उमर अब्दुल्ला ने दिल खोलकर की पीएम मोदी की तारीफ, EVM पर सवाल उठाने वालों को खूब सुनाया; टूट गया INDI गठबंधन?

पिछले लंबे समय से INDI गठबंधन में टूट की जो खबरें थीं, उन्हें उमर अब्दुल्ला के बयानों के बाद और बल मिल गया है

उमर अब्दुल्ला ने चुनावों में धांधली को लेकर अक्सर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को भी खूब सुनाया है

उमर अब्दुल्ला ने चुनावों में धांधली को लेकर अक्सर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को भी खूब सुनाया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (13 जनवरी) को जम्मू कश्मीर के गांदरबल में Z-Morh टनल का उद्घाटन किया है। श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण परियोजना के उद्घाटन समारोह में जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई नेता उपस्थित रहे। जम्मू कश्मीर के हालिया चुनाव के बाद यह पहला मौका था जब पीएम मोदी और उमर अब्दुल्ला ऐसे किसी आयोजन में पहुंचे थे

हाल ही में, जम्मू कश्मीर के नए मुख्यमंत्री चुने गए अब्दुल्ला ने कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी की जमकर तारीफ की जिसके बाद नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। पिछले लंबे समय से INDI गठबंधन में टूट की जो खबरें थीं, उन्हें अब और बल मिल गया है।

क्या बोले उमर अब्दुल्ला?

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे 2 केंद्र प्रशासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बदले जाने के बाद पहली बार हुए चुनावों को लेकर उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा, “आप अपनी बात पर कायम रहे और चार महीनों के अंदर आपने जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाए। जम्मू कश्मीर में आपने लोगों को वोट देने का और अपनी सरकार चुनने का मौका दिया है।”

उमर ने कहा, “आज इस बात का नतीजा है कि वज़ीर-ए-आला (मुख्यमंत्री) की हैसियत से मैं इस कार्यक्रम में शिरकत करके आपसे बात कर रहा हूं।” उन्होंने कहा, “मैं दिल की गहराइयों से आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आप इस ठंड में हमारे पास आए। बाहर बेशक सर्दी है लेकिन हमारे दिलों में गर्मी की कोई कमी नहीं है। जम्मू कश्मीर से आपका पुराना रिश्ता रहा है और मैं चाहता हूं कि आप बार-बार आएं और ऐसे ही हमारी खुशी में शामिल हों।”

EVM विरोधियों को उमर ने खूब सुनाया

इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने चुनावों में धांधली को लेकर अक्सर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को भी खूब सुनाया है। उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की मौजूदगी में कहा, “आपने जो चुनाव कराए, उसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। सबसे बड़ी बात यह कि कहीं पर भी धांधली की कोई शिकायत नहीं मिली, कहीं पर भी हुकूमत के ग़लत इस्तेमाल की कोई शिकायत नहीं मिली, एक भी पोलिंग बूथ पर फिर से चुनाव कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी।”

उन्होंने कहा, “इसका श्रेय आपको, आपके साथियों को और चुनाव आयोग को जाता है।” उमर ने कहा कि उनका दिल यह कहता है कि बहुत जल्द ही वज़ीर-ए-आज़म साहब अपना तीसरा वादा (जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का) जो योग दिवस पर आपने जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ किया उसे आप पूरा करेंगे।

INDI गठबंधन टूटने की कगार पर है?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA से मुकाबले के लिए बना INDI गठबंधन अब टूट की कगार पर पहुंच गया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी अकेले BMC चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला से लेकर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP), यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (SP) और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सभी में कांग्रेस से नाराज़गी नज़र आ रही है।

जुलाई 2023 में बेंगलुरु में 26 पार्टियों के साथ शुरू हुए इस गठबंधन के सहयोगी दल ही इसमें दरार आने की बात कर रहे हैं। बिहार में गठबंधन की सहयोगी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कुछ दिनों पहले कहा था कि INDI गठबंधन का मुख्य उद्देश्य लोकसभा चुनाव में BJP को हराने तक ही सीमित था। वहीं, तेजस्वी के इस बयान के दो दिन बाद ही शिवसेना (उबाठा) सांसद संजय राउत ने कहा कि अब अगर INDIA ब्लॉक का वजूद नहीं है तो कांग्रेस घोषणा कर दे, हम अपने-अपने रास्ते चुन लेंगे।

INDIA अलायंस बनने के 5 महीने बाद ही जनवरी 2024 में पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था। इस गठबंधन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नीतीश कुछ समय बाद ही गठबंधन से अलग होकर NDA से जुड़ गए थे। इसके बाद INDI गठबंधन ने BJP को 2024 लोकसभा चुनाव में बहुमत से पहले रोक दिया गया था लेकिन NDA ने अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया था। अब बीतते समय के साथ ममता को इसका अध्यक्ष बनाने की मांग ने ज़ोर पकड़ा था। कांग्रेस मौजूदा समय में राहुल गांधी के अलावा किसी को INDI गठबंधन का नेता मानने को तैयार नहीं है और इनमें से बड़ी संख्या में दल राहुल का नेतृत्व स्वीकारने की स्थिति में नहीं हैं।

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