विरोधी पार्टी के नेताओं को सम्मान देते ‘तानाशाह’ मोदी, ‘संघी’ प्रणब मुखर्जी को गाली देती कांग्रेस: मेमोरियल पर सियासत

आज उन्हीं प्रणब मुखर्जी का कांग्रेस सिर्फ़ इसीलिए अपमान कर रही है, क्योंकि वो गाँधी परिवार से नहीं थे और पीएम मोदी उन्हें सम्मान दे रहे हैं। ठीक इसी तरह, कांग्रेस सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और PV नरसिम्हा राव जैसे अपने ही नेताओं का नाम तक नहीं लेती।

प्रणब मुखर्जी, नरेंद्र मोदी

प्रणब मुखर्जी को 'भारत रत्न' भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ही दिया था

केंद्र सरकार ने दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में राजघाट पर उनका स्मारक बनाने का निर्णय लिया है। ख़ास बात ये है कि प्रणब मुखर्जी ने 40 वर्षों तक कांग्रेस में रह कर राजनीति की। इसके बावजूद उन्हें मोदी सरकार ने न केवल ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया, बल्कि अब उनके सम्मान में दिल्ली में मेमोरियल भी बनाया जाएगा। इस फ़ैसले के बाद दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर उन्हें धन्यवाद दिया। शर्मिष्ठा का कहना है कि परिवार ने ऐसी कोई माँग नहीं की थी, इसीलिए ये न केवल अप्रत्याशित है बल्कि पीएम मोदी के उदार स्वभाव का भी परिचायक है।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया, “बाबा कहते थे कि राजकीय सम्मान के लिए माँग नहीं करनी चाहिए, बल्कि वो स्वतः ही आना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा की याद में ऐसा किया, इसके लिए मैं उनकी बहुत आभारी हूँ। बाबा पर इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, क्योंकि अब वो जहाँ हैं वहाँ प्रशंसा व आलोचना से परे हैं। लेकिन, उनकी बेटी के लिए, मैं अपनी ख़ुशी को शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती। राजघाट परिसीमा में स्थित ‘राष्ट्रीय स्मृति’ में इस स्मारक का निर्माण किया जाएगा। साथ ही वहाँ उनकी समाधि भी बनाई जाएगी।

प्रणब मुखर्जी मेमोरियल: नरेंद्र मोदी सरकार ने दिया सम्मान

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता के ऊपर ‘Pranab My Father: A Daughter Remembers’ नामक पुस्तक भी लिखी है। साथ ही वो ‘प्रणब मुखर्जी लिगेसी फाउंडेशन’ (PMLF) का संचालन भी करती हैं। PMLF ने भी मोदी सरकार के फ़ैसले पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संविधानवाद और लोकतंत्र को अक्षुण्ण रखने में ये मेमोरियल कारगर सिद्ध होगा। बता दें कि जुलाई 2012 से जुलाई 2017 के बीच भारत के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी का अगस्त 2020 में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। सूत्रों का ये भी कहना है कि डॉ मनमोहन सिंह के लिए भी स्मारक बनाया जाएगा और इसके लिए भी ‘राष्ट्रीय स्मृति’ परिसर में जगह चिह्नित कर ली गई है।

ख़ास बात ये है कि प्रणब मुखर्जी को इतना बड़ा सम्मान दिए जाने के बाद भी कांग्रेस नेतागण चुप हैं, उन्होंने इसका स्वागत भी नहीं किया है। याद कीजिए, अगस्त 2019 में जब उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था, तब नेहरू-गाँधी परिवार ने उस कार्यक्रम से दूरी बनाई थी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उस कार्यक्रम में उपस्थित थे। सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी का कोई अता-पता नहीं था, जबकि 40 वर्ष प्रणब मुखर्जी इसी परिवार के वफादार रहे। यहाँ तक कि मनमोहन सिंह भी उसमें शामिल नहीं हुए थे।

राष्ट्रपति भवन ने राहुल गाँधी को आमंत्रित किया था, फिर भी वो नहीं पहुँचे थे। अब कांग्रेस पार्टी प्रणब मुखर्जी का मेमोरियल बनाए जाने के बाद भी उनका अपमान कर रही है। कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा है कि RSS के प्रति प्रणब मुखर्जी के प्यार के लिए उन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। ये वही दानिश अली हैं जिनका लोकसभा में भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने इलाज किया था। उन्होंने झूठा दावा किया कि मनमोहन सिंह की समाधि के लिए जगह की माँग ठुकरा दी गई है, और प्रणब मुख़र्जी का मेमोरियल बनवा कर ‘नीच स्तर की राजनीति’ की जा रही है।

कांग्रेस अपने ही नेता को दे रही गाली

दानिश अली यहाँ संघ को लेकर लेकर आए हैं, क्योंकि प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद पर अपना कार्यकाल पूरा करने के 1 वर्ष बाद जुलाई 2018 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित RSS मुख्यालय में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। वहाँ उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रशंसा की थी, साथ ही संघ के संस्थापक डॉ KB हेडगेवार को भारत माँ का महान बेटा बताया था। ‘संघ शिक्षा वर्ग’ नामक उस कार्यक्रम में देश भर के 700 स्वयंसेवक उपस्थित थे। वहाँ प्रणब मुखर्जी ने संबोधन देते हुए लोकतंत्र और सहिष्णुता की महत्ता समझाई थी।

