मनुस्मृति विरोधियों का दांव पड़ा उल्टा: TV पर फाड़े जाने के बाद कई गुना बढ़ी पुस्तक की बिक्री

मनुस्मृति आज कल आम लोगों के बीच बेशक रामायण और गीता की तरह लोकप्रिय नहीं है लेकिन एक वक्त पर इसे हिंदू धर्म के कानून के तौर पर देखा जाता था

राहुल गांधी के लोकसभा में मनुस्मृति लेकर जाने पर शुरू हुआ था हालिया विवाद

राहुल गांधी के लोकसभा में मनुस्मृति लेकर जाने पर शुरू हुआ था हालिया विवाद

मनुस्मृति को लेकर यूं तो दशकों से विवाद चल रहा है लेकिन हाल ही में एक बार फिर यह पुस्तक चर्चा में है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी करीब एक हफ्ते पहले संसद में मनुस्मृति की कॉपी लेकर पहुंचे थे। लोकसभा में उन्होंने अपने भाषण के दौरान एक हाथ में संविधान और एक में मनुस्मृति लेकर कहा कि सावरकर चाहते थे कि संविधान को इस किताब (मनुस्मृति) से बदल दिया जाए। इसके कुछ ही दिनों बाद जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान बार-बार आंबेडकर का नाम लेने का ज़िक्र किया तो राहुल ने इस पर कहा कि ‘मनुस्मृति को मानने वालों को आंबेडकर जी से तकलीफ बेशक होगी ही’।

इसके बाद से मनुस्मृति को लेकर सोशल मीडिया पर एक बार चर्चा शुरू हो गई थी। इसके बाद आरजेडी की प्रवक्ता प्रियंका भारती ने ‘इंडिया टीवी’ चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान मनुस्मृति को महिला विरोधी बताते हुए इसे प्रतिकात्मक रूप से फाड़ दिया। उन्होंने इसका वीडियो अपने ‘X’ अकाउंट पर भी शेयर कर दिया। इसके बाद तो सोशल मीडिया पर मनुस्मृति के विरोध और समर्थन में गंभीर बहस शुरू हो गई। सोशल मीडिया दो खेमों में बंट गया है जहां एक और मनुस्मृति के विरोध में तर्क दिए जा रहे हैं तो दूसरी और इसके समर्थन में भी लोगों ने अपने-अपने दावे किए हैं।

मनुस्मृति आज कल आम लोगों के बीच बेशक रामायण और गीता की तरह लोकप्रिय नहीं है लेकिन एक वक्त पर इसे हिंदू धर्म के कानून के तौर पर देखा जाता था। 12 अध्यायों वाली इस पुस्तक में अधिकार, अपराध, बयान और न्याय के बारे में बात की गई हैं। कुछ लोग इसे महिलाओं की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करने वाली पुस्तक बताते हैं जबकि कुछ लोग यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः यानि जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं जैसे श्लोकों के ज़रिए इस ग्रंथ को महिला सम्मान की वकालत करने वाला बताते हैं।

सोशल मीडिया की हालिया बहस के बाद मनुस्मृति लोगों के बीच फिर से चर्चा का विषय बन गई है और लोग इसे पढ़ने व समझने के लिए उत्सुक नज़र आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में इसकी बिक्री में बढ़ी संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दिल्ली के आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट प्रकाशक ने बताया है कि हालिया विवाद के बाद विशुद्ध मनुस्मृति के ऑर्डर करने वाले लोगों की संख्या में बड़ी संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, सनातन हाट के संस्थापक और सत्य सनातन नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले अंकुर आर्य ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों से विशुद्ध मनुस्मृति की बिक्री में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। उनका कहना है कि लोग मनुस्मृति खरीदने के लिए लोग लगातार उन्हें संपर्क कर रहे हैं। अंकुर ने इसे लेकर ‘X’ पर भी एक पोस्ट किया है। उन्होंने इसकी बढ़ती मांग के लिए मनुस्मृतिक के खिलाफ बयानबाज़ी करने वाले लोगों का शुक्रिया किया है।

साथ ही, कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर विशुद्ध मनुस्मृति बांटने का भी एलान किया है। बिहार के बड़े उद्योगपति और ब्रावो फार्मा के संस्थापक राकेश पांडेय ने मनुस्मृति की 1,000 प्रतियां बांटने की घोषणा की है। उन्होंने ‘X’ पर एक पोस्ट में लिखा है, “डॉ भीमराव के ब्राह्मण गुरु केशव कृष्ण आंबेडकर के सम्मान में मैंने मनुस्मृति की 1,000 प्रतियां बांटने की घोषणा की है। चंपारण और पूरे बिहार के युवा प्रोपेगंडा से भ्रमित न हों, इसीलिए ये कदम उठाया जा रहा है।” उन्होंने लोगों से अपना पता देने की भी अपील की है।

मनुस्मृति के दावों को परखने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि पुस्तक को पढ़ा जाए। मनुस्मृति में समय के साथ बदलाव किए जाने और नए श्लोक जोड़े जाने का दावा किया गया है। मनुस्मृति के तमाम संस्करणों में ‘विशुद्ध मनुस्मृति’ को मौजूदा समय में सबसे प्रमाणिक संस्करण के तौर पर देखा जाता है और इस पुस्तक की बढ़ती बिक्री ज़रूर एक सकारात्मक संदेश की तरह है।

Exit mobile version