अयोध्या के भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला के एक वर्ष के प्रतिष्ठा का पर्व आज 11 जनवरी को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गर्भगृह में श्रीरामलला का अभिषेक किया। इस अवसर पर हम उन लोगों को जवाब देने जा रहे हैं जो कभी मंदिरों की आवश्यकता पर सवाल उठाते थे और कहते थे कि मंदिरों के निर्माण से सरकार का राजस्व बर्बाद हो रहा है। प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर आज हम बताएंगे कि कैसे राम मंदिर और मंदिरों की अर्थव्यवस्थाएं न केवल देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण में भी अहम योगदान दे रही हैं।
मंदिरों से हो रहा महिला सशक्तिकरण
मंदिरों को अक्सर सिर्फ धार्मिक स्थल के रूप में देखा जाता है, लेकिन इनका आर्थिक परिप्रेक्ष्य भी बहुत महत्वपूर्ण है। मंदिर, खासकर धार्मिक पर्यटन के कारण, महिलाओं के लिए रोजगार के नये रास्ते खोलने का काम करते हैं। यह सिर्फ महिलाओं के सशक्तिकरण का ही नहीं, बल्कि समग्र समुदाय की आर्थिक आत्मनिर्भरता का भी एक अहम साधन बनते हैं।
राम मंदिर और अर्थव्यवस्था
राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। लगभग 13 करोड़ श्रद्धालु एक साल में अयोध्या पहुंचे, जिनमें से 4 करोड़ से अधिक लोगों ने रामलला के दर्शन किए। इस भारी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के कारण अयोध्या में धार्मिक पर्यटन ने जबरदस्त बदलाव लाया है।
इसी के परिणामस्वरूप, अयोध्या में 1200 नए होटल और रेस्टोरेंट्स खुले, जो स्थानीय व्यापारियों और उद्यमियों के लिए एक बड़ी मदद बने। प्रसाद के व्यापार में 500 गुना वृद्धि हुई, और फूलों का कारोबार भी तेजी से बढ़ा। इसके अलावा, राम मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ा, जिससे शहर के प्रमुख मार्ग रोशन हो गए।
राम मंदिर ने केवल व्यापार के क्षेत्र में ही बदलाव नहीं लाया, बल्कि स्थानीय महिलाओं के लिए भी कई अवसर उत्पन्न किए। जैसे गोरखपुर की उद्यमी संगीता पांडे ने 5100 ‘प्रसाद’ बॉक्स तैयार किए, जिससे स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिला। इस तरह के बदलाव यह साबित करते हैं कि राम मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का भी एक बड़ा स्रोत बन चुका है।
सशक्त महिला और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था
भारत में कई मंदिरों ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर, केरल के प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ने महिलाओं को हस्तशिल्प और कलाकृतियों के व्यापार में अवसर दिए। यहां की स्थानीय महिलाएं मंदिर से जुड़ी दुकानों और बाजारों में काम करती हैं, जो उनके आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है। इसी तरह, तमिलनाडु के मीनाक्षी मंदिर ने महिलाओं को धार्मिक आयोजनों और अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
देखें कि कैसे मंदिरों ने महिलाओं के सशक्तिकरण और भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में योगदान दिया है
क्रमांक | दिनांक | स्थान | मंदिर का नाम | विवरण |
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1 | 30 नवंबर, 2024 | अमृतसर, पंजाब | पुष्प पुण्य | 70 महिलाएं मंदिर के फूलों के कचरे से अगरबत्ती और कोन बनाकर रोजगार और स्थिरता को बढ़ावा दे रही हैं। |
2 | 26 सितंबर, 2024 | उत्तराखंड | केदारनाथ मंदिर | 20 स्वयं सहायता समूह मिठाई और प्रसाद का निर्माण और आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे आजीविका में सुधार हो रहा है। |
3 | 17 अगस्त, 2024 | करौली, राजस्थान | कैला मां | प्रसाद के रूप में बेची जाने वाली हरी चूड़ियां 5000 लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। |
4 | 11 जुलाई, 2024 | उज्जैन, मध्य प्रदेश | महाकालेश्वर मंदिर | 16 महिलाएं फूलों के कचरे को उत्पादों में बदलकर ₹10,000/माह तक कमा रही हैं। |
5 | 11 जुलाई, 2024 | तिरुपति, आंध्र प्रदेश | तिरुमला मंदिर | 150 महिलाएं फूलों के कचरे को अगरबत्ती में बदल रही हैं और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग कर रही हैं। |
6 | 1 अप्रैल, 2024 | त्रिपुरा | त्रिपुरेश्वरी मंदिर | महिलाएं मटाबरी पेड़ा के लिए दूध का उत्पादन कर रही हैं, जो पारंपरिक मिठाई है। |
7 | 6 मार्च, 2024 | दिल्ली | – | 3000 महिलाएं मंदिर के फूलों को पुन: चक्रित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बना रही हैं। |
8 | 12 जनवरी, 2024 | अयोध्या, उत्तर प्रदेश | – | महिला उद्यमी ने धार्मिक कार्यक्रम के लिए 5100 विशेष प्रसाद बॉक्स तैयार किए। |
9 | 11 जनवरी, 2024 | संबलपुर, उत्तर प्रदेश | समलेश्वरी मंदिर | महिलाएं मंदिर के फूलों से अगरबत्ती बना रही हैं, जिसे जुहार ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा है। |
10 | 4 जनवरी, 2024 | बाराबंकी, उत्तर प्रदेश | राम मंदिर | महिलाएं एमडीएफ लकड़ी के 3डी मॉडल बनाकर रोजगार प्राप्त कर रही हैं। |
11 | 8 दिसंबर, 2023 | नैनीताल, उत्तराखंड | नैना देवी मंदिर | महिलाएं मंदिर के फूलों से कपड़ों पर डिजाइन बना रही हैं, जो स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देता है। |
12 | 1 अगस्त, 2023 | सतना, मध्य प्रदेश | महाकाल लोक मंदिर | 200 महिलाएं मंदिर की सुरक्षा संभाल रही हैं, जिससे महिला पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। |
13 | 6 मार्च, 2023 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | काशी विश्वनाथ मंदिर | स्वयं सहायता समूह बाजरे से प्रसाद बना रहे हैं, जो स्वास्थ्य और रोजगार को बढ़ावा देता है। |
14 | 29 नवंबर, 2018 | गया, बिहार | बोधगया मंदिर | महिलाएं फूलों के कचरे को प्राकृतिक रंगों में बदलकर खादी की बिक्री को बढ़ावा दे रही हैं। |
15 | 18 मई, 2017 | उत्तराखंड | जागेश्वर मंदिर | महिलाएं स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करके नए प्रकार के प्रसाद का निर्माण कर रही हैं, जो आजीविका को बढ़ावा देता है। |