अब दानिश अली ने प्रणब मुखर्जी का अपमान करते हुए कहा है कि उन्होंने संघ के मुख्यालय में सर झुकाया और डॉ हेडगेवार को धरतीपुर बताया, उन्हें इसी का इनाम दिया जा रहा है। उन्होंने ये भी याद दिलाया कि प्रणब मुखर्जी ने संसद भवन में विनायक दामोदर सावरकर की तस्वीर लगवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वीर सावरकर की तस्वीर संसद के सेन्ट्रल हॉल में लगाने का निर्णय लिया था, तब कांग्रेस नेताओं प्रणब मुखर्जी और शिवराज पाटिल ने इस क़दम का समर्थन किया था।

फिर कांग्रेस ने अब तक शिवराज पाटिल को पार्टी से क्यों नहीं निकाला है? अक्टूबर 2019 में जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तब भी कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने वीर सावरकर की तारीफ़ की थी। सिंघवी ने वीर सावरकर को एक निपुण व्यक्ति बताते हुए कहा था कि उन्होंने न सिर्फ़ दलितों के उद्धार के लिए कार्य किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में जेल भी गए। अभिषेक मनु सिंघवी तो अब तक कांग्रेस में हैं ही? क्यों नहीं निकाला? अगर संघ से जुड़ा होना अपराध है, फिर तो अटल बिहारी वाजपेयी की भी समाधि नहीं बनाई जानी चाहिए थी?

इसमें कोई शक नहीं है कि प्रणब मुखर्जी कांग्रेस एवं गाँधी परिवार के एक वफादार नेता रहे। आपातकाल के दौरान भी वो इंदिरा गाँधी के साथ डट कर खड़े रहे। उन्होंने ही वित्त मंत्री रहते उस आदेश पर हस्ताक्षर किया था, जिसके आधार पर मनमोहन सिंह को RBI का गवर्नर बनाया गया था। 1979 के बाद इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता वही करते थे, इससे उनके क़द का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं। सोनिया गाँधी की राजनीति में एंट्री में उनकी भूमिका थी। 2004 में सोनिया गाँधी के रेस से हटने के बाद उन्हें पीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उनकी जगह मनमोहन सिंह को चुना गया। फिर भी वो गाँधी परिवार के वफ़ादार बने रहे।

प्रणब मुखर्जी का अपमान करती कांग्रेस, सम्मान देते पीएम मोदी

आज उन्हीं प्रणब मुखर्जी का कांग्रेस सिर्फ़ इसीलिए अपमान कर रही है, क्योंकि वो गाँधी परिवार से नहीं थे और पीएम मोदी उन्हें सम्मान दे रहे हैं। ठीक इसी तरह, कांग्रेस सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और PV नरसिम्हा राव जैसे अपने ही नेताओं का नाम तक नहीं लेती। कारण वही – ये सब गाँधी परिवार से नहीं थे। इंडिया गेट पर पीएम मोदी ने नेताजी बोस की प्रतिमा लगवाई। साथ ही उन्होंने वाराणसी एयरपोर्ट पर लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा का अनावरण किया। सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति केवडिया में उन्होंने ही बनवाई, जिसका कांग्रेसियों ने ही विरोध किया था। इसी तरह, PV नरसिम्हा राव को भी सरकार ने ही ‘भारत रत्न’ दिया था।

हाल ही में कांग्रेस ने डॉ भीमराव आंबेडकर को मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर उनके अपमान का आरोप लगाया था। हालाँकि, कांग्रेस को याद दिला दिया गया कि कैसे कांग्रेस ने ही दो-दो बार भीमराव आंबेडकर की हार सुनिश्चित की थी। कांग्रेस गाँधी परिवार के चक्कर में अपने बाकी नेताओं को ख़ुद ही दरकिनार करती चली जा रही है और बाद में मोदी सरकार उन नेताओं को सम्मान देती है तो कांग्रेस अपने उन्हीं नेताओं का अपमान करने पर उतारू हो जाती है। जिन प्रणब मुखर्जी को UPA के 10 वर्षों में सरकार का संकटमोचक कहा था, आज उनसे भी पार्टी को समस्या है।

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताने वालों की भी पोल खुलती है। एक ऐसा नेता जो विरोधियों को इतना सम्मान देता हो, वो तानाशाह कैसे हो सकता है? याद कीजिए, 2019 में दूसरी बार शपथ लेने से पहले पीएम मोदी प्रणब मुखर्जी का आशीर्वाद लेने गए थे, प्रणब दा ने भी उन्हें दही-चीनी खिला कर विदा किया था। इसी तरह 2014-27 के बीच पीएम मोदी कई महत्वपूर्ण और बड़े मुद्दों पर प्रणब मुखर्जी की सलाह लिया करते थे। अब पीएम मोदी कांग्रेस के लिए तानाशाह हैं और प्रणब मुखर्जी RSS के सामने सिर झुकाने वाले।

Exit mobile version