धनंजय धन नहीं ज्ञान अर्जित करना, कभी ये सोचकर समझौता मत करना… भावुक CJI चंद्रचूड़ ने खोल दी ज़िंदगी की किताब

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के अपने कार्यकाल में 612 फैसले लिखे।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का 8 नवंबर को आखिरी वर्किंग डे था

मैं कल से न्याय नहीं कर पाऊंगा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं। मैंने कभी किसी को भी ठेस पहुंचाई हो, तो आप मुझे माफ़ कर दें, क्योंकि मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था। उन ज़रूरतमंदों की सेवा से बढ़कर कोई सुख नहीं है, जिनसे आप कभी नहीं मिलेंगे। जिनको आप शायद जानते भी नहीं होंगे, जिनकी ज़िंदगियों पर आप बिना मिले भी असर डाल सकते हैं। सेरेमोनियल बेंच में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भावुक अंदाज में दिखे। उन्होंने अपने जीवन के ऐसे किस्से सुनाए, जो दिल को छू लेंगे। फेयरवेल स्पीच में जहां एक ओर भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा था, तो दूसरी ओर ज़िंदगी की किताब के प्रेरणादायक अध्याय के पन्ने सीजेआई चंद्रचूड़ ने खोलकर रख दिए।

मां बोलीं- धनंजय का धन भौतिक संपत्ति नहीं, ज्ञान

सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, लेकिन 8 नवंबर को उनका देश की सबसे बड़ी अदालत में अंतिम वर्किंग डे था। उनको विदाई देने के लिए सेरेमोनियल बेंच बैठी, वहीं शाम को विदाई समारोह हुआ। जस्टिस चंद्रचूड़ के अंतिम कार्यदिवस पर सेरेमोनियल बेंच की कार्यवाही का लाइव प्रसारण हुआ। इस बेंच में उनके साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और 10 नवंबर से सीजेआई की कुर्सी संभालने वाले जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हुए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी मां से जुड़ा इमोशनल किस्सा सुनाते हुए कहा, ‘बचपन में मेरी मां ने मुझसे कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है। लेकिन इसमें तुम्हारे धनंजय का धन भौतिक संपत्ति से जुड़ा नहीं है। मेरी इच्छा है कि तुम ज्ञान अर्जित करो।‘

फ्लैट इसलिए खरीदा कि उसूलों से समझौता मत करना  

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इकलौते सीजेआई हैं, जिनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी देश के सीजेआई रहे थे। 16वें सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक था। पिता के रिटायरमेंट के 37 साल बाद 2022 में जस्टिस चंद्रचूड़ इस पद पर बैठे। अपने पिता का जिक्र करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ भावुक हो गए। उन्होंने पिता से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए कहा, ‘मेरे पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा। उस समय मैंने उनसे पूछा कि पुणे में आप फ्लैट क्यों खरीद रहे हैं? हम वहां पर कब रहने के लिए जाएंगे? पिता ने कहा कि मुझे पता है कि मैं वहां कभी नहीं रहूंगा। मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हारे साथ कितने वक्त तक रहूंगा। पर तुम इस फ्लैट को तब तक अपने पास रखना, जब तक जस्टिस के रूप में अपनी सेवा पूरी न कर लो। मैंने उनसे कहा कि ऐसा क्यों? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि जब भी कभी तुम्हें लगे कि तुम्हारी नैतिकता या बौद्धिक ईमानदारी से समझौता हो रहा है, तो मैं चाहता हूं कि तुम्हें पता रहे कि तुम्हारे सिर पर छत है। पिता ने मुझसे कहा कि वकील या जज रहते हुए कभी अपने सिद्धांतों से ये सोचकर समझौता मत करना कि तुम्हारे पास अपना घर नहीं है।‘ इस घटना का जिक्र करते हुए सीजेआई की आंखों में आंसू आ गए।

शायराना अंदाज में ट्रोल्स को सीजेआई का जवाब

सीजेआई ने सोशल मीडिया पर उनका विरोध करने वाले ट्रोल्स को बशीर बद्र की नज्म के जरिए शायराना अंदाज में जवाब दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आखिरी में मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं। मुझे यकीन है कि आप सभी लोगों को पता होगा, जितना मुझे ट्रोल किया जाता है। मैं संभवतः जजों के सिस्टम में सबसे ज्यादा ट्रोल किया जाने वाला शख्स हूं। मैं एक शायरी के जरिए सिर्फ इतना कहना चाहूंगा मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतेराम करता हूं। एक हल्के तरीके से मैं यह कहना चाहता हूं कि सोमवार से क्या होगा, क्योंकि जो लोग मुझे ट्रोल करते थे, वे बेरोजगार हो जाएंगे।‘

अगले सीजेआई संजीव खन्ना ने क्या कहा?

