प्रवासी भारतीय सम्मेलन: जो पहले मज़दूर थे वो अब भेजते हैं अरबों डॉलर, ऐसे बदल रहे भारत की तस्वीर

नवंबर 2024 तक दुनिया भर में भारतीय मूल और अप्रवासी भारतीय लोगों की कुल आबादी 3.54 करोड़ थी

विश्व बैंक के एक आंकड़े के अनुसार, साल 2023 में अप्रवासी भारतीयों ने भारत में कुल 120 अरब डॉलर की राशि भेजी थी

विश्व बैंक के एक आंकड़े के अनुसार, साल 2023 में अप्रवासी भारतीयों ने भारत में कुल 120 अरब डॉलर की राशि भेजी थी

हर दो साल पर मनाया जाने वाला प्रवासी भारतीय सम्मेलन इस बार 8 जनवरी से 10 जनवरी तक ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजन किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 9 जनवरी 2003 को की गई थी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के दौरान भारत सरकार ने इसकी पहल की थी। साल 2003 से साल 2015 तक यह सम्मेलन हर साल मनाया जाता था। हालाँकि, उसके बाद इसे हर दो साल पर आयोजित किया जाता है। इस बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन का 18वाँ आयोजन है। भारतीय प्रवासी राजनीतिक, सरकारी और कूटनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान के जरिए मेजबान देश और अपने देश के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश में बसे भारतवंशियों को अपनी मातृभूमि से जोड़ने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की थी। इस सोच के पीछे भावनात्मक जुड़ाव, सांस्कृतिक चेतना और आर्थिक विजन था। इसके अलावा, सरकार ने प्रवासी भारतीयों की चिंताओं को समझने और उन्हें भारत के विकास में शामिल करने के लिए एक मंच दिया था। इस मंच से वे भारत के लोगों के साथ संपर्क एवं संवाद तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग दे सकते हैं। वे भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को विश्व के पटल पर मजबूती से उतारकर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं। यह मंच दुनिया के अलग-अलग देशों में रहने वाले लोगों को आपसी नेटवर्किंग का मंच भी देता है।

दरअसल, प्रवासी भारतीय दिवस के लिए 9 जनवरी के दिन को विशेष तौर पर चुना गया था। सन 1915 में इसी दिन को महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। इसके बाद उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। महात्मा गाँधी, दक्षिण अफ्रीका में वकालत करते थे। इस साल के सम्मेलन की थीम ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ है। इस सम्मेलन में व्यापार, विज्ञान, कला, सांस्कृतिक उत्थान और परोपकार जैसे क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों के उत्कृष्ट योगदान को सरकार पुरस्कृत करती है। इस बार ऐसे 27 प्रवासी भारतीयों को यह सम्मान दिया जाएगा। यह सम्मान भारत के राष्ट्रपति द्वार दिया जाएगा। यह भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, नवंबर 2024 तक दुनिया भर में भारतीय मूल और अप्रवासी भारतीय लोगों की कुल आबादी 3.54 करोड़ थी। इनमें भारतीय मूल के 1.96 करोड़ लोग हैं, जबकि 1.58 करोड़ अप्रवासी भारतीय हैं। भारतीय मूल के लोग यूरोप, ब्रिटेन, अमेरिका, खाड़ी देश, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में बड़ी संख्या में निवास करते हैं। विदेशों में बसे इन भारतीय लोगों में से अधिकांश उन भारतीयों के वंशज हैं, जो ब्रिटिश शासन काल के दौरान दूसरे देशों में कामगार के रूप में गए थे। आज विश्व के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी है। वे समृद्धि की शिखर तक पहुँच चुके हैं। ये समृद्ध भारतीय इस मंच के माध्यम से भारत में निवेश भी करते हैं, जो भारत की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान साबित होता है।

विश्व बैंक के एक आंकड़े के अनुसार, साल 2023 में अप्रवासी भारतीयों ने भारत में कुल 120 अरब डॉलर की राशि भेजी है। यह राशि 2025 में 129 अरब डॉलर पहुँचने का अनुमान है। भारत के सकल घरेलू उत्पादन का 3.4 प्रतिशत है. अमेरिका इसका सबसे बड़ा स्रोत रहा, जहां से 2021 में 87 अरब डॉलर का योगदान प्राप्त हुआ। विश्व में प्रेषण के रूप में भेजे जाने वाले कुल धन का 13 प्रतिशत भाग भारतीयों द्वारा भेजा जाता है। अगर निवेश की बात करें तो साल 2023-24 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और पोर्टफोलियो निवेश, दोनों मिलाकर सिर्फ 54 अरब डॉलर का था। इससे ढाई गुणा अधिक प्रवासियों ने भारत में अपने परिजनों आदि को धन भेजा। ये अप्रवासी भारतीय भारत की विदेशी मुद्रा की जरूरत की बहुत बड़े पूर्तिकर्ता बनकर सामने आते हैं।

प्रवासी भारतीय ना सिर्फ भारत के लिए दुनिया में सॉफ्ट पावर के रूप में काम करते हैं बल्कि बुनियादी ढाँचा, स्टार्टअप, निवेश, प्रौद्योगिकी अपडेट को भारत तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे भारत में कौशल विकास, ज्ञान-विज्ञान, विशेषज्ञता एवं नवाचार बढ़ाने में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। कई प्रमुख वैश्विक कंपनियों में भारत में जन्मे सीईओ हैं या प्रमुख पदों पर भारतीय मूल के व्यक्ति हैं। इनकी मेजबान देश में अच्छी पकड़ है और वे नीति निर्माण को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे भारत में निवेश और ज्ञान हस्तांतरण के संचालन में मदद कर सकते हैं।

भारत में कई ऐसे स्टार्टअप हैं जो प्रवासी भारतीयों द्वारा संचालित है। प्रवासी भारत सम्मेलन ने कई प्रवासी व्यवसायियों को अपनी मातृभूमि से को उन्नत करने के लिए प्रेरित किया है। अगस्त 2022 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में उभरा है। देश में स्टार्टअप्स की संख्या में 15,400% की वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि साल 2016 के 471 से बढ़कर 30 जून 2022 तक 72,993 हो गई। सिर्फ साल 2021 में 40 नए यूनिकॉर्न ($1बिलियन या उससे अधिक मूल्य की निजी फर्में) अस्तित्व में आईं। स्टार्टअप के कारण देश में अब तक लगभग 1.7 लाख नौकरियाँ पैदा हुई हैं।

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रतिभागियों को पंजीकरण कराना होता है। इसके साथ ही शुल्क का भुगतान करना होता है। हालाँकि, जो विशेष आमंत्रित सदस्य हैं, उन लोगों ये यह जरूरी नहीं होता है। पंजीकरण प्रवासी भारतीय सम्मेलन की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होता है। यह व्यक्तिगत और समूह में भी कराया जा सकता है।

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