पाकिस्तान के मंदिर: 2000 साल पुराने मंदिर में है ‘चमत्कारी’ शिवलिंग; मुस्लिम ने कराया था पुनर्निर्माण

एक गाय के दूध देने से जुड़ी है इस मंदिर के निर्माण की कहानी

हर वर्ष करीब 2.5 लाख श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं

हर वर्ष करीब 2.5 लाख श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं

पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों (Hindu Temple in Pakistan) को मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा तोड़े जाने के उदाहरण बहुत मिलते हैं। लेकिन ऐसे वाक्ये कम ही मिलते हैं जहां हिंदू मंदिर के निर्माण में मुस्लिम ने मदद की हो। ऐसा ही एक उदाहरण है सिंध का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाने वाला उमरकोट शिव मंदिर, इसे अमरकोट शिव मंदिर भी कहा जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 2,000 वर्ष पुराना है

पाकिस्तान का उमरकोट में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों से थोड़ी अधिक है। उमरकोट में ही अकबर का जन्म भी हुआ था। हालांकि, इस मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण और विस्तार करीब एक शताब्दी पहले एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा किया गया था। यह शिव मंदिर क्षेत्र में हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में एक भव्य शिवलिंग भी है और कहा जाता है कि इस शिवलिंग का आकार बढ़ता रहा था और एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचने के बाद रुका है।

मंदिर निर्माण से जुड़ी कहानी

इस मंदिर के यहां निर्माण को कई किंवदंतियां हैं जिनमें से एक गाय के दूध देने से जुड़ी है। मान्यता है कि एक बूढ़ा आदमी एक जगह पर जाकर अपनी गाय चराया करता था। जहां वे गाय चरती थीं उससे एक अन्य जगह पर जाकर ही वे दूध देती थीं। वृद्ध के साथ अक्सर ऐसा होता रहा और उसे यह बहुत अजीब भी लगता था। एक दिन वृद्ध को पता चला कि इसकी वजह वहां मौजूद एक शिवलिंग है। और इसकी वजह से गाय वहां जाकर दूध देती है। जब वृद्ध को इसका लगा तो उसने गांव लौटकर लोगों को इस घटना के बारे में बताया तो उन्होंने मिलकर वहां एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया और बीतते समय के साथ यह जगह एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गई। मौजूदा वक्त में भी लोग दूर-दूर से आकर इस मंदिर में पूजा करते हैं।

हर वर्ष 2.5 लाख श्रद्धालु आते हैं मंदिर

मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि के दौरान तीन दिनों के भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से आकर भक्त हिस्सा लेते हैं। बताया जाता है कि हर वर्ष करीब 2.5 लाख श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का प्रबंधन उमरकोट की अखिल हिंदू पंचायत करती है और मंदिर के रखरखाव भी खयाल रखती है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण भी किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में सिंध में हिंदुओं ने ऊपरी और निचले सिंध के लगभग हर कस्बे और शहर में भव्य मंदिरों का निर्माण शुरू कर दिया है।

हालांकि, ज्यादातर नए मंदिर अभी भी थारपारकर जिले में हैं और पिछले कुछ वर्षों में मीठी में भगवान हनुमान और भगवान कृष्ण को समर्पित दो मंदिर बनाए गए हैं। सिंध अपनी हिंदू विरासत के लिए लोकप्रिय है लेकिन इसका सिख इतिहास भी है। उमरकोट और मीठी में पिछले वर्षों में नए गुरुद्वारे बनाए गए हैं और उमरकोट में ही गुरु नानक गुरुद्वारे का भी हाल ही में जीर्णोद्धार भी किया गया है।

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