आपने मेरा काम आसान और मुश्किल दोनों कर दिया है। कई रेवोल्यूशन (क्रांतिकारी बदलाव) हुए, इसलिए काम आसान हुआ। मुश्किल इसलिए क्योंकि मैं आपकी बराबरी नहीं कर सकता। आपकी कमी हमेशा खलेगी। आपके यंग लुक की चर्चा केवल यहां नहीं विदेशों में भी होती है। बहुत से लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में मेरे पास आकर पूछा कि आपकी उम्र कितनी है।

52 साल में इतना धीरज वाला जज नहीं देखा: सिब्बल

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने अपने 52 साल के कार्यकाल में इतना धीरज रखने वाला जज नहीं देखा। देश के ऐसे समुदायों तक जस्टिस चंद्रचूड़ पहुंचे, जिनके बारे में इससे पहले न तो देखा गया और न सुना गया था। आप ऐसे समुदायों को कोर्ट तक लाए और बताया कि न्याय क्या होता है। जब आपके पिता सीजेआई थे, उस समय अदालतें अशांत हुआ करती थीं। आप यहां उस समय आए, जब मुद्दे अशांत हैं।

DYC को हमेशा याद किया जाएगा: तुषार मेहता

जस्टिस चंद्रचूड़ की सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल खोलकर तारीफ की। तुषार मेहता ने कहा, ‘जस्टिस चंद्रचूड़ ने हमेशा फैसला सुनाते हुए पूरी निष्पक्षता बरती है। इसकी प्रशंसा जरूर होनी चाहिए। हमें हमेशा आपके सामने पेश होकर प्रसन्नता महसूस हुई है। आपकी अनूठी विद्वता और फैसला लेने में पूर्ण निष्पक्षता की वजह से कभी आपसे कोई झिझक महसूस नहीं हुई। क्या मुझे यह कहने की स्वतंत्रता है कि DYC (डी वाई चंद्रचूड़) को हमेशा याद किया जाएगा।’

आपका युवा रूप हमें बूढ़ा महसूस कराता है: सिंघवी

सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘हर कोई कहता है कि आप हमेशा जवान दिखते हैं। आपका ये युवा रूप हमें बूढ़ा महसूस कराता है। आप कम से कम बताइए कि इसके पीछे का क्या सीक्रेट है? आपने हमें सुनवाई के दौरान आईपैड का इस्तेमाल करना सिखाया। कम से कम मैं तो इसे सीख गया।‘

चंद्रचूड़ ने 612 फैसले लिखे, आखिरी दिन 45 केस सुने

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट हुए थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने 612 फैसले लिखे। सुप्रीम कोर्ट में अभी जितने जज हैं, उनमें सीजेआई चंद्रचूड़ ने सबसे ज्यादा फैसले लिखे हैं। इसके साथ ही वह सुप्रीम कोर्ट की 1274 बेंचों का हिस्सा बने। अपने अंतिम वर्किंग डे पर उन्होंने 45 मामलों की सुनवाई की। सीजेआई चंद्रचूड़ के दो साल के कार्यकाल में अनुच्छेद 370, चुनावी बॉन्ड की वैधता,  AMU का अल्पसंख्यक दर्जा, मदरसा केस और सीएए-एनआरसी जैसे अहम निर्णय शामिल हैं। वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच का हिस्सा रहे, जिसने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जिन चार जजों ने फैसला सुनाया था, उनमें वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। इस फैसले के साथ ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में अयोध्या क्षेत्र के अंदर ही एक मस्जिद के निर्माण के लिए वैकल्पिक रूप से पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश सुनाया था।

जस्टिस चंद्रचूड़ के क्रांतिकारी कदम

– सुप्रीम कोर्ट लाइब्रेरी में लेडी ऑफ जस्टिस का नया स्टैच्यू रखवाया। आंखों पर बंधी पट्टी हटाते हुए दिखाने का प्रयास किया गया कि कानून अंधा नहीं है। मूर्ति के बाएं हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब रखी गई।

– सीजेआई चंद्रचूड़ के दो साल के कार्यकाल में कोर्ट पहले से ज्यादा हाईटेक हुआ। पेपरलेस सबमिशन, लंबित मामलों के व्हाट्सऐप अपडेट, वाई-फाई, एडवांस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सभी कोर्ट रूम से लाइव स्ट्रीमिंग इसमें शामिल हैं।

– ब्रिटेन में किसी कार्यक्रम के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ से एक शख्स ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच की कुर्सियां एक समान क्यों नहीं हैं। भारत लौटने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का मेंटेनेंस संभालने वाले अधिकारी को बदलाव के निर्देश दिए।

– सुप्रीम कोर्ट में छुट्टियों का कैलेंडर बदलने का क्रांतिकारी कदम भी सीजेआई चंद्रचूड़ ने उठाया। ग्रीष्म अवकाश की बजाए आंशिक न्यायालय कार्य दिवस का प्रयोग। नए कैलेंडर में यह अवधि 26 मई 2025 से 14 जुलाई 2025 तक रहेगी। पहले जहां छुट्टियों की संख्या 103 थी, वहीं अब रविवार को छोड़कर 95 दिनों से ज्यादा अवकाश नहीं होगा।

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