गरीबी दर पर मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक: ग्रामीण दर 25.7% से घटकर 4.86% पर, शहरी गरीबी भी आई रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर

गांव और शहर में घटती असमानता

PM Narendra Modi's Stellar Start to 2025

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भारत में गरीबी हमेशा से एक गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय रही है। दशकों तक ‘गरीबी हटाओ’ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। पुरानी सरकारें गरीबी उन्मूलन के नाम पर योजनाओं की घोषणाएं करती रहीं, लेकिन गरीबों के जीवन में असल बदलाव नहीं ला सकीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। मोदी सरकार के प्रभावी नीतिगत सुधारों और विकास केंद्रित दृष्टिकोण के चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 में ग्रामीण गरीबी दर 25.7% से घटकर सिर्फ 4.86% रह गई है, जबकि शहरी गरीबी दर 4.6% से गिरकर 4.09% के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है।

ग्रामीण दर 25.7% से घटकर 4.86% पर

यह बदलाव कोई इत्तेफाक नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व और गरीबों के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता का नतीजा है। पहली बार, योजनाएं सिर्फ़ कागजों तक सीमित न रहकर ज़मीन पर उतरीं। उज्ज्वला योजना से करोड़ों घरों में धुआं रहित रसोई बनी, जनधन योजना ने गरीबों को बैंकों से जोड़ा, प्रधानमंत्री आवास योजना ने सिर पर छत का सपना साकार किया, और आयुष्मान भारत ने स्वास्थ्य सेवा को हर गरीब तक पहुंचाया। मोदी सरकार ने गरीबी के खिलाफ न सिर्फ जंग का ऐलान किया, बल्कि इसे जीतकर दिखाया। यह है ‘सबका साथ, सबका विकास’ का असली चेहरा।

रिकॉर्ड गिरावट के साथ अब भारत में गरीबी दर 5% से भी कम

भारत में गरीबी हमेशा से एक भावनात्मक और सामाजिक चिंता का विषय रही है। हर चुनाव में गरीबी उन्मूलन बड़े-बड़े वादों का हिस्सा जरूर बनता था, लेकिन हकीकत में हालात शायद ही कभी बदले। देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में लाखों लोग एक समय में दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए संघर्ष करते रहे। 2011-12 में जब गरीबी दर 22% के करीब थी, तब किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि एक दशक बाद भारत गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर इतनी बड़ी सफलता हासिल कर लेगा।

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आई सरकार ने इस नामुमकिन से दिखने वाले लक्ष्य को संभव कर दिखाया। सरकारी नीतियों और योजनाओं ने जमीनी स्तर पर बदलाव लाया, जिससे आज भारत की गरीबी दर 5% से भी नीचे आ गई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 25.7% से घटकर मात्र 4.86% रह गई, जबकि शहरी गरीबी 4.6% से घटकर 4.09% पर आ गई है।

गरीबी दर के यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि उन लाखों परिवारों की कहानी है, जो आज सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं। उज्ज्वला योजना ने जहां घर-घर में रसोई गैस पहुंचाई, वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों गरीबों को पक्की छत मिली। जनधन योजना ने गरीबों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें आर्थिक तौर पर सशक्त बनाया, तो आयुष्मान भारत योजना ने उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देकर जीवन की नई उम्मीद दी।

नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने फरवरी में कहा था कि भारत में अब गरीबों की संख्या 5% से भी कम है, और अब SBI की रिपोर्ट ने इसे और पुख्ता कर दिया है। इस बदलाव के पीछे सिर्फ योजनाएं नहीं, बल्कि एक मजबूत इच्छाशक्ति और दूरदर्शी नेतृत्व का हाथ है। प्रधानमंत्री मोदी की सोच ने इस देश में सिर्फ वादों की राजनीति को खत्म नहीं किया, बल्कि उन वादों को धरातल पर उतारकर दिखाया है।

इन आंकड़ों से एक और महत्वपूर्ण बात सामने आती है—ग्रामीण और शहरी भारत के बीच की खाई लगातार घट रही है। जहां पहले गांव के गरीब सबसे ज्यादा पीड़ित थे, वहीं अब उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे गरीब तबके का खर्च 22% तक बढ़ा है, जबकि शहरी गरीबों का खर्च 18.7% बढ़ा है। साथ ही, आर्थिक असमानता में भी गिरावट आई है, जो बताती है कि विकास का लाभ हर वर्ग तक पहुंच रहा है।

आज भारत में गरीबी केवल एक आंकड़ा बनकर रह गई है, क्योंकि देश तेजी से उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां हर नागरिक के पास सम्मान के साथ जीने का अधिकार होगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने दिखा दिया है कि जब नीयत साफ हो और नीतियां मजबूत, तो विकास की गंगा हर गांव, हर शहर तक पहुंचती है।

ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) में भी दर्ज की गई भारी गिरावट

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गांवों में बुनियादी ढांचे का जाल बिछाया गया, सड़कों का निर्माण हुआ, बिजली और पानी की सुविधाएं पहुंचाई गईं, जिससे गांवों की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ। इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ कि ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच का आय अंतर तेजी से घटा। 2011-12 में जहां ग्रामीण और शहरी MPCE में अंतर 88.2% था, अब वह घटकर 69.7% रह गया है। इसका मतलब साफ है कि अब गांवों के लोग भी अपनी जरूरतों पर ज्यादा खर्च करने में सक्षम हो रहे हैं, जो उनकी बढ़ती आय और बेहतर जीवन स्तर को दर्शाता है।

इसके अलावा, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) ने यह सुनिश्चित किया कि हर व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचे। किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार के अवसर पैदा करने, और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनयापन के स्तर को बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार ने जो कदम उठाए, वे अब अपना असर दिखा रहे हैं। आज गांव के लोग बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और रोज़गार के अवसरों की ओर बढ़ रहे हैं। यह केवल एक आर्थिक उपलब्धि भर नहीं है, बल्कि उस सपने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां भारत एक सशक्त और विकसित राष्ट्र के रूप में उभर सके।

 

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