजातीय समाज की जनसंख्या में जो हिस्सेदारी थी, वो अब काफी कम हो चुकी है। इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गृह क्षेत्र बरहेट भी शामिल है।

जाँच समिति ने ये भी बताया था कि कैसे जनजातीय समाज की महिलाओं को फँसा कर उनसे शादी की जा रही है और फिर जनजातीय समाज की जमीन हड़पी जा रही है। साथ ही जनजातीय समाज के धार्मिक स्थलों पर भी मुस्लिम दावा ठोकते हैं और इसे कब्रिस्तान बना देते हैं। साहिबगंज के तेतरिया गाँव में तो 6 एकड़ के पूरे के पूरे प्लॉट को कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया गया। जाँच आयोग को लगभग हर जिले में इस तरह की घटनाओं के साक्ष्य मिले।

अब आते हैं नेहा सिंह राठौड़ पर। इन्होंने कभी ‘यूपी में का बा’ गाना गाया था। इन्हें लगा था कि इनकी इस तपस्या का फल निकलेगा और कांग्रेस इन्हें टिकट देगी। लेकिन, कांग्रेस ने इन्हें घंटा थमा दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इन्होंने इस गाने का पार्ट-2 रिलीज किया लेकिन फिर भी इन्हें कुछ नहीं मिला। फिर उन्होंने उसी घंटे को बजा-बजा कर मनोज तिवारी को बदनाम करना शुरू कर दिया। इन्हें लगता था कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की जनता फूल-माला लेकर इनके स्वागत में तैयार ही बैठी है और मतदान तो सिर्फ औपचारिकता है। खैर, एक बार फिर से राहुल गाँधी को इनकी तपस्या में कमी दिखी और इनकी जगह कन्हैया कुमार को टिकट थमा दिया गया। बेगूसराय के बाद यहाँ भी कन्हैया कुमार की हार हुई। नेहा सिंह राठौड़ ने इसके बाद भी सोशल मीडिया पर अपना नफरती गान जारी रखा। मनोज तिवारी लगातार तीसरी बार लोकसभा सांसद बन गए, नेहा सिंह राठौड़ को एक बार फिर घंटा मिला।

विवादों में रहने की शौकीन हैं नेहा सिंह राठौड़

नेहा सिंह राठौड़ ने मध्य प्रदेश में जनजातीय समाज के एक व्यक्ति पर पेशाब करने वाले को संघी बता दिया था, जबकि उसका RSS से कोई संबंध नहीं था। ये मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट तक भी पहुँचा था और उनके खिलाफ दर्ज की गई FIR को रद्द करने से उच्च न्यायालय ने मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि भले ही कलाकार को व्यंग्य की स्वतंत्रता है, लेकिन किसी खास पोशाक को किसी कार्टून में जोड़ना सही नहीं है। यानी, जिस अपराध में RSS की संलिप्तता ही नहीं थी उसमें संघ को घसीटा गया। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी जाँच रोकने से इनकार कर दिया था। अब जानते हैं कैसे उन्होंने अपने पति का भी अपनी गंदी राजनीति के लिए इस्तेमाल कर लिया था।

उनके पति हिमांशु सिंह ‘दृष्टि’ कोचिंग में बतौर शिक्षक जुड़े हुए थे। जब उनकी नौकरी गई तो नेहा सिंह राठौड़ ने इसका आरोप भाजपा पर लगाया और कहा कि उनसे बदला लिया जा रहा है। हालाँकि, ‘दृष्टि’ के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति ने सच्चाई बताते हुए कहा कि उनकी कंपनी कॉर्पोरेट कल्चर के तहत काम करती है और हिमांशु को नौकरी से निकाला जाना एक सामान्य प्रक्रिया थी, ये फैसला किसी एक व्यक्ति ने नहीं लिया था। हिमांशु को नौकरी से निकाले जाने के अगले दिन नेहा को यूपी पुलिस की नोटिस मिली थी। विकास दिव्यकीर्ति ने इसे संयोग बताया था। उन्होंने कहा था कि किसी मुख्यमंत्री के पास इतना समय नहीं होता कि वो इस तरह के छोटे-छोटे मामलों में फैसले ले।

सोशल मीडिया पर अक्सर नेहा सिंह राठौड़ को प्रयागराज में किसी हॉस्टल से जोड़ कर चिढ़ाया जाता रहा है। हालाँकि, हम न तो इसकी पुष्टि करते हैं और न इसे बढ़ावा देते हैं। हम तो इसकी निंदा करते हैं। लेकिन, साथ-साथ निंदा इसकी भी होनी चाहिए कि कैसे लगातार एक के बाद एक पोस्ट कर के नेहा सिंह राठौड़ झारखंड में जनजातीय समाज की महिलाओं के साथ हो रहे ‘लव जिहाद’ को जायज ठहरा रही हैं।

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