श्रीलंका के नए राष्ट्रपति दिसानायके ने कुछ ऐसे चीन को दिया झटका: पहला दौरा भारत का, किया बड़ा वादा

चीन की कूटनीति को झटका या भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत?

PM Modi with Sri Lanka's President Disanayaka

PM Modi with Sri Lanka's President Disanayaka

2022 में चीन से लिए हुए कर्ज के भारी बोझ, बढ़ती महंगाई और खाद्य संकट के कारण श्रीलंका की जनता तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई थी। विरोध प्रदर्शनों के दबाव में उन्हें पद छोड़ना पड़ा, और इस संकट ने श्रीलंका को गहरे आर्थिक और राजनीतिक संकट में धकेल दिया, जिससे सत्ता में बड़ा बदलाव आया। अंतरिम सरकार बनाई गई और रानील विक्रमसिंघे को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में पदभार सौंपा गया। इसके बाद हुए चुनावों में जनता विमुक्ति परमुख पार्टी ने जीत हासिल की, और अनुरा कुमार दिसानायके को राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।

चीन की कूटनीति को झटका या भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत?

इस चुनावी जीत को कई देश भारत विरोधी मानसिकता के तहत भारत की कूटनीतिक हार मान रहे थे, लेकिन दिसानायके का पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा चीन के बजाय भारत को चुना गया, जो न केवल चीन और भारत विरोधी मानसिकता को एक बड़ा झटका है, बल्कि इसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। इस यात्रा ने भारत को कूटनीतिक मोर्चे पर मजबूती प्रदान की और चीन के प्रभाव को कमजोर किया।

 

पहली विदेश यात्रा भारत क्यों? 

श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके का यह दौरा कूटनीतिक दृष्टि से जितना महत्वपूर्ण है, उससे भी ज्यादा यह श्रीलंका के आर्थिक और राजनीतिक संकट से उबरने के लिए जरूरी है। दरअसल, श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है, जो 2022 से पहले जीडीपी का 5-6% हिस्सा था। लेकिन 2022 में जब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन उभरे और श्रीलंका कर्ज के बोझ तले दब गया, तो चीन के सामने झुकी सरकार और भारत के प्रति तनाव ने श्रीलंकाई पर्यटन में बड़ी गिरावट दर्ज की। संकट के बाद, पर्यटन का जीडीपी में योगदान घटकर 1-2% रह गया। इसके बाद, भारत ने कूटनीतिक पहल करते हुए श्रीलंका के पर्यटन को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप 2024 की शुरुआत में ही भारतीय पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। मीडिया के अनुसार श्रीलंका पर्यटन ने 2024 की शुरुआत में ही 2,00,000 भारतीय पर्यटकों का स्वागत किया।

राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत को चीनी खतरे को लेकर किया आश्वस्त

याद दिला दें कि चीन की भारतीय महासागर में बढ़ती रणनीतिक गतिविधियों ने भारत के लिए खतरे की घंटी बजाई थी, खासकर 2022 में हम्बनटोटा पोर्ट पर चीनी मिसाइल-ट्रैकिंग जहाज के आगमन के बाद। इसके बाद, कर्ज में डूबे श्रीलंका ने किस्तों के तौर पर चीन को 99 साल के लिए इस पोर्ट का पट्टा दे दिया, जिससे भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया। इस घटनाक्रम ने भारतीय महासागर में चीन की सैन्य उपस्थिति पर सवाल उठाए।

भारत को चीनी खतरे को लेकर किया आश्वस्त

इस मुद्दे पर तीन दिवसीय भारत दौरे पर आये श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने 16 दिसंबर को आश्वासन दिया कि उनका देश भारत की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा और किसी भी रूप में अपने क्षेत्र का उपयोग भारत की सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा। यह आश्वासन उनकी भारत यात्रा का हिस्सा था, जो उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा था. इस दौरान उन्होंने उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अन्य क्षेत्रीय चिंताओं पर भी चर्चा की।

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