काशी और मथुरा के बाद अब संभल की जामा मस्जिद का मामला कोर्ट पहुंच गया है। हिंदू पक्ष ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के दावे के साथ कोर्ट में याचिका दायर की है। साथ ही हिंदू पक्ष का दावा है कि इसी मंदिर में कल्कि अवतार होना है। हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सर्वे का आदेश जारी किया है। इसके बाद अब इस स्थान का सर्वे भी शुरू हो चुका है। सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कोर्ट के फैसले पर विरोध जताया है।
दरअसल, संभल में स्थित जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने संभल की चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया है कि जिस स्थान को आज जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है, वहां पहले हिंदू मंदिर था। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इस मंदिर को तोड़कर साल 1529 में बाबर ने यहां मस्जिद बनवाई थी।
हिंदू पक्ष की इस याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मंगलवार (19 नवंबर, 2024) को सुनवाई की। जहां सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस स्थान का ‘एडवोकेट कमीशन’ द्वारा सर्वे कराने के निर्देश जारी किए थे। साथ ही कोर्ट ने ‘एडवोकेट कमीशन’ को वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराकर 7 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए थे।
चूंकि कोर्ट ने रिपोर्ट पेश करने के लिए सिर्फ 7 दिन का ही समय दिया है। ऐसे में सर्वे करने के लिए मंगलवार शाम को ही एडवोकेट कमीशन की टीम पुलिस व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जामा मस्जिद पहुंची थी। इस दौरान एडवोकेट कमीशन रमेश सिंह के साथ याचिकाकर्ता महंत ऋषिराज गिरी और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन तथा मुस्लिम पक्ष के वकील के अलावा डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया, एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भारी पुलिसबल के साथ वहां पहुंचे थे।
इस दौरान मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता महंत ऋषिराज गिरी को मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद के अंदर जाने से रोक दिया। ‘एडवोकेट कमीशन’ जब मस्जिद का सर्वे कर रहा था, तब बाहर मौजूद भीड़ नारेबाजी कर रही थी। बताया जा रहा है कि सर्वे टीम ने करीब 2 घंटे तक वीडियो और फ़ोटो के साथ सर्वे किया। इसके बाद वहां से टीम चली गई।
याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”संभल का हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि अवतार यहीं पर होना है। साल 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। इसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। वहां पर बहुत सारे निशान और संकेत हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि यह हिंदू मंदिर है।”
— Zia Ur Rehman Barq Mp (@barq_zia) November 19, 2024
वहीं, इस मामले में संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बयान भी सामने आया है। जियाउर्रहमान बर्क ने कहा है, “यह कोई मंदिर नहीं बल्कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद है। यह अभी की नहीं बल्कि कई सौ साल पुरानी मस्जिद है। यहां सर्वे में किसी को सुई के बराबर या एक इंच भी ऐसी कोई चीज या जमीन नहीं मिल सकती, जिस पर आपत्ति हो सके। यह मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी।”