‘जब भी बंटे हैं, तो निर्ममता से कटे भी हैं’… 3 राज्यों के चुनाव में योगी का नारा बनेगा जाति की काट?

योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का जिक्र करते हुए सबसे पहले बटेंगे तो कटेंगे का नारा इस्तेमाल किया था।

योगी लगातार बटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद कर रहे हैं

हजारीबाग: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झारखंड में एक चुनावी रैली को संबोधित किया। सीएम योगी ने इस दौरान अपने पुराने स्लोगन ‘बटेंगे तो कटेंगे’ को आगे बढ़ाया है। सीएम ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी बंटे हैं तो निर्ममता से कटे भी हैं। इससे पहले योगी कई रैलियों में बटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद कर चुके हैं। बीजेपी इस नारे को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल कर चुकी है। माना जा रहा है कि यूपी उपचुनाव के साथ-साथ महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस स्लोगन को रणनीतिक रूप से प्रयोग कर रही है। बीजेपी इसे जाति की काट के तौर पर प्रचारित करने की कोशिश कर रही है।

इतिहास गवाह बंटे हैं, तो निर्ममता से कटे भी हैं: योगी         

योगी आदित्यनाथ ने हजारीबाग में रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘जिस प्रकार की घुसपैठ इन्होंने रोहिंग्या का झारखंड के अंदर कराना प्रारंभ किया है। अगर डेमोग्राफी चेंज इसी प्रकार की होगी, आज ये लोग यात्रा रोक रहे हैं, बहनों और भाइयों आने वाले समय में घरों के अंदर घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे। और इसीलिए आवश्यकता है आपसे कहने के लिए आए हैं भाजपा को लाइए, एक रहिए और नेक रहिए। मैं तो बार-बार कहता हूं, इस देश का इतिहास गवाह है जब भी जाति के नाम पर, क्षेत्र के नाम पर, भाषा के नाम पर बंटे हैं, तो निर्ममता से कटे भी हैं।’

फिर आपको जाति के नाम पर बहकाएंगे: योगी

सीएम योगी ने आगे कहा, ‘हम बार-बार इस बात को कहते हैं, जाति के नाम पर मत बंटिए। ये बांटने वाले लोग देश के साथ धोखा दे रहे हैं। देश इनके एजेंडे का हिस्सा नहीं है। भारत सुरक्षित हो, भारत समृद्ध हो, हर चेहरे पर खुशहाली आए, हर नौजवान के हाथ को कार्य हो, हर किसान सम्मान के साथ अपना जीवन-यापन करे। हर बेटी और हर बहन स्वावलंबन का जीवन जिए, हर किसान के खेत में फसलें लहलहाते हुए दिखाई दें, उसके चेहरे पर भी खुशहाली हो और व्यापारी सुरक्षित हो। यह इन बांटने वाले तत्वों का, इन बांटने वाले लोगों का, इन बांटने वाले राजनीतिक दलों के एजेंडे का हिस्सा नहीं है। यह हर वह कार्य करेंगे, जो भारत के विरोधी होगा। घुसपैठियों को प्रश्रय देंगे, अराजकता को बढ़ावा देंगे, हिंदुओं को जाति के नाम पर, क्षेत्र के नाम पर, भाषा के नाम पर बांटेंगे। पर्व और त्योहारों में विघ्न और बाधा डालेंगे और चुनाव के समय फिर आपको जाति के नाम पर बहकाने का प्रयास भी करेंगे। बहनों और भाइयों यह समय बंटने का नहीं है, यह समय तो देश के बारे में प्रधानमंत्री मोदीजी की सोच के अनुसार कार्य करने का समय है।‘

बांटने वाले तुम, काटने वाले तुम: खरगे

उधर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने योगी के बयान पर पलटवार किया है। रांची में एक रैली को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कोई मंत्री या मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने बटेंगे तो कटेंगे कहा है। किसको बोला है? बांटने वाले ही तुम हो और काटने वाले भी तुम हो और दूसरों को बोल रहे हो, बटेंगे तो कटेंगे। हुकूमत, पैसा, बुद्धि तुम्हारे पास। गरीबों को क्या दिया? इनको गुलाम रखने का तुम्हारा इरादा है। अरे कोई गरीब मंदिर में नहीं जा सकता आज भी। कोई अछूत पानी नहीं पी सकता किसी के घर में। अच्छे स्कूल में नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति है और ये ऊपर से बोलते हैं कि बटेंगे तो कटेंगे। ये भाजपा और RSS का एजेंडा है। इस एजेंडे को आपको तोड़ना है। जब तक आप नहीं तोड़ेंगे, ये शोषण करते रहेंगे।‘

जाति की काट बनेगा योगी का नारा?

