खालिस्तानी आतंकी ने धार्मिक सजा काट रहे सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर में चलाई गोली; जानें कौन है हमलावर चौरा?

इस हमले में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए हैं

हमलावर को लोगों ने पकड़ लिया है

हमलावर को लोगों ने पकड़ लिया है

शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) पर बुधवार (4 दिसंबर) को जानलेवा हमला किया गया है। सुखबीर सिंह बादल बेअदबी मामले में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में दरबान बनकर धार्मिक सजा काट रहे थे और इस दौरान एक हमलावर ने उन पर गोली चला दी है। इस घटना में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए हैं। घटना के बाद स्वर्ण मंदिर परिसर में हड़कंप मच गया और घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया है। इस घटना के वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें हमलावर सुखबीर सिंह बादल की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। इससे पहले की हमलावर बादल को गोली मार पाता लोगों ने बंदूक को पकड़ लिया और गोली दीवार में जाकर लगी है।

कौन है हमलावर चौरा?

अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने बादल पर हमले की कोशिश किए जाने की पुष्टि की है और पुलिस ने बताया कि हमलावर का नाम नारायण सिंह चौरा है। खालिस्‍तानी आतंकी (Khalistani terrorist) के तौर पर पहचाना जाने वाला नारायण, आतंकी संगठन बबर खालसा से जुड़ा रहा है। नारायण पर 2004 में चंडीगढ़ जेल से फरार हुए खालिस्तानी आतंकियों की मदद करने का भी आरोप है। साथ ही, नारायण पर करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं और वह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से भी जुड़ा हुआ था। पुलिस का कहना है कि नारायण 1984 में पाकिस्तान चला गया था और उसने उग्रवाद के शुरुआती दौर में पंजाब में हथियारों-विस्फोटकों की बड़ी खेपों की तस्करी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सुखबीर बादल को क्यों मिली सजा?

सुखबीर बादल पर ईशनिंदा के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलवाने में मदद करने के आरोप हैं। दावा किया गया था कि बादल ने राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस लेने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था और उनके खिलाफ गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई भी नहीं की। साथ ही, डीजीपी सुमेध सैनी की नियुक्ति को भी धार्मिक रूप से गुनाह माना गया है। श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल को वो गुरुद्वारे में सेवादारी करने, बर्तन धोने और पहरेदारी करने की सजा सुनाई थी। साथ ही उन्हें सजा के तौर पर श्री दरबार साहिब में बने सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई भी करनी थी। घटना के दौरान वे पहरेदारी कर रहे थे।

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