राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया और देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी है। 75 वर्ष पहले 26 जनवरी के दिन ही भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के आर्थिक विकास से लेकर महाकुंभ तक के विषयों पर बातचीत की है। राष्ट्रपति मुर्मू ने भगवान बिरसा मुंडा समेत तमाम स्वाधीनता सेनानियों को याद किया जिन्होंने देश को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों के कालखंड में लंबे समय से सोई हुई भारत की आत्मा फिर से जागी है और हमारा देश विश्व-समुदाय में अपना समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुआ है।
संविधान सभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारी संविधान सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। उन्होंने कहा, “हमारी संविधान सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं। दुनिया के कई हिस्सों में जब महिलाओं की समानता को एक सुदूर आदर्श समझा जाता था तब भारत में, महिलाएं, राष्ट्र की नियति को आकार देने में सक्रिय योगदान दे रही थीं।”
आर्थिक विकास पर राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश
अपने संदेश में राष्ट्रपति मुर्मू ने देश की आर्थिक विकास दर की भी तारीफ की है। उन्होंने कहा, “आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी। समावेशी विकास, हमारी प्रगति की आधारशिला है, जिससे विकास का लाभ व्यापक स्तर पर अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुंचता है।”
उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है, इसलिए प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और अटल पेंशन योजना जैसी वित्तीय समर्थन योजनाओं का विस्तार किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता पहुंचाई जा सके।”
नए आपराधिक कानूनों पर क्या बोलीं राष्ट्रपति?
औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानूनों को नए आपराधिक कानूनों से बदले जाने पर उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे हैं। उन्होंने कहा, “हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रयासों में – Indian Penal Code, Criminal Procedure Code, और Indian Evidence Act के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।”
राष्ट्रपति ने की एक देश, एक चुनाव की तारीफ
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश में एकसाथ चुनाव कराने से संबंधित विधेयक को सुशासन की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा, “देश में चुनावों को एक साथ सम्पन्न कराने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक, एक और ऐसा प्रयास है, जिसके द्वारा सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवस्था से शासन में निरंतरता को बढ़ावा मिल सकता है, नीति-निर्धारण से जुड़ी निष्क्रियता समाप्त की जा सकती है, संसाधनों के अन्यत्र खर्च हो जाने की संभावना कम की जा सकती है तथा वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इनके अलावा, जन-हित में अनेक अन्य लाभ भी हो सकते हैं।”
‘महाकुंभ विरासत की अभिव्यक्ति’
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को राष्ट्रपति मुर्मू ने विरासत की अभिव्यक्ति बताया है। राष्ट्रपति ने कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं।”
शिक्षा क्षेत्र पर क्या बोलीं राष्ट्रपति?
राष्ट्रपति मुर्मू ने शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वार बढ़ाए गए निवेश को लेकर कहा कि युवा पीढ़ी की प्रतिभा शिक्षा के द्वारा ही निखरती है। उन्होंने कहा, “सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया है तथा शिक्षा से संबंधित प्रत्येक मानक में सुधार के लिए समग्र प्रयास किए हैं। अब तक के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शिक्षण- माध्यम के रूप में, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विद्यार्थियों के प्रदर्शन में आशा के अनुरूप उल्लेखनीय सुधार हुआ है। महिला शिक्षकों ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दशक के दौरान नियुक्त शिक्षकों में महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत से अधिक है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “स्कूल स्तर की शिक्षा का आधार मजबूत बनाने के साथ-साथ, हमारे देश में विद्यार्जन की विभिन्न शाखाओं, विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की जा रही हैं। Intellectual Property Filings की दृष्टि से भारत का विश्व में छठा स्थान है। Global Innovation Index में भारत की ranking लगातार बेहतर हुई है। वर्ष 2020 में भारत, 48वें स्थान पर था। स्थिति में सुधार करते हुए, वर्ष 2024 में, भारत 39वें स्थान पर आ गया है।”
डी. गुकेश की राष्ट्रपति ने की तारीफ
साथ ही, राष्ट्रपति मुर्मू ने Space Docking Experiment पूरा करने पर ISRO को बधाई दी है और खेलों के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कद का भी ज़िक्र किया है। उन्होंने कहा, “पैरालिंपिक खेलों में, हमने अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा, जिसने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। FIDE शतरंज ओलंपियाड में हमारे खिलाड़ियों ने विश्व समुदाय को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया तथा पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते। वर्ष 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट का सामना करने के प्रयासों में योगदान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर भारत Mission Lifestyle for Environment नामक एक जन-आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की तारीफ करते हुए बताया कि इस अभियान का 80 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य समय-सीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया है।





























