2400 से अधिक लोगों की मौत: कैसे हुई थी दुनिया की सबसे भयावह भगदड़?

भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को 14 ट्रकों में भरकर लाया गया था

सऊदी अरब में हज यात्रियों का समूह

सऊदी अरब में हज यात्रियों का समूह

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। इस घटना में कई लोगों के मारे जाने और घायल होने की खबरें हैं। सामाजिक से लेकर धार्मिक आयोजनों में अक्सर भीड़ के बढ़ते दबाव के चलते भगदड़ होती है। दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर भीड़ के भगदड़ के सैकड़ों मामले सामने आए हैं जिनमें कुल लाखों लोगों की मौत हुई है। आज बात करेंगे सऊदी अरब में हज के दौरान हुई ‘दुनिया की सबसे भयावह’ भगदड़ की जिसमें 2400 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

2411 हज यात्रियों की हुई मौत

24 सितंबर 2015 को सऊदी अरब के मक्का से सटे मीना शहर में इस्लाम के धार्मिक अनुष्ठान हज के दौरान भयानक भगदड़ मच गई थी। इस दर्दनाक घटना में मौत के अलग-अलग आंकड़े सामने आए थे। सऊदी अरब की सरकार ने इसमें 769 हज यात्रियों के मारे जाने और करीब 940 लोगों के घायल होने की पुष्टि की थी जबकि अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में मृतकों का आंकड़ा 1000 के पार था। सितंबर में हुई इस भगदड़ को लेकर एसोसिएटेड प्रेस ने दिसंबर में मृतकों की संख्या की गणना कर आंकड़े जारी किए थे जिनमें कम से कम 2411 हज यात्रियों के मारे जाने की पुष्टि की गई थी।

नाइजीरिया के एक अधिकारी यूसुफ इब्राहिम याकासाइ ने इस भगदड़ को लेकर बीबीसी को बताया था कि वे जेद्दा गए थे और वहां से लाशों से भरे 14 ट्रकों को शहर में लाया गया था। घटना के करीब 5 दिन बात याकासाइ ने बताया था कि 10 ट्रकों से मुर्दाघरों में 1075 शव उतारे जा चुके हैं। कई देशों के अधिकारियों ने उस दौरान बताया था कि उन्हें मृतकों के 1000 से अधिक फोटो भेजे गए थे। जिससे सऊदी अरब के मृतकों के आंकड़ों की पोल खुल जाती है।

कैसे मची भगदड़?

इस भगदड़ के पीछे कई वजह सामने आई थीं जिनमें हज की रस्में पूरी करने के लिए यात्रियों की भीड़ की जल्दबाज़ी, गर्मी, हज यात्रियों द्वारा एक-दूसरे को धक्का दिया जाना और मक्का व मीना की हज यात्रा पर पहली बार आने वाले कई लोगों के बीच भ्रम की स्थिति जैसी वजहें शामिल थीं। यह भगदड़ मीना में शैतान को कंकड़ मारने की एक (सांकेतिक) धार्मिक प्रक्रिया के दौरान मची थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोग शैतान को कंकड़ मारने के लिए आगे बढ़ रहे थे और कुछ लोग सामने की तरफ से भी आ रहे थे और तभी अचानक अफरा-तफरी मच गई थी। लोग अपनी जान बचाने के लिए एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर उन्हें कुचलने लगे थे जिससे मृतकों का आंकड़ा बढ़ गया था। बीबीसी के मुताबिक, भगदड़ में फंसे लोग चीख पुकार कर रहे थे और मदद मांग रहे थे लेकिन उनकी मदद करने के लिए कोई सामने नहीं आया था

साथ ही, घटना के दिन अत्यधिक गर्मी ने इस हादसे को और भयावह बना दिया था। अत्यधिक गर्मी होने से हज यात्रियों को सांस लेने में तकलीफ हुई और भगदड़ में गिरने वालों की संख्या बढ़ गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के रास्ते पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने पीड़ितों का सही तरीके से मार्गदर्शन नहीं किया था जिससे हालात और बिगड़ गए। हादसे के दौरान घटनास्थल पर मौजूद अधिकांश लोग लोग नाइजीरिया, नाइजर, चाड और सेनेगल के थे। इस हादसे में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के भी सैकड़ों नागरिकों की मौत हुई थी।

‘हादसे पर नहीं था इंसान का वश’

इस भगदड़ को लेकर सऊदी अरब के ग्रैंड मुफ्ती शेख अब्दुल अजीज बिन-अब्दुल्ला अल-शेख ने कहा था कि इस भगदड़ पर इंसानों को कोई वश नहीं था। उन्होंने सऊदी अरब के गृह मंत्री से कहा था कि इसमें किसी का कोई कसूर नहीं है क्योंकि नियति और भाग्य पर किसी का अख्तियार नहीं था। इस घटना को लेकर कई देशों ने सऊदी अरब की आलोचना की थी। इसके अलावा भी अलग-अलग समय पर हज के दौरान भगदड़ की कई घटनाएं हुई हैं। 1990 में भी मक्का से मीना और अराफात के मैदानों की ओर जाने वाली एक पैदल यात्री सुरंग के अंदर 1426 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई जिनमें मलेशियाई, इंडोनेशियाई और पाकिस्तानी मूल के लोग शामिल थे।

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