योगी आदित्यनाथ का स्टार कैंपेनर के रूप में बीजेपी महाराष्ट्र और झारखंड में भी इस्तेमाल कर रही है। अपने जोरदार भाषणों के जरिए योगी बीजेपी की टोन सेट कर रहे हैं। झारखंड के साथ ही महाराष्ट्र में 288 सीटों पर 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव है। वहीं यूपी में 9 सीटों पर भी उपचुनाव है। ऐसे में योगी के नारे का इन चुनावों में एक तरह से लिटमस टेस्ट भी है। सीएम योगी आदित्यनाथ सभाओं और रैलियों के मंच से बार-बार बटेंगे तो कटेंगे का नारा दोहराते हैं। 26 अगस्त को पहली बार आगरा में सीएम योगी ने इस नारे का इस्तेमाल किया था। उस समय बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों से जोड़कर इसे देखा गया था। पीएम मोदी ने भी एक कार्यक्रम में कहा- एक हैं तो सेफ हैं। इसे योगी के नारे को समर्थन के रूप में देखा गया। योगी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी बटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद किया था। आरएसएस भी इसका समर्थन कर रहा है और बीजेपी की रणनीति इसी स्लोगन के इर्द-गिर्द चल रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी में 33 सीटों पर सिमट गई थी। अखिलेश यादव की सपा को 37 और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं। सपा की सफलता के पीछे ओबीसी-दलित वोटों में बिखराव को भी अहम वजह माना गया था। ऐसे में योगी का नया स्लोगन जाति की इस राजनीति को जवाब माना जा रहा है।

बटेंगे तो कटेंगे पर सपा से पोस्टर वॉर

यूपी में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने इसका जवाब नए नारे से दिया है। देवरिया जिले के सपा कार्यकर्ता विजय प्रताप यादव ने लखनऊ में पार्टी दफ्तर के बाहर जुड़ेंगे तो जीतेंगे नारे के साथ होर्डिंग लगाई। इसके बाद लखनऊ में जगह-जगह जुड़ेंगे तो जीतेंगे के पोस्टर सपा की तरफ से लगाए गए हैं। इसके साथ ही सपा की रणनीति लोकसभा की तरह एक बार फिर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पर टिकी हुई है। सपा के एक और पोस्टर में लिखा है- न बाटेंगे, न काटेंगे, 2027 को नफरत करने वाले हटेंगे। हिंदू-मुस्लिम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी एक नया नारा दिया- बसपा से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे, सुरक्षित रहेंगे। मायावती ने पहली बार उपचुनाव में उतरने का ऐलान किया है। अब तक बसपा उपचुनावों से दूर रहा करती थी।

तीन राज्यों में कब-कब चुनाव

झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं। पहले चरण में 43 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान है। वहीं दूसरे चरण में 38 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग है। महाराष्ट्र में विधानसभा की सभी 288 सीटों पर एक चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। यूपी में 20 नवंबर को कुल 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। ये सीटें हैं- गाजियाबाद, मीरापुर, खैर, कुंदरकी, कटेहरी, सीसामऊ, फूलपुर, करहल और मिर्जापुर की मझवां। कानपुर की सीसामऊ सीट के अलावा बाकी सीटें विधायकों के सांसद बनने की वजह से खाली हुई हैं। सीसामऊ से सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी को 7 साल की सजा होने के बाद उपचुनाव हो रहा है। वहीं अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव याचिका लंबित होने की वजह से चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है। यूपी उपचुनाव के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

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