राहुल Vs प्रियंका वाली लड़ाई सतह पर, दो फाड़ हुआ कांग्रेस का अंतःपुर: परिवार ने ही बढ़ाई सोनिया गाँधी की टेंशन

उपचुनाव के दौरान राहुल गाँधी ने एक तरह से ये दिखाने की कोशिश की थी कि प्रियंका गाँधी स्वेच्छा से कार्य नहीं करेंगी, वही करेंगी जो वो कहेंगे।

राहुल गाँधी, प्रियंका

राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के बीच कड़वाहट सतह पर आई

क्या कांग्रेस में अब प्रियंका गाँधी Vs राहुल गाँधी की लड़ाई शुरू हो गई है? हम ये सवाल इसीलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि ऐसा दिख रहा है कि संसद में प्रियंका गाँधी जब से आई हैं, तब से उन्हें उनके अपने ही भाई राहुल का साथ नहीं मिल रहा। इसे थोड़ा शुरू से समझते हैं। जब राहुल गाँधी ने लोकसभा चुनाव 2024 के बाद केरल की वायनाड सीट छोड़ी और उत्तर प्रदेश की रायबरेली अपने पास रखी, जबकि वायनाड को बहन के लिए खाली कर दिया। कांग्रेस की टिकट पर प्रियंका ने चुनाव लड़ा। ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ (IUML) का उन्हें समर्थन मिला।

संसद में राहुल Vs प्रियंका, गाँधी परिवार में टकराव

उस दौरान राहुल गाँधी ने जनता से कहा कि वायनाड के पास अब दो-दो सांसद होंगे। यानी, उन्होंने एक तरह से ये दिखाने की कोशिश की कि प्रियंका गाँधी स्वेच्छा से कार्य नहीं करेंगी, वही करेंगी जो वो कहेंगे। अब करते हैं तब की बात, जब प्रियंका गाँधी जीत कर संसद पहुँचीं। संसद सत्र शुरू हुआ, उनका पहला भाषण हुआ। राहुल गाँधी से पत्रकारों ने पूछा कि संसद में प्रियंका गाँधी का पहला संसदीय भाषण कैसा था। इस पर राहुल गाँधी ने कहा कि 2004 में जब वो पहली बार जीत कर संसद पहुँचे थे और जो भाषण दिया था, प्रियंका गाँधी का भाषण उससे बेहतर था।

प्रियंका गाँधी के विरोध प्रदर्शन से भाई राहुल नदारद-1

यानी, खुद से मात्र 2 वर्ष छोटी प्रियंका गाँधी के ताज़ा भाषण की तुलना राहुल गाँधी ने 2 दशक पहले के अपने भाषण से की, अपने मौजूदा भाषण से नहीं। ये दिखाता है कि कहीं न कहीं राहुल गाँधी अपनी बहन के संसद पहुँचने से असुरक्षा की भावना से भर गए हैं। सुप्रिया श्रीनेत जैसी कांग्रेस की सक्रिय प्रवक्ता भी सोशल मीडिया में प्रियंका गाँधी की ही चर्चाएँ कर रही हैं। कभी प्रियंका गाँधी के फिलिस्तीन समर्थन वाले बैग की चर्चा होती है तो कभी दबाव के कारण बांग्लादेश के हिन्दुओं-ईसाइयों के समर्थन वाले बैग की।

प्रियंका गाँधी के विरोध प्रदर्शन से भाई राहुल नदारद-2

इससे भी अधिक हैरानी की बात है कि हाल के दिनों में संसद में प्रियंका गाँधी ने 2 मुख्य मुद्दों पर साथी सांसदों के साथ विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इसमें उनके भाई राहुल गाँधी का कोई अता-पता नहीं रहा। शनिवार (14 दिसंबर, 2024) को उन्होंने वायनाड में आई प्राकृतिक आपदा के बाद केंद्र सरकार पर वित्तीय मदद में कोताही का आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में राहुल गाँधी उनके साथ नहीं दिखे। फिर उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दिखावा दिया, इसमें भी अन्य कांग्रेसी सांसद तो दिखे लेकिन उनके भाई नहीं।

‘सोनिया गाँधी को सब मालूम’: वरिष्ठ पत्रकार

लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी को कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार ओमकार चौधरी राहुल गाँधी बनाम प्रियंका की लड़ाई के संबंध में कहते हैं, “पार्टी के भीतर दोनों भाई-बहनों के अलग-अलग पॉवर सेंटर वर्षों पूर्व बन चुके हैं। दोनों की जो टीम है, उनमें आपस में बोलचाल तक नहीं है। एक-दूसरे के बारे में खबरें तक प्लांट कराई जाती हैं। ये अब विस्फोटक स्थिति में पहुँचता जा रहा है।”

वो आगे बताते हैं, “सार्वजनिक मंचों पर बर्फ से खेलते या साथ में स्कूटी चलाते या गाल खींचते जो ये दिखाई देते हैं – ये सिर्फ कैमरों के लिए है। वास्तविक परिस्थितियाँ तनावपूर्ण हैं। सोनिया गाँधी इसे अच्छी तरह समझती हैं, तभी वो प्रियंका गाँधी वाड्रा को राजनीति में आगे नहीं आने देना चाहती थीं।”

इधर प्रियंका गाँधी पर भी अब सवाल उठ रहे हैं क्योंकि एक तरफ वो फिलिस्तीन के लिए चिंता दिखा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ वायनाड में एक जनजातीय समाज के व्यक्ति को कार से घसीटा गया है। एक वृद्धा को मृत्यु के बाद एम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुआ।

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