दलित बेटी के दर्द को दबाने के लिए मुस्लिमों को बना दिया पीड़ित, पढ़िए साजिश का कच्चा चिट्ठा: हमारी ग्राउंड रिपोर्ट, कुशीनगर से

लड़के ने आगे कहा, "मैं आपके चैनल के माध्यम से यह अपील करता हूं कि वे हमारी बेटी को वापस कर दें, और हम सारे मामले वापस ले लेंगे। हम सिर्फ एक परिवार हैं, और हमें समाज में अपनी प्रतिष्ठा को लेकर डर और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।"

कुशीनगर, दलित-मुस्लिम

कुशीनगर में दलितों का दर्द छिपा रहा मीडिया, मुस्लिमों को बचाने के लिए पहल

कुशीनगर में एक दलित परिवार की जिंदगी तब अचानक उलट-पुलट हो गई, जब उनकी बेटी के गायब होने की खबर ने आग की तरह पूरे इलाके में हलचल मचा दी। कुशीनगर में दलित बेटी के दर्द को दबाने के लिए मीडिया ने मुस्लिमों को ही पीड़ित बना दिया। इस घटना के बीच, मीडिया और सोशल मीडिया ने बिना तथ्यों की सही जांच किए ऐसी कहानियां फैलाईं, जिनमें मुस्लिम पक्ष को पीड़ित और दलित परिवार को दोषी के रूप में पेश किया गया। इन दावों ने पूरी घटना का मूल स्वरूप ही बदल दिया, और सच सामने लाने के बजाय भ्रम और गलतफहमियों को बढ़ावा दिया।

8 जनवरी 2025 को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र में दलित पक्ष ने मुस्लिम महिलाओं के साथ अमानवीय बर्ताव किया और उन्हें नग्न कर पीटा। यह खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। लेकिन जब हमारी टीम ने इस मामले को लेकर पीड़ित दलित परिजनों से हकीकत जानने की कोशिश की, तो स्थिति कुछ और ही निकली। परिजनों से बातचीत में पता चला कि यह मामला उनकी बेटी के गायब होने से जुड़ा है, और जो खबरें फैलाई गईं, वे उन्हें बदनाम करने की कोशिश थी और सच्चाई से कोसों दूर थीं।

कुशीनगर: दलित बेटी का अपहरण, मुस्लिम कट्टरपंथियों की करतूत

कुशीनगर में हाल ही में घटित एक घटना ने मीडिया की लापरवाही और गलतफहमियों को उजागर किया है। दलित परिवार का आरोप है कि उनकी बेटी का अपहरण कर उसे मुस्लिम समुदाय के एक युवक, अल्ताफ, द्वारा ले जाया गया, जो पहले से ही विवाहित है। अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया द्वारा गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।

लड़की के भाई ने हमारी टीम से बातचीत करते हुए कहा, “मीडिया जानबूझकर इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। मुस्लिम समुदाय के लोग लगातार हमारे परिवार को बदनाम करने में लगे हुए हैं। इस समय, आरोपित मुस्लिम परिवार 10 दिनों से फरार है। कल (9 जनवरी 2025) एक मुस्लिम मीडिया टीम हमारे पास आई थी, और हमने उन्हें कहा कि हमारी बहन को वापस भेज दीजिए, हम सारे केस वापस ले लेंगे।”

परिजनों का कहना है कि जब उनकी बेटी गायब हुई, तो उन्होंने तुरंत गोरखपुर पुलिस से मदद मांगी। लड़की के भाई ने आगे बताया, “28 दिसंबर को हमारी बहन को एक मुस्लिम युवक लेकर भाग गया। हमने उसी दिन गोरखपुर थाने में शिकायत की। 2 जनवरी को पुलिस आई और हम लोग उनके साथ आरोपित के घर गए। हमने पुलिस को रास्ता दिखाया और वहां पहुंचने पर पता चला कि आरोपित के घर के सारे पुरुष फरार हो चुके थे, और सिर्फ महिलाएं वहां मौजूद थीं। पुलिस एक युवक को पूछताछ के लिए हमारे साथ ही थाने लेकर आयी.”

