‘हम शाहजहाँ की औलाद हैं, एक भी हिन्दू को नहीं रहने देंगे’: बांग्लादेश के मौलाना ने उगला ज़हर, कहा – ये गुजरात नहीं

Jamaat-e-Islami linked Maulana Imran Hussain incites public against Hindus

Jamaat-e-Islami linked Maulana Imran Hussain incites public against Hindus

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के नेतृत्व वाला बांग्लादेश (या कहें जेहादिस्तान) इन दिनों अल्पसंख्यकों के लिए किसी नर्क से कम नहीं रह गया है। कट्टरपंथ और नफरत के दम पर सत्ता में आये कट्टरपंथी अनुयायियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना जैसे अपना अधिकार मान लिया है। Buddhist Unity Council की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद अगस्त 2024 में 1,769 सांप्रदायिक घटनाएं सामने आईं। जिसे बांग्लादेश पुलिस ने यह कहकर नकार दिया कि इनमें से अधिकांश घटनाएं “राजनीतिक कारणों” से प्रेरित थीं, न कि धार्मिक आधार पर।

इस बीच सोशल मीडिया पर जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कट्टरपंथी मौलाना इमरान हुसैन का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मौलाना खुलेआम ज़हर उगलते हुए कहता है, “बांग्लादेश के 56,000 वर्ग मील में एक भी हिंदू को रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” यह बयान केवल कट्टरपंथ की भाषा नहीं, बल्कि बांग्लादेश में चल रहे एक सुनियोजित एजेंडे की ओर इशारा करता है।

ऐसे में जहां एक तरफ हिंदुओं के घर जला दिए जा रहे हैं, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, और उनकी संपत्ति पर कब्जा किया जा रहा है। शांति और सद्भाव का संदेश देने वाले इस्कॉन जैसे संगठनों पर बेवजह कार्रवाई की जा रही है। वहीं दूसरी ओर नफरत फैलाने वाले इन जिहादियों पर सरकार का कोई नियंत्रण क्यों नहीं है?

जमात-ए-इस्लामी मौलाना का भड़काऊ बयान 

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें जमात-ए-इस्लामी से जुड़े मौलाना इमरान हुसैन जहर उगलते हुए कह रहे हैं, “बांग्लादेश के 56,000 वर्ग मील में एक भी हिंदू को रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” इस वीडियो में वह भारत के कुछ राज्यों का उल्लेख करते हुए कहते हैं, “यह गुजरात नहीं है, यह सिक्किम नहीं है, यह कश्मीर या हैदराबाद नहीं है। यह मुसलमानों की जन्मभूमि है, और हम शाहजहां के वंशज हैं। बांग्लादेश में एक भी हिंदू को जगह नहीं मिलेगी।”

 

इस बयान ने बांग्लादेश में फैल रहे हिंदू विरोधी माहौल को उजागर किया है। भले ही वीडियो का स्थान और तारीख अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन बांग्लादेश की वर्तमान सरकार के अधीन हिंदू विरोधी घटनाओं में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस्लामी कट्टरपंथी तत्व खुलेआम इस तरह के बयान दे रहे हैं, और ऐसा लगता है कि सरकार इन बयानों और घटनाओं पर नकेल कसने के बजाय इन्हें अनदेखा कर रही है।

यह बयान और घटनाएं सिर्फ हिंदू विरोधी मानसिकता को ही बढ़ावा नहीं देतीं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि बांग्लादेश में अब अल्पसंख्यकों के लिए कोई स्थान बचा नहीं है। इस अंतरिम सरकार की नाकामी और कट्टरपंथी ताकतों को मिली खुली छूट यह साफ कर देती है कि बांग्लादेश अब धार्मिक कट्टरता के रास्ते पर पूरी तरह से चल पड़ा है।

 

 

 

 

 

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