साध्वी ऋतंभरा को ‘पद्म भूषण’ पर छाती पीट रहा वामी गिरोह: अनाथों-बुजुर्गों के लिए ‘वात्सल्य ग्राम’, जनजातीय बेटियों के लिए स्कूल चलाती हैं ‘दीदी मां’

साध्वी ऋतम्भरा

पद्म भूषण साध्वी ऋतम्भरा (फोटो साभार: VatsalyaGram)

राम मंदिर आंदोलन में अपने क्रांतिकारी भाषणों से जोश भरने वाली साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। इस ऐलान के बाद से वामी-कामी गैंग और हिंदू विरोधी चेहरे खुलकर सामने आ गए हैं। इसमें राजदीप जैसे कई ‘पत्रकार’ भी शामिल हैं। साध्वी ऋतंभरा को सिर्फ राम मंदिर आंदोलन के लिए नहीं बल्कि वात्सल्य ग्राम के जरिए सैकड़ों बच्चों और गायों की सेवा के लिए भी उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया जाना है।

साध्वी ऋतंभरा त्याग, तपस्या, समाजसेवा की प्रतिमूर्ति हैं। लेकिन हिंदूफोबिया से ग्रसित लोगों को यह सब दिखाई नहीं दे रहा। उन्हें ‘गजवा-ए-हिंद’ की बात करने वालों की तरह रह-रह कर सिर्फ राम मंदिर ही याद आ रहा है।

सोशल मीडिया पर अश्लील कार्टून शेयर करने वाले दीपक नामक यूजर ने एक्स पर लिखा, “पद्म भूषण, भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है, जो उच्च कोटि की विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है। साध्वी ऋतंभरा ने क्या विशिष्ट सेवा की है? जानने के लिए वीडियो देखें। हमारे गणतंत्र को ऋतंभरा जैसे लोगों से खतरा है। जाकिर नाइक और ऋतंभरा में कोई अंतर नहीं है, सिवाय इसके कि जाकिर नाइक टोपी पहनता है और ऋतंभरा भगवा वस्त्र पहनती हैं।”

हिंदू विरोधी मानसिकता के मशहूर ‘द हिंदू’ की उप संपादक विजिता सिंह ने एक्स पर लिखा, “साध्वी ऋतंभरा, जिन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस में भाग लिया था और जिन पर CBI ने आपराधिक गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया था। उन्हें ‘सामाजिक कार्य’ श्रेणी में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।”

‘पत्रकार’ राजदीप सरदेसाई ने लिखा, “यह सुनकर बहुत अच्छा लगा कि लीबिया लोबो सरदेसाई को पद्मश्री मिला। यह गोवा मुक्ति संग्राम के कई गुमनाम नायकों के लिए एक उचित सम्मान है। कुमुदिनी लाखिया जैसी नृत्यांगना को पद्म विभूषण मिलना भी बहुत अच्छा लगा। दूसरी तरफ, साध्वी ऋतंभरा जिन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस (जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ‘आपराधिक कृत्य’ बताया) में सक्रिय रूप से भाग लिया था और विवादास्पद भाषण दिए थे, उन्हें पद्म भूषण मिला है। कोई क्या कह सकता है सिवाय इसके कि 75 साल बाद अब एक ‘नए’ गणतंत्र का निर्माण हो रहा है।”

संतोष नामक यूजर ने लिखा, “गणतंत्र दिवस यानी जिस दिन भारतीय कथित तौर पर स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व की संवैधानिक शपथ दोहराते हैं और एकता, धर्मनिरपेक्षता और विविधता का जश्न मनाते हैं,  उस दिन साध्वी ऋतंभरा को पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया । उन्होंने उमा भारती और विजयराजे सिंधिया के साथ मिलकर 1990 के दशक की भीड़ को भड़काऊ भाषणों से उकसाया था।”

आज राजदीप सरदेसाई जैसे कथित पत्रकार भले ही साध्वी ऋतंभरा को सम्मानित करने पर सवाल उठा रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि साध्वी ने राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक अपना सम्पूर्ण जीवन समाजसेवा में ही लगाया है। राजदीप सरदेसाई को तो पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने ही करार जवाब दे दिया है। अशोक श्रीवास्तव ने लिखा, “जिनके अपने घर शीशे के होते हैं और घर में पर्दे भी नहीं होते उन्हें बत्ती बुझा कर कपड़े बदलने चाहिए। राजदीप सरदेसाई को दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी को पद्म भूषण मिलने पर ऐतराज है। राजदीप भूल गए कि उन्हें कांग्रेस सरकार ने कैश फॉर वोट के स्टिंग ऑपरेशन को दबाने और मनमोहन सरकार को बचाने के बदले में पद्मश्री दिया था।”

इतना ही नहीं, मोहित शर्मा नामक यूजर ने राजदीप, बरखा दत्त व अन्य को पुरुष्कार मिलने का फोटो शेयर करते हुए लिखा, “जब सोनिया गांधी की पूजा करने पर कांग्रेस के एक गुलाम को पद्मश्री मिल सकता है तो साध्वी ऋतंभरा को भी मिल सकता है आपकी क्या उपलब्धियां थी जो आपको बरखा दत्त के साथ पद्म पुरस्कार मिला राजदीप? राजीव गांधी को 8000 सिखों की हत्या के बाद भारत रत्न मिला इंदिरा गांधी के राज में भोपाल गैस त्रासदी में 24000 लोगों की मौत के बाद इंदिरा गांधी को भारत रत्न मिला साध्वी ने बाबर और बाबर की औलादों के खिलाफ भाषण दिए, जो लोग भगवान राम और राम मंदिर के अस्तित्व को नकार रहे थे।”

राम मंदिर से वात्सल्य ग्राम तक

राम मंदिर आंदोलन में, “हां हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है।” और “महाकाल बनकर दुश्मन से टकराएंगे, जहां बनी है मस्जिद, मंदिर वहीं बनाएंगे।” जैसे नारों के चलते साध्वी ऋतंभरा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। हालांकि इस पहचान के अतिरिक्त ‘दीदी मां’ वाली पहचान भी साध्वी ऋतंभरा की ही है। राम मंदिर आंदोलन के बाद साध्वी ऋतंभरा ने साल 2001 में वृंदावन में वात्सल्य ग्राम की स्थापना की थी, जहां अनाथ बच्चे और बुजुर्ग एक साथ एक घर और परिवार की तरह रहते हैं।

पूरे वात्सल्य ग्राम में माँ, मौसी और भाई-बहन वाला वातावरण होता है। यहां रहने वाले बच्चे उन्हें दीदी मां कहकर पुकारते हैं। साध्वी बालिका सैनिक स्कूल और जनजातीय बेटियों के लिए स्कूल जैसी कई संस्थाएं भी संचालित करती हैं। इतना ही नहीं साध्वी ऋतंभरा NID अहमदाबाद के जरिए ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैंडलूम प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं।

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