पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का निधन: निर्दलीय विधायक से मुख्यमंत्री बनने तक कैसा रहा उनका सफर

2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे एसएम कृष्णा

भारत के पूर्व विदेश मंत्री, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा (एसएम कृष्णा) का 92 वर्ष की आयु में निधन (SM Krishna Passed away) हो गया है। कृष्णा ने सोमवार देर रात करीब 2:45 बजे बेंगलुरु स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। वे उम्र संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। उनके निधन पर कर्नाटक सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक का एलान किया है और उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। इससे पहले भी बीते अगस्त में उन्हें सांस से जुड़ी परेशानी के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन तब उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।

एसएम कृष्णा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि सभी वर्गों के लोग उन्हें पसंद करते थे और उन्होंने हमेशा दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में मुझे कृष्णा जी के साथ बातचीत करने के कई अवसर मिले हैं और मैं उन बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ॐ शांति।”

कृष्णा का शुरुआती जीवन

1 मई 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली में जन्मे कृष्णा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई मैसूर के महाराजा कॉलेज से की थी। इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से LLB की पढ़ाई पूरी की थी। उन्हें अमेरिका में पढ़ने के लिए फुलब्राइट स्कॉलरशिप मिली थी और वहां से उन्होंने लॉ में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी। अमेरिका से वे पढ़ाई कर वापस लौट आए और उन्होंने दिल्ली में वकालत करना शुरू कर दिया था। हालांकि, उनका मन पूरी तरह वकालत में नहीं रमा और कुछ समय बाद वे राजनीति में आ गए। कहा जाता है कि उनकी राजनीति में रूची अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही जाग गई थी और वहां उन्होंने जॉन एफ कैनेडी के राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार किया था।

कृष्णा का राजनीतिक जीवन

एसएम कृष्णा ने 1960 के दशक में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी थी। 1962 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और कांग्रेस के उम्मीदवार को पटखनी देकर विधायक बन गए थे। विधायक बन जाने के बाद भी वे बेंगलुरु के एक लॉ कॉलेज में इंटरनेशनल लॉ पढ़ाया करते थे। इसके बाद वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी यानि PSP में शामिल हो गए और 1967 का चुनाव PSP के टिकट पर लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुछ ही समय बाद वे 1968 में मांड्या लोकसभा से उप-चुनाव जीत गए थे। एसएम कृष्णा कांग्रेस में शामिल हो गए और 1971 में मांड्या लोकसभा सीट से फिर से चुनाव जीता। हालांकि, 1972 में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और वे कर्नाटक सरकार में मंत्री बन गए।

बीजेपी में हुए थे शामिल

1983 वे इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे और इंदिरा गांधी के निधन के बाद वे वापस राज्य की राजनीति में लौट आए। 1989 में वे कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष बने इसके बाद वे 1993 में कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री भी रहे। 1999 वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने 2004 तक मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया। 2004 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया और मार्च 2008 तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे। 2009 में कृष्णा, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में उन्होंने विदेश मंत्री का पद भी संभाला था। 2017 वे बीजेपी में शामिल हो गए (SM Krishna Joined BJP) और उन्होंने जनवरी 2023 में घोषणा की कि वह अब सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे।ेस

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