उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास की दीक्षा ली है और वे संन्यासी बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार (24 जनवरी) को संगम तट पर पिंडदान किया था और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। इसके बाद अब ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की साध्वी के रूप में पहचानी जाएंगी। ममता ने इससे पहले अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर उनसे महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा की थी जिसके बाद किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने से जुड़ी घोषणा की थी।
‘महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात’
ममता को लेकर महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के पास भी पहुंची थीं, जहां दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इसके बाद ममता को महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया था जिसके बाद संतों ने उनका पट्टाभिषेक किया था। इस दौरान वे भगवा कपड़े और गले में रुद्राक्ष की बड़ी माला पहने भी नज़र आईं। इससे पहले एक वीडियो में ममता ने बताया था कि वे साध्वी बनने के बाद संगम, अयोध्या और काशी की यात्रा करेंगी।
Former Bollywood actress Mamta Kulkarni has once again captured attention as she arrived in Prayagraj for the Mauni Amavasya Snan on 29 January and shared a video discussing her pilgrimage plans.#mamtakulkarni #PrayagrajMahakumbh2025 #Trending #Bollywood #viral pic.twitter.com/Kyb3BydGxL
— Salar News (@EnglishSalar) January 24, 2025
ममता ने कहा कि अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात है और यह उनके लिए एक बहुत यादगार पल है। उन्होंने कहा, “एक आदि शक्ति और अर्धनारीश्वर स्वरूप से पट्टाभिषेक हो रहा है तो इससे और बड़ी चीज़ क्या हो सकती है।” इसके साथ ही उन्होंने बॉलीवुड में वापसी करने को मना कर दिया है और ममता ने बताया कि वर्ष 2000 से तपस्या करनी शुरु कर दी थी।
कैसे काम करता है किन्नर अखाड़ा?
2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना की गई थी। 2019 के कुंभ से पहले किन्नर अखाड़े ने श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के साथ लिखित समझौता भी किया था। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव के उपासक किन्नर समुदाय को आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में समानता और मान्यता देना है। इस अखाड़े ने अब तक कई महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी बनाए हैं। किन्नर अखाड़ा कुंभ के दौरान विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है। कुंभ में यह शाही स्नान में शामिल होता है और अपने अखाड़े की विशेष परंपराओं का पालन करते हैं। किन्नर अखाड़े की संस्थापक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि किन्नरों को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना होगा तभी जाकर समाज में बदलाव आएगा।