इतना ही नहीं, परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस के जाने के बाद आरोपित परिवार की महिलाएं उनके घर आकर जातिसूचक गालियां देने लगीं और मारपीट की। लड़के के भाई ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “जब पुलिस लड़के को लेकर गयी, तो इनकी महिलाओं ने बौखलाहट में हमारे घर की महिलाओं को जातिसूचक गालियां दीं और बुरी तरह से पीटा।”

गैंग बनाकर मुस्लिमों ने किया घेराव

परिजनों का कहना है कि जब उनकी बेटी के लापता होने के बाद उन्हें न्याय की उम्मीद थी, तो कुछ लोग इसे सांप्रदायिक मोड़ देकर पूरी घटना का स्वरूप ही बदलने की कोशिश कर रहे हैं। 2 जनवरी के बाद से आरोपित मुस्लिम परिवारों ने गांव में उनके खिलाफ एक नफरत भरा माहौल बनाना शुरू कर दिया। लड़की के भाई ने हमारी टीम से बात करते हुए कहा, “पुलिस के जाने के बाद, हमारे खिलाफ माहौल और भी खराब किया गया। इन लोगों ने अफवाह फैलानी शुरू की कि उसकी मां का निधन हो गया है, और उसके बाद मुस्लिमों का एक समूह हमारे घर के पास इकट्ठा हो गया।

जब हम चार दिन बाद अपनी बहन को खोजने गए, हमारी महिलाएं घर पर अकेली थीं, तब मुस्लिमों की भीड़ हमारे घर के सामने पहुंच गई। इसके बाद हमने अपनी महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें मायके भेज दिया।”

लड़के ने आगे कहा, “मैं आपके चैनल के माध्यम से यह अपील करता हूं कि वे हमारी बेटी को वापस कर दें, और हम सारे मामले वापस ले लेंगे। हम सिर्फ एक परिवार हैं, और हमें समाज में अपनी प्रतिष्ठा को लेकर डर और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि हमारी बेटी वापस आए ताकि हमारा परिवार फिर से सम्मान से जी सके।”

पुलिस ने भी बताया मनगढंत

3 जनवरी को दलित परिवार ने अपनी शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 5 जनवरी को मुस्लिम पक्ष ने भी नेबुआ नौरंगिया थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। मुस्लिम परिवार ने बताया कि “हमारे गांव के जयकुमार की बेटी किसी लड़के के साथ शादी करने की योजना बनाकर घर से भाग गई है। इसके बाद हमारे परिवार पर यह आरोप लगाया गया कि मेरा बेटा, रोजमुहम्मद, ने ही उसे भगाया।

इससे नाराज होकर, 2 जनवरी, 2025 को सुबह लगभग 8 बजे, सन्नी पुत्र केश्वर, जयकुमार पुत्र रमई, माधो पुत्र जयकुमार, कृष्णा पुत्र जयकुमार, जड़ावती पत्नी जयकुमार, मैना पत्नी अखिलेश और अखिलेश पुत्र रमई, एकजुट होकर हमारे घर पहुंचे। उन्होंने गालियां दीं और घर में घुसकर मुझे, मेरी देवरानी कैसुन नेशा और खुशबुन नेशा को लाठी-डंडों से मारा और जान से मारने की धमकी दी।”

कुशीनगर मुस्लिम पक्ष FIR

हालांकि, इस रिपोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने इन दिनों सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में फैलाए जा रहे किसी भी ऐसे आरोप का जिक्र नहीं किया है, जिसमें यह कहा गया हो कि लड़की के परिजनों ने उन्हें नग्न कर पूरे गांव में घुमाया। पुलिस ने भी अपनी जांच के दौरान यह साफ किया कि पीड़ित महिलाएं अपनी कहानी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही हैं और घटनाओं को लेकर झूठी बातें फैलाई जा रही हैं।

 

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