अरविंद केजरीवाल जैसे नेता सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति का उपयोग केवल चुनावी फायदे के लिए करते हैं, और यह कोई नई बात नहीं है। इन नेताओं का असली उद्देश्य हिंदू समाज की आस्थाओं का फायदा उठाकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना है। 19 जनवरी 2025 को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी जनसभा में रामायण की एक विकृत और अपमानजनक व्याख्या की, जिससे उनके असली इरादे उजागर हो गए।
न सिर्फ रामायण, बल्कि 21 जनवरी 2025 को एक पॉडकास्ट में गीता का भी अपमान करते हुए एक अलग ही प्रसंग उसमे जोड़ दिया है। यह उनका नया तरीका बन गया है—अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति का अपमान करना। इस प्रकार के नेता हिंदू समाज की धार्मिक आस्थाओं को केवल एक साधन के रूप में देखते हैं, जबकि उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ प्राप्त करना है। यह स्वांग भारतीय राजनीति में एक बीमारी बन चुका है, जिसमें धर्म का उपयोग केवल वोट बैंक के रूप में किया जाता है।
केजरीवाल का गीता का अपमान
अरविंद केजरीवाल ने 21 जनवरी 2025 को पत्रकार शुभांकर मिश्रा के साथ एक पॉडकास्ट में गीता का एक प्रसंग पेश किया, जो न केवल पूरी तरह से काल्पनिक था, बल्कि गीता के वास्तविक सिद्धांतों से भी मेल नहीं खाता था। इस पॉडकास्ट में उन्होंने एक विकृत गीता पेश करते हुए कहा कि गीता में द्रौपदी और युधिष्ठिर के बीच एक संवाद है, जिसमें द्रौपदी युधिष्ठिर से कहती है, “आप तो धर्मवान हैं, फिर भी जंगल में क्यों बैठे हैं, जबकि दुर्योधन जैसे पापी महलों में बैठे हैं?”
गीता में द्रौपदी-युधिष्ठिर प्रसंग? आज संध्या मैं केजरीवाल रामायण और केजरीवाल महाभारत का पाठ लाइव करूँगा। pic.twitter.com/8Z4wW2BjOl
— Ajeet Bharti (@ajeetbharti) January 22, 2025
सोमवार को रामायण का अपमान करने के बाद गीता का ये अपमान करने को लेकर सोशल मीडिया पर केजरीवाल को जमकर ट्रोल किया जा रहा है. उनके इस बयान पर चुटकी लेते हुए एक यूजर ने लिखा, “”गरुड़ पुराण में भी एक प्रसंग आता है जिसमें सुनीता केजरीवाल अरविंद केजरीवाल से पूछती है कि आप इतने भ्रष्ट हैं, फिर भी दिल्ली की जनता ने आपको 10 साल क्यों बिठाया?”
केजरीवाल की राजनीति और धर्म का दिखावा
अरविंद केजरीवाल की चुनावी जनसभा में सुनाई गई ‘अलग रामायण’ और उनके द्वारा विकृत गीता की व्याख्या यह साफ दर्शाती है कि उनका धर्म के प्रति कोई वास्तविक सम्मान नहीं है। इसको लेकर हिंदू संगठनों और बीजेपी नेताओं द्वारा भी केजरीवाल पर निशाना साधा जा रहा है। कल (21 जनवरी 2025) को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल की नीयत को लेकर सटीक सवाल उठाए और उन्हें खुलकर “चुनावी हिंदू” करार दिया। सचदेवा ने कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर में उपवास का ऐलान करते हुए इसे केवल सनातन धर्म का अपमान नहीं, बल्कि केजरीवाल की राजनीति का असली चेहरा भी बताया।
हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि रामायण और सनातन धर्म को राजनीति का हथकंडा बनाना केजरीवाल जैसे नेताओं का पुराना ढोंग है। जहां आमतौर पर अरविंद केजरीवाल खुद को गर्व से नास्तिक बताते रहे हैं, वहीं जैसे-जैसे चुनाव पास आते हैं, वह चुनावी हिंदू का पाखंडी चोला पहनकर नजर आने लगते हैं। राम मंदिर का विरोध करने वाले केजरीवाल अब चुनावी वोट बैंक को साधने के लिए मंदिर भी जाते हैं और खुद को नास्तिक कहने वाले केजरीवाल दिल्ली चुनावों में हनुमान भक्त बनकर अंजनीसुत की आरती का पाठ करते भी दिखाई देते हैं।