बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और सास-साले के साथ-साथ पारिवारिक न्यायालय की जज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। अतुल सुभाष ने मरने से पहले लगभग 1:22 घंटे का वीडियो रिकॉर्ड किया और 24 पन्ने की सुसाइड नोट लिखी। यह वीडियो और सुसाइड नोट जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, हाहाकार मच गया। हर तरफ अतुल के ससुराल वालों को और मामले में अतुल को परेशान करने वाली महिला जज को लेकर तीखी आलोचना होने लगी। हर कोई उसकी ससुराल वालों के साथ-साथ महिला जज पर भी कार्रवाई की माँग कर रहा है। अतुल की आत्महत्या घरेलू हिंसा कानून और भारत की न्यायिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
अतुल ने जिस तरह अपनी सुसाइड नोट और वीडियो में हर एक घटना का जिक्र किया है, उससे लगता है कि वह हर तरफ से निराश हो चुका था। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसे और परिजनों को न्याय मिलेगा। इसके बाद उसने आत्महत्या करने का निर्णय लिया, जबकि मृतक का 4 साल का अबोध बालक है, जिसका चेहरा उसने पिछले दो सालों से नहीं देखा है। लेकिन, इस कदम के पीछे उसके परिजनों की प्रताड़ना और दहेज कानून के नाम पर उसकी पत्नी एवं उसके घर वालों द्वारा की जा रही वसूली की लाचारी स्पष्ट नजर आती है। इस तरह के मामले महिला अधिकारों के लिए बनाए गए कानूनों को कमजोर करने का काम करते हैं।
AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या, पत्नी द्वारा प्रताड़ना
बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले अतुल सुभाष बेंगलुरु के एक फर्म में AI इंजीनियर थे। उन्होंने मैटरिमोनियल वेबसाइट शादी डॉट कॉम के जरिए उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली निकिता सिंघानिया से परिचय हुआ। निकिता B.Tech और फिनांस में MBA है। अतुल ने जैसा कि अपने सुसाइड नोट में दावा किया है कि निकिता के पिता दिल के मरीज थे और डॉक्टर ने उनका जीवन कुछ महीनों का बताया था। इसके बाद परिचय के कुछ महीनों में दोनों ने साल 2019 में परिवार की सहमति से शादी कर ली। इसके बाद निकिता बेंगलुरु में अतुल के साथ रहने लगी। इस बीच निकिता की माँ निशा ने मृतक अतुल से 15 लाख रुपए बिजनेस में लगाने के नाम पर माँगा और उसे लेकर एक करोड़ रुपए का घर खरीद लिया। अतुल ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपने पैसे माँगे तो उसकी पत्नी निकिता के तेवर बदल गए और वह साल 2021 में अपने सारे गहने और पैसे लेकर अपने माँ के घर वापस आ गई।
इसके बाद शुरू हुआ प्रताड़ना का दौर। निकिता और उसकी माँ निशा अतुल को प्रताड़ित करने लगी। उससे पैसे माँगती और नहीं देने पर दहेज के मुकदमे में फँसाने की बात करती। बाद में उन लोगों ने अतुल पर दहेज उत्पीड़न, हत्या, अप्राकृतिक सेक्स, मारपीट जैसे आरोपों में कई मुकदमे दर्ज करवा दिए। अतुल ने अपनी सुसाइड नोट में कहा है कि पिछले 2 सालों में उनके और उनके माता-पिता एवं भाई के खिलाफ 8 मुकदमे दर्ज करा दिए। ये सारे मुकदमे जौनपुर में दर्ज कराए गए, ताकि अतुल अधिक से अधिक परेशान हो सके और भरण-पोषण की 80 हजार रुपए मासिक देने की माँग को माँग ले। इसके अलावा, अतुल पर ससुराल के लोग मामले को सेटल करने के लिए 1 करोड़ रुपए और बाद में 3 करोड़ रुपए की मांग करने लगे।
अतुल ने अपनी सुसाइड नोट में कहा है कि ये सारे झूठे थे और सास को दिए गए पैसे को वापस माँगने के कारण उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। इतना ही नहीं, उसे उसके बच्चे को भी दूर रखा जा रहा था। उसकी अलग रह रही पत्नी निकिता और उसकी माँ निशा उसे आत्महत्या तक के लिए उकसाते थे। आखिरकार अतुल के पास कोई उपाय नहीं बचा तो उसने आत्महत्या कर ली, लेकिन भारत के लोगों को बता गए कि एक महिला किस तरह एक हँसते-खेलते पूरे परिवार को बर्बाद कर सकती है।
महिला उत्पीड़न रोकने के लिए बने कानून का दुरूपयोग
