दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए रणभेड़ियाँ बज चुकी हैं। AAP ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की भी घोषणा कर दी है और कांग्रेस ने भी 47 सीटों पर अब तक प्रत्याशी उतार दिए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी झुग्गियों में प्रवास कर रहे हैं। संसद में कांग्रेस ने भाजपा पर बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक क़दम आगे बढ़ते हुए उन्हें अपना भगवान घोषित कर दिया और कांग्रेस पर भी उनके अपमान का आरोप लगा दिया। अब I.N.D.I. गठबंधन में आपस में ही लड़ाई चल रही है, कांग्रेस और AAP लड़ रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 से लगभग 1 वर्ष पहले विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बना कर ख़ूब सनसनी फैलाई। सोशल मीडिया में भाजपा के विरोध में बल्लेबाजी करने वालों ने ऐलान कर दिया कि भाजपा समर्थकों द्वारा बार-बार पूछे जाने वाले सवाल ‘मोदी Vs Who’ का जवाब उन्होंने ढूँढ लिया है। हालाँकि, भाजपा ने इस गठबंधन को इंडी अलायंस नाम दिया। इस गठबंधन की पहली बैठक पटना में हुई, दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई और तीसरी मुंबई में। पहले क्षेत्रीय दलों का बोलबाला था, बाद में कांग्रेस ने इस गठबंधन को हाईजैक कर लिया। अब इनमें आपस में ही सिर-फुटव्वल चल रही है।
दिल्ली: एक-दूसरे के खिलाफ आग उगलती AAP और कांग्रेस
बात शुरू करते हैं दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने, जिन्होंने केजरीवाल को ‘फर्जीवाल’ बता दिया। आगे बढ़ते हुए उन्होंने दिल्ली सीएम को देश भर के फर्जीवालों का राजा घोषित करते हुए उनके कार्यकाल पर ‘श्वेत पत्र’ जारी किया और कहा कि ये AAP सरकार के ‘काले कारनामों’ की दास्तान हैं। उन्होंने इस दौरान कोरोना काल में केजरीवाल सरकार की नाकामी से लेकर CM आवास के सौदर्यीकरण पर भाजपा प्रख्यात किया गया शब्द ‘शीशमहल’ का भी जिक्र किया। उन्होंने भ्रष्टाचार, दिल्ली में डूबती सड़कें और यमुना की गंदगी को लेकर भी निशाना साधा। एक-एक कर उन्होंने कुल 12 कमियाँ एक कविता के जरिए गिनाईं।
ऐसा नहीं है कि AAP ने गठबंधन धर्म निभाया और कुछ जवाब नहीं दिया। पार्टी की तरफ से अति-आक्रामक राज्यसभा सांसद संजय सिंह को आगे किया गया। उनके साथ-साथ CM आतिशी भी थीं। संजय सिंह ने कांग्रेस को भाजपा की मदद करने वाली पार्टी बता दिया। उन्होंने आरोप लगा दिया कि अजय माकन भाजपा की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को एंटी-नेशनल बताए जाने का विरोध करते हुए एहसान गिनाए। उन्होंने बताया कि कैसे अन्य राज्यों में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार किया, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस ने गठबंधन में स्थान नहीं दिया।
उन्होंने इस दौरान याद दिलाया कि कैसे हरियाणा में चुनाव प्रचार करने वाले एक AAP नेता ने भी कांग्रेस के खिलाफ बयान नहीं दिया। संजय सिंह ने तो कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची भी BJP दफ्तर से बन कर आने की बात कह दी। उधर अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार के पास विज्ञापनों के लिए पैसे हैं, लेकिन शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘शीशमहल’ के लिए सरकार पैसों से 173 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जेब में 2 रुपए का पेन लेकर रहते हैं और पार्टी का नाम ‘आम आदमी’ रखा हुआ है लेकिन खुद राजा की तरह रहते हैं। यहाँ तक कि दिल्ली में दंगों के लिए भी उन्होंने अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया।
