लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाला उपचुनाव अब 13 नवंबर की बजाए 20 नवंबर को होगा। चुनाव आयोग के इस फैसले से यूपी का सियासी पारा फिर गर्म हो गया है। समाजवादी पार्टी इस कदम पर सवाल उठा रही है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान पर्व को देखते हुए चुनाव की तारीखें टाली गई हैं। बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल ने मतदान की तारीखें आगे बढ़ाने की मांग की थी।
किस वजह से टली तारीख?
पहले बताते हैं कि चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग क्यों की गई थी? बीजेपी और आरएलडी ने दलील दी थी कि पश्चिमी यूपी की मीरापुर, खैर और कुंदरकी के साथ-साथ 6 अन्य सीटों पर उपचुनाव में बहुत से मतदाता वोट डालने के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। दोनों दलों का कहना था कि 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होने की वजह से श्रद्धालु दो-तीन दिन पहले ही प्रयागराज, वाराणसी और हरिद्वार के लिए निकल जाएंगे। ऐसे में 13 नवंबर को अगर मतदान होता है, तो वे वोट नहीं डाल सकेंगे।
टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे: अखिलेश
तारीखें बदलने की घोषणा होते ही समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर हमला बोला है। यूपी के पूर्व सीएम और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ‘टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि उप्र में महा-बेरोज़गारी की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल है: हारेंगे तो टालेंगे।‘
टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे!
पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी।
दरअसल बात ये है कि उप्र में ‘महा-बेरोज़गारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 4, 2024
बटेंगे तो कटेंगे vs जुड़ेंगे तो जीतेंगे
यूपी में उपचुनाव के बीच स्लोगन के जरिए भी जंग छिड़ी हुई है। सीएम योगी आदित्यनाथ सभाओं और रैलियों के मंच से बार-बार बटेंगे तो कटेंगे का नारा दोहराते हैं। 26 अगस्त को पहली बार आगरा में सीएम योगी ने इस नारे का इस्तेमाल किया था। उस समय बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों से जोड़कर इसे देखा गया था। पीएम मोदी ने भी एक कार्यक्रम में कहा- एक हैं तो सेफ हैं। इसे योगी के नारे को समर्थन के रूप में देखा गया। योगी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी बटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद किया था। आरएसएस भी इसका समर्थन कर रहा है और बीजेपी की रणनीति इसी स्लोगन के इर्द-गिर्द चल रही है। उधर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने इसका जवाब नए नारे से दिया है। देवरिया जिले के सपा कार्यकर्ता विजय प्रताप यादव ने लखनऊ में पार्टी दफ्तर के बाहर जुड़ेंगे तो जीतेंगे नारे के साथ होर्डिंग लगाई। इसके बाद लखनऊ में जगह-जगह जुड़ेंगे तो जीतेंगे के पोस्टर सपा की तरफ से लगाए गए हैं। इसके साथ ही सपा की रणनीति लोकसभा की तरह एक बार फिर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पर टिकी हुई है। सपा के एक और पोस्टर में लिखा है- न बाटेंगे, न काटेंगे, 2027 को नफरत करने वाले हटेंगे। हिंदू-मुस्लिम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी एक नया नारा दिया- बसपा से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे, सुरक्षित रहेंगे। मायावती ने पहली बार उपचुनाव में उतरने का ऐलान किया है। अब तक बसपा उपचुनावों से दूर रहा करती थी।
किन सीटों पर उपचुनाव?
यूपी में कुल 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। ये सीटें हैं- गाजियाबाद, मीरापुर, खैर, कुंदरकी, कटेहरी, सीसामऊ, फूलपुर, करहल और मिर्जापुर की मझवां। कानपुर की सीसामऊ सीट के अलावा बाकी सीटें विधायकों के सांसद बनने की वजह से खाली हुई हैं। सीसामऊ से सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी को 7 साल की सजा होने के बाद उपचुनाव हो रहा है। वहीं अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव याचिका लंबित होने की वजह से चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है।