भारत में जिस कानून का सबसे अधिक दुरुपयोग होता है, उसमें दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का कानून सबसे आम है। आमतौर पर यह भी देखने में आया है कि जो महिला अपने पति के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाती हैं, उस परिवार में महिला के परिवार का उसे जबरदस्त समर्थन रहता है। लड़की के परिजन मामले को शायद ही कभी सुलझाने का प्रयास करते हैं। यहाँ तक कि वे अपनी लड़की कि गलतियों को नज़रअंदाज़ करके सारा दोष उसके पति पर ही लगाने की कोशिश करते हैं। अधिकतर मामलों में लड़की के माता-पिता और भाई जैसे नजदीकी रिश्तेदार ही अपने फायदे के लिए लड़की का कान भरते हैं और आखिरकार में परिवार टूट जाता है और मामला न्यायालयों में दहेज उत्पीड़न से लेकर घरेलू हिंसा के रूप में दर्ज हो जाता है।
कई मामलों में कोर्ट ने भी माना है कि दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए बने कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके लगभग 80 प्रतिशत से अधिक मामले झूठे साबित होते हैं। इस कानून के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी देश की अदालतों को सावधानी बरतने को कह चुका है। इसी साल अक्टूबर में एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा था कि दहेज उत्पीड़न के कई मामलों में आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। ऐसे में अदालतों को ऐसे मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि निर्दोष परेशान न हों। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अगुवाई वाली बेंच ने फरवरी 2022 में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि पति के रिश्तेदार के खिलाफ सामान्य आरोप के आधार पर केस चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
इसी साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामलों में पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के खिलाफ अदालतों को फिर से आगाह किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू विवाद में झूठे मुकदमों में फँसाने के बढ़ते मामले चिंता के विषय हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे झूठे मुकदमों से भले ही आरोपी बरी क्यों ना हो जाए, लेकिन जो जख्म उन्हें मिलते हैं, वो कभी नहीं भर सकते। यह अपमान और निराशा जीवन भर उनके साथ चलते रहता है। इसके दुरुपयोग को देखते हुए साल 2014 में एक मामले में सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
I can sacrifice 100 sons like you for my father. I can sacrifice 1000 of me for you: #AtulSubhash
If his sacrifice doesnt bring men to the streets demanding a National Commission for Men, nothing ever will.
May Judge Rita Kaushik & wife Nikita be jailed for life! #JusticeIsDue pic.twitter.com/cpNU8TzbCD
— Kashmiri Hindu (@RohitInExile) December 10, 2024
शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि निर्दोष व्यक्तियों का उत्पीड़न रोकने के लिए पहले गहन जाँच की जानी चाहिए। इसी तरह साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 498A (BNS के तहत अब धारा 85 और 86) के तहत दर्ज मामलों में पति और ससुराल वालों की तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसी साल अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग पर कहा था कि बदला लेने के लिए दादा-दादी और बिस्तर पर पड़े लोगों को भी फँसाया जा रहा है। वहीं, मई में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि पत्नियाँ अक्सर बदला लेने के लिए पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज करवा देती हैं।
निकिता सिंघानिया ने धन की उगाही के लिए विवाह नामक संस्था को किया बदनाम
आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष ने अपनी सुसाइड नोट में यही बात साफ शब्दों में कहा है। उन्होंने कहा कि उनकी दी हुई भरण-पोषण की राशि से ही उनकी पत्नी निकिता उनके और उनके परिवार वालों के खिलाफ केस करके उत्पीड़न कर रही है। मृतक अतुल ने अपने नोट में लिखा है, “मेरी पत्नी मुझे, मेरे बुजुर्ग माता-पिता और मेरे भाई को परेशान करने के लिए और भी केस दर्ज करवाएगी। वह भी उसी पैसे का इस्तेमाल करके, जो मैं उसे भरण-पोषण के तौर पर देता हूँ। मेरे द्वारा दिए गए पैसे का इस्तेमाल मेरे बच्चे के भरण-पोषण के लिए करने के बजाय, उसे मेरे खिलाफ हथियार बनाया जा रहा है।” उन्होंने अपनी सुसाइड नोट में लिखा है कि उनकी पत्नी निकिता ने कहा था, जब तुम आत्महत्या कर लोगे तब भी हमारी पार्टी चलेगी। तुम्हारा बाप देगा पैसा। पति के मरने पर सब वाइफ का होता है। तेरे मरने के बाद तेरे माँ-बाप भी जल्दी मरेंगे फिर। उसमें भी बहू का हिस्सा होता है। पूरी जिंदगी तेरा पूरा खानदान कोर्ट के चक्कर काटेगा।”
