413 सरकारी जमीनें, 93 हेक्टेयर… महाकुंभ के पड़ोस वाले जिले में वक्फ बोर्ड का कब्जा, बना दी मजहबी संरचनाएँ

कौशांबी में 413 जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा

कौशांबी में 413 जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा (Image Source: Panchjanya)

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में जहां इन दिनों सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व ‘महाकुंभ’ (MahaKumbh) धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं इसके पड़ोसी जिले कौशांबी से एक चौकानें वाला खुलासा सामने आया है। इस खुलासे में दावा किया जा रहा है कि जिले में वक्फ बोर्ड द्वारा 93 हेक्टेयर की 413 ज़मीनों पर अवैध कब्जा किया गया है।कौशांबी डीएम का कहना है कि वक्फ ने प्रशासन की ज़मीनों पर ईदगाह, कब्रिस्तान, दरगाह और करबला जैसे मजहबी स्थलों का निर्माण किया है।

Illegal Occupation of Lands by Waqf Board in Kaushambi Area of Delhi NCR (Image Source: Panchjanya)

कौशांबी का खुलासा सामने आते ही मुलायम सरकार द्वारा वक्फ को दिए गए तोहफों को लेकर जनता का गुस्सा अब सामने आ रहा है।

वक्फ की भेंट चढ़ी कौशांबी की तहसीलें

कौशांबी जिले में वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए अवैध कब्जे ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनितिक खामियों को उजागर किया है। जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने इस खुलासे को करते हुए बताया, जिले में 93 हेक्टेयर की 413 सरकारी ज़मीनों पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है, और इन ज़मीनों पर मजहबी स्थलों जैसे ईदगाह, कब्रिस्तान, दरगाह और कर्बला बनाए गए हैं। यह ज़मीनें सरकारी रिकॉर्ड में जीएस लैंड के रूप में दर्ज हैं, जो इस कब्जे को और भी गंभीर बनाता है। प्रशासन ने इस मामले को शासन के पास भेज दिया है, और अनुमति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दिलचस्प यह है कि ये अवैध कब्जे तीन प्रमुख तहसीलों—चायल, सिराथू और मंझनपुर—में पाए गए हैं। सर्वे और सत्यापन के दौरान चायल तहसील में सबसे ज्यादा 44 हेक्टेयर ज़मीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा मिला है। सिराथू में 26 हेक्टेयर और मंझनपुर में 23.11 हेक्टेयर ज़मीन पर कब्जा किया गया है। इन ज़मीनों पर शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्तियाँ पाई गईं हैं। फिलहाल इस मामले में डीएम ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है। जिसकी सूचना देते हुए उन्होंने बताया कि सभी तहसीलों से आई रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद रिपोर्ट को आगे भेज दिया गया है, शासन से अनुमति मिलने के बाद आगे की आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि तत्कालीन सरकार द्वारा क्या इस प्रकार के अवैध कब्जे को चुपचाप बढ़ावा दिया गया था, ताकि एक खास वर्ग को संतुष्ट किया जा सके?

 

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