चोलों की धर्मभूमि पर मिशनरियों का कब्जा, एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च पर बुलडोजर चलाएगी नायडू-पवन कल्याण सरकार

जिस चर्च में हर महीने 3000 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया जाता है, उस पर चलेगा बुलडोजर

Guntur Church Demolition News

Guntur Church Demolition News (Image Source: CalvaryTemple)

गुंटूर, जो कभी चोल वंश के शैव मंदिरों और सनातन संस्कृति के गौरव का प्रतीक था, आज मिशनरियों की सक्रियता के कारण धर्मांतरण का केंद्र बनता जा रहा है। जिस क्षेत्र में कभी हिंदू धर्म के पवित्र स्थल चमकते थे, वहां अब धर्मांतरण की आक्रामक गतिविधियाँ अपना पैर पसार चुकी हैं। हाल ही में नायडू-पवन कल्याण सरकार ने गुंटूर के पेडकाकनी मंडल स्थित कैल्वरी टेम्पल चर्च पर कार्रवाई का आदेश दिया है। सरकारी जाँच में यह सामने आया कि चर्च की कई संरचनाएँ बिना वैध अनुमति के बनाई गई थीं। प्रशासन ने साफ किया है कि केवल अवैध ढाँचों को ही ध्वस्त किया जाएगा।

Calvary Temple

यह स्थिति साफ दिखाती है कि कैसे गुंटूर, जो कभी हिंदू सभ्यता का केंद्र हुआ करता था, आज मिशनरियों के षड्यंत्र का शिकार हो रहा है। धर्मांतरण के नाम पर अवैध निर्माण कर समाज के धार्मिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिशें जारी हैं।

हर महीने 3000 हिंदुओं का धर्मांतरण

नवंबर 2024 में, गुंटूर के कैल्वरी टेम्पल चर्च के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय में एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत में कहा गया था कि चर्च का संचालन बिना किसी सरकारी अनुमति के किया जा रहा था, जिसमें पंचायती राज, राजस्व, पुलिस और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभागों की मंजूरी शामिल नहीं थी। इसके अलावा, आरोप था कि चर्च के पादरी डॉक्टर सतीश कुमार ने टैक्स का भुगतान किए बिना दान के रूप में पैसे इकट्ठे किए और लोगों को धोखा दिया।

जाँच के बाद यह सामने आया कि चर्च न सिर्फ अवैध रूप से चल रहा था, बल्कि यह गरीबों को राशन और फर्जी वादों के माध्यम से हिंदुओं का धर्मांतरण कर रहा था। अक्टूबर 2024 में रिपोर्ट आई कि डॉक्टर सतीश कुमार, जो हैदराबाद से थे, के नेतृत्व में यह चर्च हर महीने 3,000 से ज्यादा हिंदुओं को ईसाई मजहब में धर्मांतरित कर रहा था।

पादरी सतीश कुमार ने यह भी दावा किया था कि वह अब तक 3.5 लाख से ज्यादा हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर चुके हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अगले 10 वर्षों में पूरे भारत में ऐसे 40 और चर्च स्थापित करने की योजना बनाई थी।

चोलों की धर्मभूमि गुंटूर आज मिशनरियों के धर्मांतरण का अड्डा

गुंटूर, जिसे कभी चोल साम्राज्य के शैव धर्म और भव्य मंदिरों के लिए जाना जाता था, आज अपनी सांस्कृतिक पहचान को खोता हुआ प्रतीत हो रहा है। चोलों ने इस क्षेत्र को न केवल धार्मिक धरोहर दी, बल्कि यहां के मंदिरों और स्थापत्य कला ने हिंदू धर्म की आस्था को एक नया आयाम दिया। चोल काल के दौरान, गुंटूर और इसके आसपास कई ऐसे मंदिर बने, जिनका वास्तुशिल्प आज भी इस क्षेत्र की धरोहर है। यह भूमि शैव परंपराओं और चोलों के धार्मिक प्रभाव का केंद्र रही है, जहां पूजा, भक्ति और संस्कृति की मजबूत नींव रखी गई।

लेकिन अब वही गुंटूर, जो कभी धर्म और संस्कृति का प्रतीक था, मिशनरी गतिविधियों के कारण एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। यहां आज धर्मांतरण की नापाक साजिशें चल रही हैं, जो हिंदू समाज को विभाजित करने और उसकी सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की कोशिश कर रही हैं। गुंटूर, जो कभी चोलों के साम्राज्य और धर्म का गढ़ था, आज मिशनरियों के धर्मांतरण के खेल का अड्डा बन चुका है।

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