जहाँ-जहाँ लोकतंत्र है, वहाँ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लड़ाई स्वाभाविक है। ये लड़ाई आरोप-प्रत्यारोपों के रूप में होती है, चुनावों में अधिक मत पाने के लिए होती है और जनता के समक्ष एक-दूसरे की खामियों को पहुँचाने के लिए होती है। लेकिन, भारत अब इसका अपवाद बनता जा रहा है। बनता क्या जा रहा है, बन गया है। यहाँ सत्तापक्ष विपक्ष से लड़ता है, और विपक्ष देश से लड़ता है। जी हाँ, राहुल गाँधी ने खुल कर घोषणा कर दी है कि उनकी लड़ाई भारतीय राज्य के खिलाफ है, देश के खिलाफ है। बुधवार (15 जनवरी, 2025) को नई दिल्ली में बने कांग्रेस के नए दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने ये ऐलान किया।
चीन के साथ राहुल गाँधी का करार, अब इंडियन स्टेट से लड़ाई
राहुल गाँधी की नज़र में RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ही इंडियन स्टेट है, भाजपा ही इंडियन स्टेट है, अतः उनकी लड़ाई इंडियन स्टेट से है। राहुल गाँधी को ये भी जानना चाहिए कि इस देश की जो जनता है, वो भी इसी इंडियन स्टेट का हिस्सा है। अब राहुल गाँधी ये भी घोषित कर दें कि अगर उनकी लड़ाई भारत के खिलाफ है तो कौन-कौन सी विदेशी ताक़तें इस लड़ाई में उनके साथ है। उधर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा ने कहा है कि वो राहुल गाँधी की सराहना करते हैं, क्योंकि उन्होंने उस सच को बोल दिया है जो लोगों को पहले से ही पता है।
Rahul Gandhi makes its intention clear!
He says
* We are fighting the Indian state”
Rahul Gandhi is in remote control of those forces who want to finish the Indian state!
His intentions are against National Interest! pic.twitter.com/amJdGOG4Rn
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) January 15, 2025
इस बयान को एक तरफ इस रूप में देखा जा सकता है कि राहुल गाँधी कभी भी कुछ भी बोलते रहते हैं। कभी वो संसद में भगवान शिव और गुरु नानक की तस्वीरें दिखा कर अपनी बात साबित करने की कोशिश करते हैं, तो कभी वो चुनावों में मंदिर-मंदिर दर्शन के लिए निकल जाते हैं। कभी वो केंद्र सरकार में सचिवों की जाति गिनते हैं, तो कभी ’85 बनाम 15′ का नारा देकर इस देश को विभाजित करने और आम लोगों को आपस में लड़ाने की साजिश पर काम करते हैं।
दूसरी बात, इस बयान को गंभीर रूप में देखें तो सचमुच हमारे समक्ष एक ऐसा ख़तरा उपस्थित है जिससे जितनी जल्दी निपट लिया जाए उतना अच्छा। याद कीजिए, एक तस्वीर बार-बार हमें इस खतरे की याद दिलाती है। ये तस्वीर तब की है जब 2008 में कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच MoU पर हस्ताक्षर किए गए थे। ये करार कहता है कि न केवल द्विपक्षीय और क्षेत्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर भी ये दोनों दल आपस में विचार-विमर्श करते रहेंगे। इस पर कांग्रेस के राहुल गाँधी और चीन के शी जिनपिंग ने हस्ताक्षर किए थे। इसके 5 साल बाद यही शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति के रूप में पद सँभालते हैं। इस करार से 1 साल पहले अक्टूबर 2007 में भी राहुल गाँधी एक कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन गए थे। जुलाई 2020 में जब डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएँ आमने-सामने थीं, तभी ये चर्चा उड़ी थी कि चीनी राजदूत से राहुल गाँधी ने गुपचुप मुलाकात की है। इसी तरह गलवान संघर्ष के दौरान राहुल गाँधी ने आरोप लगाया था कि चीन ने भारत की जमीनें हड़प ली हैं।
अमेरिका में गुप्त बैठक, देश को अस्थिर करने वालों का साथ
2 साल बाद राहुल गाँधी फिर यही आरोप दोहराते हैं। सितंबर 2024 में वाशिंगटन स्थित नेशनल प्रेस क्लब में वो वो फिर कहते हैं कि चीन ने भारत की जमीनें हड़प ली हैं। इस दौरान वो ये भूल जाते हैं कि उनके ही पूर्वज जवाहरलाल नेहरू ने लद्दाख को लेकर कहा था कि वहाँ घास का एक तिनका भी नहीं उगता। ये वही राहुल गाँधी हैं जिन्होंने मई 2022 में लंदन में कहते हैं कि पूरे देश में केरोसिन तेल छिड़का जा चुका है और सिर्फ एक चिंगारी आएगी और पूरे भार में आग लग जाएगी। अपने ही देश को लेकर ऐसा कौन बोलता है?
