जिस कश्मीर में सेना पर चलते थे पत्थर, वहाँ अब दिख रहा हिन्दुओं का पुनर्जागरण

बांग्लादेश नरसंहार के खिलाफ सड़क पर विरोध प्रदर्शन

Kashmir protest

कॉमन सिविल कोड, ट्रिपल तलाक की समाप्ति, और धारा 370 के उन्मूलन जैसे साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय, पिछले 10 वर्षों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक रहे हैं। विशेष रूप से धारा 370 को हटाना, दशकों से प्रताड़ना सह रहे कश्मीरी हिंदुओं के लिए एक वरदान साबित हुआ है। आज, इसके परिणामस्वरूप, न केवल कश्मीर (Kashmir) में हिंदू समुदाय ने अपने अस्तित्व को पुनः स्थापित किया है, बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा हो रहे हिंदुओं के नरसंहार के विरोध में उन्होंने सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज़ बुलंद की। यह दिखाता है कि कभी खुद का प्रताड़ना का शिकार रहा कश्मीरी हिन्दू अब जागरूक और संगठित हो रहा है, जो किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होने को तैयार है।

Kashmiri Minorities Protest Against Atrocities On Bangladeshi Minorities

बांग्लादेश नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन

बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा तख्तापलट के बाद से हिंदुओं पर हो रहे बढ़ते अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ भारत के विभिन्न हिस्सों में जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस कड़ी में अब कश्मीरी हिंदू भी सामने आए हैं, जो कभी खुद प्रताड़ना का शिकार थे। कश्मीरी हिंदुओं ने “हम बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं” और “बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों को बचाओ” लिखे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें बांग्लादेश में हो रहे नरसंहार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय और सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है।

इस्लामिक कट्टरपंथियों का मंदिरों पर कायराना हमला

तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में लगातार हिन्दुओं के साथ साथ मंदिरों को जलाने की ख़बरें सामने आती रहीं है. शनिवार, 7 दिसंबर 2024 को, बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमलों का सिलसिला एक बार फिर सुर्ख़ियों में आया था। इस बार राजधानी ढाका में इस्कॉन के नामहट्टा केंद्र में स्थित श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर और श्री श्री महाभाग्य लक्ष्मी नारायण मंदिर को इस्लामिक भीड़ ने निशाना बनाया था। हमलावरों ने मंदिरों में आग लगा दी, जिससे वहां स्थापित पवित्र मूर्तियाँ जलकर राख हो गईं थीं।

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