जिन मुस्लिमों की मदद करते थे बनवारी लाल गोयल, उन्होंने ही उन्हें ज़िंदा जला दिया: संभल की मिल से निकली थीं 14 लाशें

अफवाह के बाद इस्लामी भीड़ ने मार डाले थे 23 हिंदू

संभल हिंसा 1978 जामा मस्जिद

संभल में मस्जिद को लेकर 46 साल पहले भी हुआ था दंगा

इतिहास अक्सर खुद को दुहराता आया है। संभल में 24 नवंबर को विवादित मस्जिद को लेकर हुई हिंसा इस बात का प्रमाण है। 46 साल पहले साल 1978 में संभल में जब 23 बेगुनाह हिंदुओं को मार डाला गया था, तब भी हिंसा का केंद्र मस्जिद ही थी।

तारीख थी 28 मार्च 1978, स्थान था संभल की जामा मस्जिद और अफवाह थी कि हिंदुओं ने मस्जिद के इमाम की हत्या कर दी है और साधु मस्जिद में पूजा कर रहे हैं। इस अफवाह के बाद मुस्लिम लीग के नेता मंजर शफी की समर्थक इस्लामी भीड़ हिंदुओं के खून की प्यासी हो गई और पूरी जिंदगी मुस्लिमों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाने वाले बनवारी लाल गोयल समेत 14 मासूम हिंदू जलाकर मार डाले गए। पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने बनवारी लाल गोयल के परिवार से बात की है। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। स्वाति ने ग्राउंड रिपोर्ट कर 46 साल पुरानी हिंसा के सच को एक्स में पोस्ट कर दुनिया के सामने लाने की कोशिश की है।

स्वाती ने अपने पोस्ट में लिखा है कि साल 1978 में, संभल के नक्शा बाजार के पास 4 बीघे में फैली एक मिल थी। बनवारी लाल गोयल उस मिल के मालिक और इलाके के नामी व्यक्ति थे। उनकी न्यायपरकता के चलते सभी वर्ग के लोग, न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम भी उनके पास अपने मामले हल कराने के लिए जाते थे। बनवारी के विश्व हिंदू परिषद का अध्यक्ष होने के बाद भी मुस्लिम उनके पास मदद मांगने के लिए जाते थे और वह दिल खुलकर सभी की मदद करते थे।

इन तमाम बातों के बाद भी जब एक अफवाह के चलते हिंसा भड़की तो मुस्लिमों को न तो बनवारी लाल याद आए और न उनके एहसान। 28 मार्च, 1978 को दंगाई तेजी से संभल में आतंक फैलाते जा रहे थे। इस आतंक से बचने के लिए बनवारी लाल गोयल के परिवार के लोगों और कर्मचारियों ने मिल में छिपकर खुद को सुरक्षित समझ लिया था। उनका मानना था कि बनवारी हमेशा से ही सबकी मदद करते आए हैं, इसलिए कोई भी उनकी मिल पर हमला नहीं करेगा। चूंकि बनवारी लाल गोयल भी उस दिन मिल में ही थे, इसलिए भी लोगों को लगा कि यहां तो सब ठीक ही रहेगा। लेकिन हुआ ठीक उलट।

हिंदुओं के खून की प्यासी इस्लामी भीड़ पूरी प्लानिंग के साथ ट्रैक्टर लेकर बनवारी लाल की मिल पहुंची थी। मुस्लिमों ने पहले तो ट्रैक्टर से मिल की दीवारें गिराईं और फिर जलते टायर अंदर फेंककर सबको मौत के घाट उतारने की कोशिश की गई। इस पूरी हिंसा में 23 हिंदुओं समेत 25 लोग मारे गए थे। वहीं 14 लोग जिंदा जलाकर मार डाले गए थे।

इस घटना के करीब 6 घंटे बाद बनवारी लाल गोयल के बेटे विनीत और नवनीत जब मिल में पहुंचे तो वहां सिर्फ राख ही बची थी। सबकुछ जलकर खाक हो चुका था। हालत यह थी कि मिल के अंदर किसी का शव तक नहीं मिला। बनवारी के बेटों विनीत और नवनीत के बहुत ढूंढने के बाद अगर कुछ मिला तो सिर्फ और सिर्फ बनवारी लाल गोयल का चश्मा। इसके बाद, विनीत और नवनीत को समझ आया कि उनके पिता जिन लोगों पर जीवन भर उपकार करते रहे उन्हीं लोगों ने उन्हें मार डाला।

पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा से हुई बातचीत में बनवारी लाल के बेटे विनीत गोयल ने तत्कालीन डीएम फरहत अली पर दंगाइयों का साथ देने का आरोप लगाया। साथ ही कहा, “जब मैं वहां पहुंचा तो वहां सबकुछ जल चुका था, टायरों से धुआँ निकल रहा था, सभी लोग जल चुके थे। हमें कोई शव भी नहीं मिला। सब कुछ राख में बदल चुका था। हरद्वारी लाल नामक व्यक्ति ड्रम में छिप गए थे, इसलिए वह किसी तरह से बच गए थे। ड्रम के छेद से उन्होंने अपने मालिक और उनकी संपत्ति को जलते हुए देखा था।”

पिता की मौत और मिल के जलकर खाक हो जाने के बाद बनवारी लाल के तीनों बेटे नवनीत, विनीत और सुनीत साल 1993 तक संभल में ही रहे। लेकिन फिर मिल का अधिकांश हिस्सा बेचकर वे दिल्ली आ गए और पिपरमिंट का बिजनेस शुरू किया। संभल में उस मिल का कुछ हिस्सा आज भी बाकी है, जहां दशकों से हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं। विनीत गोयल कहते हैं कि उस हिंसा के बाद उनसे कुछ लोग मिलने आए थे, जिन्होंने उनको बताया था कि उनके पिता बनवारी लाल के व्यापार में शामिल कुछ लोगों का भी इस घटना में हाथ था। इसके बाद से तीनों भाइयों ने कभी भी दूसरे समुदाय के लोगों के साथ बिजनेस नहीं किया।

गोयल परिवार समेत 14 हिंदुओं को जलाकर मारने समेत 25 लोगों की मौत को लेकर न तो आज मेन स्ट्रीम मीडिया बात करता है और न ही मीडिया ने तब बात की थी। हां एक बात जरूर है कि जिस तरह राजनीतिक रोटियां सेंकने और लाशों पर राजनीति करने के लिए संभल को साल 1978 और 2024 में हिंसा की आग में झोंक दिया गया था, उसी तरह आगे भी लोगों को उकसाकर और अफवाहों के जरिए दंगे कराए जाते रहेंगे और लोगों की लाश पर सरकार बनाने की कोशिशें होती रहेंगी। sambhal violence jama masjid hinsa hari har mandir sambhal banwari lal goyal sambhal hinsa 1978 sambhal danga 1978 sambhal news 

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