I.N.D.I. गठबंधन में सिर-फुटव्वल
वहीं संजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी से 24 घंटे के भीतर अजय माकन पर कार्रवाई करने को कहा। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात ये है जो उन्होंने इसके बाद कही। संजय सिंह ने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो वो I.N.D.I. गठबंधन के बाकी घटक दलों से आग्रह करेंगे कि कांग्रेस को इस गठबंधन से निकाल बाहर किया जाए। वहीं मुख्यमंत्री आतिशी ने अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ यूथ कांग्रेस द्वारा दर्ज किए गए FIR का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस उम्मीदवारों की फाइंडिंग भाजपा कर रही है, जिसमें नई दिली सीट से अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध लड़ रहे संदीप दीक्षित हैं। बता दें कि संदीप दीक्षित, 15 वर्ष दिल्ली की CM रही शीला दीक्षित के बेटे हैं।
आरोप-प्रत्यारोपों के इस दौर से क्या पता चलता है? I.N.D.I. गठबंधन का गुब्बारा फूट गया है? या फिर कांग्रेस को साथी दलों ने ही मिल कर अलग-थलग कर दिया है। कहाँ कांग्रेस भाजपा को लोकसभा चुनाव में 240 सीटों पर रोकने के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा जीत कर गठबंधन में मोलभाव की अपनी ताक़त बढ़ाने के ख्वाब देख रही थी, कहाँ ये दिन आ गए कि जीती हुई बाजी मानी जा रही हरियाणा भी पार्टी हार गई और जिस महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दौरान MVA ने झंडे गाड़े थे वहाँ भाजपा ने सत्ता में दमदार वापसी की। झारखंड में हेमंत सोरेन ने भाव नहीं दिया, जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला नहीं पूछ रहे। दोनों राज्यों में कांग्रेस को डिप्टी CM के पद के लायक भी नहीं समझा गया। ऊपर से संसद में हंगामा कर के आंबेडकर के नाम को हथियार बना कर जो माहौल क्रिएट किया गया, उसे भी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने झटक लिया।
न साझा बयान, न कोई साझा एजेंडा
साफ़ है, I.N.D.I. गठबंधन के लोग सिर्फ एक व्यक्ति को रोकने के लिए, एक व्यक्ति के विरोध के लिए और एक व्यक्ति के खिलाफ घृणा लिए एक साथ आए थे। उनका न कोई साझा एजेंडा था, न उनके पास कोई साझा विचारधारा थी, न साझा योजना थी और न ही उनकी सोच मिलती थी। केरल में कांग्रेस वामदलों के साथ लड़ती है, पश्चिम बंगाल में TMC के साथ और दिल्ली-हरियाणा में AAP के साथ। सिर्फ एक ही सूत्र था जो इन दलों को एक साथ बाँधता है और वो है मोदी का विरोध। किसी नकारात्मक लक्ष्य के लिए आप जनसमर्थन नहीं पा सकते।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। याद कीजिए, 2008 के उत्तरार्ध में जब UPA सरकार अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील करना चाहती थी तब वामदलों ने इसका विरोध किया था। इधर मुलायम सिंह यादव TMC की ममता बनर्जी के साथ मिल कर सरकार को बचाने के लिए कोई क़दम न उठाने के लिए मंथन कर रहे थे। ऐन समय पर मुलायम ने ममता को गच्चा दिया और अपने 36 सांसदों के साथ कांग्रेस का समर्थन किया और सरकार बचा ली। सोचिए, जब इस तरह के विरोधाभासी सोच वाले मौकापरस्त लोग साथ आएँगे तो क्या वो देश के लिए कुछ अच्छा करेंगे?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस तरह के लोग लंबे समय तक साथ रह सकते हैं? जब ये विपक्ष में साथ नहीं रह पा रहे हैं, तो संयोग से कभी सत्ता में आ गए तो क्या होगा – ये सोचने वाली बात है।