नहीं मानते फतवा, बुर्के से भी तौबा… तुर्कों के गढ़ में BJP की नैया पार लगाएँगे ‘राजपूत मुस्लिम’, खिलाया जा रहा ‘खुदा कसम’

साल 1974 में कांग्रेस के टिकट पर रानी इंद्रमोहिनी, 1985 में कांग्रेस के टिकट पर रानी इंद्रमोहिनी की बेटी रानी रीना कुमारी विधायक बनीं।

कुंदरकी, राजपूत मुस्लिम

कुंदरकी में भाजपा प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह की सभा में जुटे मुस्लिम

उत्तर प्रदेश में इस बार के उपचुनाव में लोगों की विशेष नजर मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट पर है। वैसे यह उपचुनाव प्रदेश के कुल 9 विधानसभा सीटों पर हो रहा है, लेकिन सीट इसलिए खास हैं, क्योंकि यहाँ की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है। यहाँ के कुल मतदाताओं में मुस्लिमों की आबादी 60 प्रतिशत है, जबकि बाकी के 40 प्रतिशत में और लोग हैं। इस सीट के हालात कुछ ऐसे हैं कि इसके इतिहास में 13 विधायकों में 9 तुर्क मुस्लिम चुने गए हैं। इसका मतलब है कि इस सीट पर तुर्कों का दबदबा है। इसके अलावा, सहसपुर बिलारी राजघराने का के सदस्य 4 बार विधायक चुने गए हैं। इन लोगों के अलावा, आज तक कोई अन्य कुंदरकी से विधायक नहीं बन सका है।

साल 2009 में परिसीमन होने के बाद बिलारी नगर और आसपास का इलाका कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से अलग हो गया। इसके अलावा, चंदौसी विधानसभा का कुछ हिस्सा इसमें शामिल कर लिया गया। इन सबकों मिलाकर बिलारी एक अलग विधानसभा बना दी गई। सहसपुर राजपरिवार का परंपरागत इलाका भी नई बनी बिलारी विधानसभा में चला गया। इसके बाद यहाँ तुर्क मुस्लिमों का वर्चस्व बढ़ गया।

साल 2012 से पहले सहसपुर राज परिवार के सदस्य चार बार कुंदरकी से अलग-अलग पार्टियों से विधायक बने। साल 1974 में कांग्रेस के टिकट पर रानी इंद्रमोहिनी, 1985 में कांग्रेस के टिकट पर रानी इंद्रमोहिनी की बेटी रानी रीना कुमारी विधायक बनीं। साल 1989 में जनता दल के टिकट पर और साल 1993 में भाजपा के टिकट पर रानी इंद्रमोहिनी के बेटे राजा चंद्रविजय सिंह विधायक बने। एक बार राजा चंद्रविजय से मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी बने। इन सभी चुनावों में राजपरिवार ने तुर्क जाति को ही हराया था।

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से तुर्क जाति के हाजी अकबर हुसैन विधायक सबसे अधिक पाँच बार विधायक बने। वे 1977 में जनता पार्टी से, 1980 में जनता एस राजनारायण पार्टी से, 1991 में जनता दल, साल 1996 एवं 2007 में बसपा से विधायक बने। इसके बाद तुर्क जाति के ही हाजी मोहम्मद रिजवान समाजवादी पार्टी से साल 2002, 2012 और वर्ष 2017 में इस सीट से विधायक बने। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कुंदरकी से तुर्क जाति के नेता जियाउर्रहमान बर्क को जीत मिली। शफीकुर्रहमान बर्क की मौत के बाद जियाउर्रहमान अब सांसद हैं। इसलिए इस बार सपा से तीन बार के विधायक हाजी रिजवान मैदान हैं।

यहाँ के समीकरण को देखते हुए विभिन्न दलों ने अपने उम्मीदवारों को उतारा है और वे सभी मुस्लिम हैं। हालाँकि, इनमें एक प्रत्याशी अपवाद हैं और वह हैं भाजपा के ठाकुर रामवीर सिंह। कुल 12 उम्मीदवारों में ठाकुर रामवीर सिंह अकेले हिंदू उम्मीदवार हैं। मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी के बीच भाजपा ने एक क्षत्रिय प्रत्याशी को उतारकर एक नए समीकरण गढ़ने की कोशिश की है। यह समीकरण है हिंदू से धर्मांतरित मुस्लिमों के वंशज और बाहर से आए तुर्कों के वंशज। इस सीट पर तुर्क बनाम हिंदू से मुस्लिम बने लोगों के वंशजों का समीकरण प्रमुख है।