अगर अतुल की बात सही है तो जाहिर है कि निकिता ने अपने पति से धन की उगाही के लिए भारतीय कानून का दुरुपयोग किया और विवाह नाम की सांस्कृतिक संस्था को बदनाम किया है। यही कारण है कि पुराने समय में लोग अपनी बेटियों की शादी दूर करते थे, ताकि बेटी के घरों में उनका हस्तक्षेप ना रहे। इससे परिवार में कलह की आशंका ही वजह मानी जाती थी। यही कारण थे कि वो शादियाँ ज्यादा टिकती थीं। हालाँकि, घरेलू हिंसा के मामले भी होते रहे हैं, लेकिन वो एक मसला होता था। यही कारण था कि देहज एवं घरेलू उत्पीड़न जैसे कानून बनाए गए। लेकिन, कानून बनाने वालों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि महिलाएँ ही इस कानून का इस स्तर पर दुरुपयोग करेंगी कि इस कानून को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे।
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात अतुल ने अपनी सुसाइड नोट में लगाया, वह मामले की सुनवाई करने वाली जज का पक्षपाती रवैया। अतुल सुभाष ने अपने वीडियो और सुसाइड नोट में दावा किया है कि जौनपुर में अदालत में सुनवाई के दौरान उसकी पत्नी ने जज के सामने ही उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था और इस दौरान महिला जज हँसती रही। अतुल ने महिला जज पर रिश्वतखोरी के भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा है कि जौनपुर में सबको पता है कि रिश्वत देकर उस महिला जज से मनमुताबिक फैसला लिया जा सकता है।
अतुल ने यहाँ तक आरोप लगाया कि महिला जज ने केस को सेटल करने के लिए उनसे भी 5 लाख रुपए की माँग की थी। इतना ही नहीं, वह पेशकार जज के सामने ही वह कोर्ट में आने वाले हर व्यक्ति से वह 50-100 रुपए वसूल करता था। मृतक ने अपने वीडियो और सुसाइड नोट में आगे आरोप लगाया है, “सभी सबूतों के साथ ईमानदारी से केस लड़ते रहो, लेकिन एक भ्रष्ट जज मुझे और मेरे परिवार को परेशान करके, चीजों में हेरफेर करके और हमारे खिलाफ मामले के हर तथ्य को तोड़-मरोड़ कर फैसला देकर पत्नी का पक्ष ले रही है।”
न्यायपालिका पर कैसे करे कोई भरोसा?
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का एक आरोपित व्यक्ति अगर जज पर ही आरोप लगाए तो यह भारतीय न्यायिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। अगर इन आरोपों को सही माना जाए तो एक जज द्वारा खुलेआम रिश्वत माँगना और आत्महत्या के लिए उकसाने वाले व्यक्ति पर हँसना गंभीर मसला है। यह आरोप न्यायिक व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बनाता है। समय-समय पर भारत के न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इस तरह खुलेआम रिश्वत के आरोप शायद ही कभी-कभार लगे हों।
इस तरह के आरोपों पर आम लोगों की न्यायपालिका पर भरोसा बनाए रखने के लिए सर्वोच्च नयायालय को कदम उठाना चाहिए। यही कारण है कि मृतक अतुल ने अपनी पत्नी और सास-साले सहित इस जज को भी दंडित करने की माँग अपनी सुसाइड नोट में लिखा है। उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर इन लोगों को दंडित नहीं किया जाता है कि उसकी अस्थि को किसी कोर्ट के बाहर के गटर में डाल दिया जाए।
न्यायपालिका के प्रति ऐसी हताशा लोगों में पनपना सही नहीं है, क्योंकि देश में ऐसे लाखों मामले चल रहे हैं और उनके आरोपितों का विश्वास डगमगा सकता है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2021 में देश भर में 81,063 विवाहित पुरुषों आत्महत्या की हैं। इनमें लगभग 33.2% पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं की वजह से और 4.8% पुरुषों ने शादी से जुड़ी परेशानियों की वजह से अपनी अपनी जान दी हैं। इस तरह के आँकड़े डराने वाले हैं। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए।