महाकुंभ में विदेशी भी बोल रहे ‘मेरा भारत महान’: पहुँच रहे रूस-फ्रांस-इटली-अमेरिका समेत दुनिया भर के श्रद्धालु, कह रहे-मोक्ष की तलाश में आया हूँ

महाकुंभ के पहले ही दिन 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किया स्नान

महाकुंभ विदेशी श्रद्धालु

महाकुंभ में विदेशी भी बोल रहे 'मेरा भारत महान (फोटो साभार: ANI)

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत सोमवार (13 जनवरी, 2025) से हो चुकी है। प्रयागराज में आयोजित हो रहे इस महापर्व के पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। भारत ही नहीं दुनियाभर के कई देशों के श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होने प्रयागराज पहुंच रहे हैं। विदेशी श्रद्धालु इस आयोजन को देखकर खुश नजर आए, कुछ ने ‘मेरा भारत महान’ कहकर प्रसन्नता जाहिर की तो कुछ ने भारत को आध्यात्मिक दुनिया का केंद्र बताया है।

महाकुंभ के पहले दिन ही 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी शामिल थे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए रूस से आई एक महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मेरा भारत महान। मैं रूस की हूं…यूरोप में काम करती हूं वहीं रहती हूं। यह बहुत विशाल मेला है, मैं पहली बार कुंभ में शामिल होने आई हूं। हम बहुत उत्साहित हैं, यहां वास्तविक भारत देखने को मिल रहा है। यहां के लोग ही असली ताकत हैं। इस पवित्र स्थान के लोगों के उत्साह से रोमांचित हो रही हूं। मां गंगा में स्नान करने वाले लोग भाग्यशाली हैं। मेरा भारत महान।”

दक्षिण अफ्रीका से आए एक श्रद्धालु ने कहा, “यह अद्भुत है, सब कुछ पूरी तरह से व्यवस्थित है। यहां सारी सड़कें साफ हैं। लोग बहुत मिलनसार और खुश हैं… हम सनातन धर्म का पालन करते हैं हम तिलक लगाते हैं। हम इसे पढ़ाते हैं और विश्व में इसका प्रचार भी करते हैं। हम यहां 1 जनवरी, 2025 को आए थे। उसके बाद वाराणसी गए और अब यहां आए हैं।”

ब्राजील से आए एक श्रद्धालु ने कहा, “मैं योग करता हूं और मैं मोक्ष की तलाश में हूं। यहां सब अद्भुत है, भारत दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र है। मैं पहले वाराणसी गया था और अब यहां आया हूं। यहां पानी जरूर ठंडा है, लेकिन मेरा हृदय गर्मजोशी से भरा हुआ है। जय श्री राम।”

144 साल बाद बने इस अद्भुत संयोग का क्या है महत्व

महाकुंभ 2025(MahaKumbh 2025) को विशिष्ट बनाने वाला सबसे बड़ा कारण यह है कि यह दुर्लभ संयोग 144 वर्षों बाद आया है। यह कोई साधारण आयोजन नहीं है, बल्कि ऐसा अवसर है जो किसी व्यक्ति के जीवनकाल में एक बार ही प्राप्त हो सकता है। हर 12 वर्ष में होने वाले कुंभ को पूर्णकुंभ कहा जाता है, लेकिन जब 12 पूर्णकुंभ पूरे हो जाते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन होता है। यह न केवल भारत के सनातन धर्म की आस्था को पुष्ट करता है, बल्कि पूरी दुनिया को हमारी प्राचीन परंपराओं की विशालता का सजीव अनुभव भी कराता है।

महाकुंभ की खास बात यह है कि इसमें दुनियाभर से लोग भारतीय संस्कृति का अनुभव करने आते हैं। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना का प्रतीक है, जो सभी को जोड़ने का संदेश देता है। अलग-अलग अखाड़े, संप्रदाय, साधु-संत यहां आकर एकता और समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यह आयोजन भारत के उस गौरवशाली सनातन धर्म की झलक है, जो सर्वसमावेशी है और हर जीव में ईश्वर के दर्शन करता है।

त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती का यह संगम आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। महाकुंभ में स्नान केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और जीवन के गहरे अर्थ को समझने का अवसर भी है। इस अद्भुत आयोजन के माध्यम से भारत पूरी दुनिया को यह संदेश देता है कि भले ही हमारी भाषा, वेशभूषा, संप्रदाय अलग हों, लेकिन हम सब एक ही सनातन धारा से जुड़े हैं।

महाकुंभ हमारी संस्कृति का ऐसा भव्य पर्व है, जहां आस्था के साथ-साथ ज्ञान और विज्ञान का भी संगम होता है। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी देता है। यहां आकर हर व्यक्ति यह महसूस करता है कि भारतीय संस्कृति में कितनी गहराई है, जो न केवल भौतिक जीवन को बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण को भी महत्व देती है।

आज जब दुनिया आपसी विभाजन और मतभेदों से जूझ रही है, महाकुंभ जैसा आयोजन यह दिखाता है कि कैसे भारत विविधताओं में एकता का संदेश देने वाला देश है। यहां हर संप्रदाय, हर पंथ एक साथ आकर यह साबित करता है कि सनातन धर्म की नींव करुणा, प्रेम और सह-अस्तित्व पर टिकी है। महाकुंभ केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म की जीवंत आत्मा है, जो युगों-युगों से हमारे जीवन को दिशा देती आई है।

प्रयागराज का यह महायोग भारत की उसी अमर सनातन संस्कृति का उत्सव है, जो हमें विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर है। यही वह शक्ति है जो भारत को महान बनाती है और दुनिया के हर कोने से आए लोगों को यह कहने पर मजबूर करती है—“मेरा भारत महान।”

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