हजारों सालों के इतिहास के कारण भारत की कई जातियों के लोगों का दूसरे मजहबों में धर्मांतरण हुआ है, खासकर करके मुस्लिमों में। जिनके पूर्वज अतीत में हिंदू रहे हैं, वे आज ब्राह्मण मुस्लिम (जिन्हें हुसैनी ब्राह्मण, दत्त ब्राह्मण, भट्ट ब्राह्मण कई नामों से जाना जाता है), राजपूत मुस्लिम, जाट मुस्लिम, गुर्जर मुस्लिम आदि कहलाते हैं। ये मुस्लिम कभी एकमुश्त वोटबैंक माने जाते थे, लेकिन पसमांदा जैसे मुस्लिमों को अपने पाले में मिलाने के बाद भाजपा अब ब्राह्मण मुस्लिम और राजपूत मुस्लिम को अपने पाले में करने पर विशेष जोर दे रही है। इसका प्रयोग उत्तर प्रदेश में जारी है। 1993 में अंतिम बार जीते इस सीट को भाजपा फिर से अपने कब्जे में करना चाहती है।

कुंदरकी सीट पर मतदाताओं की कुल आबादी लगभग 3.84 लाख है। इनमें हिंदू वोटरों की कुल आबादी लगभग 1.39 लाख है, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की कुल आबादी 2.45 लाख है। इन मुस्लिम वोटरों में अकेले 70 हजार तुर्क मुस्लिम हैं। यानी 1.75 लाख मुस्लिम हिंदू से धर्मांतरित हैं। इनमें भी राजपूत मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है यानी 45 हजार से अधिक है। भाजपा की नजर इन्हीं हिंदू और राजपूत मुस्लिम वोटरों पर है। अगर इनमें से 50 प्रतिशत भी भाजपा की ओर आ जाते हैं तो भाजपा के उम्मीदवार का तय हो जाएगा।

यहाँ के राजपूत मुस्लिम, ब्राह्मण मुस्लिम और जाट मुस्लिम वोटों को लुभाने के लिए भाजपा प्रत्याशी हर उपाय कर रहे हैं। ठाकुर ओमवीर सिंह ने ना सिर्फ जालीदार टोपी पहनी, बल्कि लोगों को खुदा की कसम भी खिलाया और एक बार फिर गैर-तुर्क मुस्लिम को जीताने का आग्रह किया है। वहीं, मुरादाबाद के रहने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी जाट मुस्लिमों को भाजपा की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली भी भाजपा प्रत्याशी रामवीर ठाकुर के समर्थन में मुस्लिमों के साथ लगातार बैठक कर रहे। बासित अली गांव-गांव प्रचार करते हुए नारा लगा रहे हैं ‘न दूरी है न खाई है, ठाकुर रामवीर हमारा भाई है। इसका शानदार नतीजा भी देखने को मिल रहा है।

इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपने वर्तमान विधायक हाजी रिजवान को उतारा है। वहीं, बसपा ने रफत उल्लाह खान, AIMIM ने हाफिस वारिस और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने हाजी चाँद बाबू को मैदान में उतारा है। ये सभी तुर्क मुस्लिम जाति से संबंध रखते हैं। ऐसे में तुर्क मुस्लिमों के खिलाफ अन्य मुस्लिमों को लामबंद करने की कवायद तेज हो गई है। कुंदरकी सीट पर तुर्क मुस्लिमों के बाद सबसे अधिक जनसंख्या राजपूत समाज की है। हिंदुओं में भी इस सीट पर क्षत्रिय समाज की अच्छी-खासी संख्या है। इसको देखते हुए भाजपा ने ठाकुर रामवीर सिंह पर दाँव लगाया है।

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम राजपूतों की एक बड़ी आबादी रहती है। कुंदरकी में चौधरी, खां साहब और शेखजादे लगाने वाले जातियां मुस्लिम राजपूत के तहत आती हैं। उनके कई नेता मंत्री, सांसद, विधायक रहे हैं और आज भी हैं। इनमें कादिर राणा, कुँवर दानिश अली, इमरान मसूद जैसे अनगितन नाम हैं। बता दें कि भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, पाकिस्तान, नेपाल) में राजपूत मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी निवास करती है। पाकिस्तान के चुनाव में राजपूत मुस्लिम बनाम अन्य का मुद्दा भी अक्सर हावी रहता है।

मुस्लिम राजपूत वो लोग हैं, जिन्होंने मजबूरी वश इस्लाम अपना लिया। हालाँकि, अधिकांश लोग अपनी पुरानी पहचान से जुड़े हैं। वहीं, तुर्क मुस्लिम वो हैं, जिनके पूर्वज आक्रमणकारियों के साथ तुर्की आदि जगहों से आए थे। मुस्लिम राजपूतों का कहना है, “हमारे समुदाय के लोग लंबी दाढ़ी नहीं रखते और फतवों को मानने से इनकार करते हैं, पुरुष लुंगी नहीं पहनते, महिलाएँ बुर्का नहीं हैं।” मुस्लिम राजपूत अक्सर हिंदू क्षत्रिय समाज के लोगों के साथ भाईचारा बनाए रखते हैं। दोनों समुदायों को देखकर कोई नहीं कह सकता है कि दोनों अलग धर्म के मानने वाले लोग हैं। अगर उत्तर प्रदेश में यह समीकरण सध जाता है तो मेवात जैसे क्षेत्र हरियाणा-राजस्थान के साथ-साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश एवं उत्तर भारत की राजनीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। राजपूत मुस्लिम भाजपा से जुड़कर वोटबैंक की राजनीति की कमर तोड़ सकते हैं।

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