इसी तरह, राहुल गाँधी अमेरिका के ‘Regime Change’ विशेषज्ञ डोनाल्ड लू के साथ भी गुप्त बैठक करते हैं। बाद में अमेरिका कहता है कि ये एक ‘नियमित कूटनीतिक संपर्क’ था। अमेरिका का कहना था कि वो तो सरकार और विपक्ष से मिलता-जुलता रहता है। साथ ही इसे ‘प्राइवेट डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन’ भी बताया गया। आखिर ऐसी क्या बात है, जिसे छिपाए जाने की बार-बार आवश्यकता पड़ती है और खुल कर नहीं बताया जाता? राहुल गाँधी अक्सर विदेश दौरों पर जाते रहते हैं और कई बार तो ये तक नहीं पता चलता कि वो कहाँ गए हैं और क्यों।
भारत में भी उन तत्वों को राहुल गाँधी और कांग्रेस का समर्थन हमेशा रहता है, जो सरकार को अस्थिर करने की साजिश में लगे हैं। इसी तरह, CAA के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने एक पूरा का पूरा दुष्प्रचार अभियान चलाया। इस कानून के तहत पड़ोसी इस्लामी मुल्कों के पीड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जाती है।
अभी इंडिया स्टेट से दिक्कत, 14 साल पहले हिन्दुओं को बताया था आतंकी
अब चलिए, थोड़ा 2010 में चलते हैं। राहुल गाँधी ने तब अमेरिकी राजदूत रहे टिमोथी जॉन रोमर से कहा था कि ‘हिन्दू आतंकी समूह’ बढ़ रहे हैं।
जबकि उसी साल पुणे में लश्कर-ए-तैय्यबा, SIMI और इंडियन मुजाहिद्दीन ने जर्मन बेकरी में बम ब्लास्ट को अंजाम दिया था। उसी साल पश्चिम बंगाल के सिल्दा में हमारी अर्धसैनिक बलों के 24 जवानों को मार डाला गया था, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 जवानों को मार डाला गया था। उसी साल दंतेवाड़ा में 30 से अधिक जवानों को एक अन्य हमले में मार डाला गया था। ये हमले ‘लाल आतंकियों’, यानी नक्सलियों ने अंजाम दिया था। उसी साल वाराणसी में इंडियन मुजाहिद्दीन की बमबारी में मौतें हुई थीं। लेकिन, राहुल गाँधी अमेरिका को क्या बता रहे थे? यही कि ‘हिन्दू आतंकवाद’ गंभीर खतरा है। ये है राहुल गाँधी की विचारधारा, आज नहीं बल्कि आज से डेढ़ दशक पहले भी वो स्पष्ट थे इसे लेकर।
Wikileaks के एक केबल से ये खुलासा हुआ था। जुलाई 2009 में राहुल गाँधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर अमेरिकी राजदूत से ये बातें कही थीं। सोचिए, तब देश 26/11 के मुंबई हमलों को भूला भी नहीं था। केबल के अनुसार, लश्कर-ए-तैय्यबा की चर्चा किए जाने पर राहुल गाँधी ने कहा था कि इससे बड़ा ख़तरा तो ‘कट्टर हिन्दू समूहों’ का उभार है, जिसने सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है और जो मुस्लिम समाज से झगड़ा करते हैं। उन्होंने इसे ‘स्वदेशी कट्टरपंथी मोर्चा’ बताते हुए कहा था कि ये चिंता लगातार बढ़ती ही जा रही है और इस पर ध्यान देना होगा।
फिर राहुल गाँधी आज अगर भारत देश के विरुद्ध युद्ध का ऐलान करते हैं तो इसमें क्या आश्चर्य? 2010 में जो व्यक्ति अमेरिका से भारत के हिन्दुओं पर कार्रवाई करने के लिए कह रहा था, वो व्यक्ति अब पूरे देश को लपेट रहा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। कहते हैं, कभी-कभी अपने मुँह से वो निकल ही जाता है जो आपके मन में चल रहा होता है। भले ही ग़लती से, राहुल गाँधी ने एक तरह से सच्चाई बयाँ कर दी है। अब देखना है, भारतीय जाँच एजेंसियाँ इसे किस तरीके से लेती हैं।