गणतंत्र दिवस समारोह में स्वदेशी ‘तेजस’ की गैरमौजूदगी पर ‘कंट्रोवर्सी’ क्यों? तेजस की क्षमता पर सवाल उठाने वालों का ज्ञानवर्धन

तेजस गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस समारोह में स्वदेशी ‘तेजस’ की गैरमौजूदगी पर ‘कंट्रोवर्सी’ क्यों?

हर बार की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस के करीब आते ही स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान को लेकर एक खास एजेंडे के तहत खबरें आनी शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि इस बार फ्लाईपास्ट में ALH ध्रुव के अलावा ‘तेजस’ लड़ाकू विमान भी हिस्सा नहीं लेगा। इस ख़बर को आधार बना कर एक ख़ास वर्ग की तरफ़ से तेजस को लेकर एक तरह की निगेटिव कैंपेंनिंग भी की गई।

तेजस

इस ख़बर को कुछ इस तरह प्रसारित किया गया, जैसे तेजस को फ्लाईपास्ट में जगह इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि भारतीय वायुसेना या रक्षा अधिकारियों को इस विमान पर इतना भरोसा नहीं है कि इसे गणतंत्र दिवस जैसे अतिविशिष्ट कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। कई लोगों ने तो सरकार से ये प्रश्न भी पूछा कि आख़िर जिस तेजस को सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की ट्रॉफी के तौर पर पेश करती है जिसे दुनिया के दूसरे देशों को निर्यात करने की भी बात चल रही है, उस विमान को हमारे ही देश के सबसे महत्वपूर्ण फ्लाईपास्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया, जबकि इसमें राफेल और सुखोई जैसे विमानों के अतिरिक्त जैगुआर जैसे पुराने विमान भी हिस्सा ले रहे हैं।

लेकिन तेजस को लेकर उठ रहे इन सवालों की सच्चाई जानने की भी ज़रूरत है और ये भी समझने की आवश्यकता है कि आख़िर तेजस जैसा शानदार विमान कर्तव्यपथ के ऊपर उड़ता क्यों नहीं दिखाई देगा ?

इसका सीधा सा जवाब है – भारतीय वायुसेना की गणतंत्र दिवस फ्लाईपास्ट को लेकर बनाई गई एक गाइडलाइन।

दरअसल भारतीय वायुसेना ने काफी वक्त पहले से ही एक नियम बनाया था और इस नियम के अनुसार किसी भी प्रकार के सिंगल इंजन फाइटर जेट को गणतंत्र दिवस जैसे अतिविशिष्ट कार्यक्रम के लिए फ्लाईपास्ट में शामिल नहीं किया जा सकता। ये नियम गणतंत्र दिवस समारोह और उसमें मौजूद अतिविशिष्ट गणमान्य लोगों की सुरक्षा के नज़रिए से बनाया गया था, क्योंकि आम तौर पर सिंगल इंजन लड़ाकू जेट भले ही हवाई युद्ध के वक्त काफी उपयोगी रहते हों, लेकिन सिंगल इंजन होने की वजह से उनकी क्षमता और विश्वसनीयता उतनी अधिक नहीं मानी जाती।

एयरो इंडिया शो में प्रधानमंत्री मोदी (फोटो साभार: TNIE)

ख़ासकर गणतंत्र दिवस जैसे अवसर पर, जहां इन्हें काफी कम ऊँचाई पर उड़ाया जाता है। यही नहीं दिल्ली जैसी जगह में परिंदों के झुंड भी इन विमानों के लिए बड़ा खतरा होते हैं। फ्लाईपास्ट के दौरान कम ऊँचाई पर उड़ान भरने की वजह से ‘बर्डहिट’ यानी पक्षियों के टकराने की आशंका भी कई गुना ज्यादा रहती है। कई मौकों पर पक्षियों के विमान से टकराने या इंजन में फंसने की वजह से इंजन के फेल होने या ‘फ्लेम आउट’ होने के मामले भी देखे गए हैं।

अगर ऐसा कोई हादसा किसी सिंगल इंजन जेट के साथ हो तो पायलट के लिए बेहद कम ऊँचाई पर उड़ रहे एक ऐसे विमान को संभालना लगभग नामुमकिन होगा। जबकि अगर ऐसा ही कोई हादसा किसी ‘डबल इंजन’ फाइटर जेट के साथ हो, तो उसके पायलट के पास तब भी विमान को नियंत्रित करने और उसे आबादी से दूर ले जाने की एक संभावना बनी रहेगी।

गणतंत्र दिवस जैसे अवसर पर कर्तव्य पथ पर सिर्फ भारत के तीनों सेना प्रमुख, मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही मौजूद नहीं होते बल्कि विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद होते हैं, ऐसे में ज़ाहिर है सुरक्षा को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया जा सकता।चूंकि तेजस भी सिंगल इंजन फाइटर जेट है, इसीलिए इसे सुरक्षा दृष्टिकोण से रिपब्लिक डे फ्लाई-पास्ट में शामिल नहीं किया जाता। इसका ये अर्थ बिल्कुल नहीं कि भारतीय वायुसेना को तेजस पर भरोसा नहीं हैं या फिर ये विमान किसी भी प्रकार से दूसरे विमानों से कमतर है। स्वदेशी तेजस एक light combat aircraft है और इसकी गिनती अपनी कैटेगरी के one of the best एयरक्राफ्ट में होती है।

यही नहीं तेजस का सेफ्टी रिकॉर्ड भी कमाल का है और 24 सालों के सर्विस पीरियड में आजतक सिर्फ एक तेजस ही हादसे का शिकार हुआ है। सेफ्टी के मामले में दुनिया का कोई भी लड़ाकू विमान तेजस के इस रिकॉर्ड के आसपास तक नहीं है, फिर चाहे वो सिंगल इंजन लड़ाकू विमान हो या डबल इंजन फाइटर जेट। यहां तक कि अमेरिका के पांचवी पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान f-35 भी जबतक हादसे का शिकार होते देखे गए हैं।

फिर भी अगर कुछ लोगों को तेजस की क्षमता और विश्वसनीयता पर संदेह है, तो उन्हें ये जान लेना चाहिए कि गणतंत्र दिवस फ्लाई-पास्ट में सिर्फ तेजस ही नहीं फ़्रेंच मिराज को भी शामिल नहीं किया जाता। क्योंकि तेजस की ही तरह मिराज भी एक सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। यहां ये याद रखना आवश्यक है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भारतीय वायुसेना ने मिराज विमानों पर ही भरोसा जताया था और ये विमान न सिर्फ भरोसे पर खरे उतरे थे बल्कि टार्गेट हिट करने के बाद पाकिस्तान के पूरे एयर डिफेंस को धता बताते हुए सुरक्षित भी लौटे थे।

ऐसे में चाहे तेजस हो या मिराज, इन विमानों की क्षमता और दुश्मन पर प्रहार करने की उनकी शक्ति को एक फ्लाई-पास्ट से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। वैसे जो लोग कर्तव्य पथ के ऊपर तेजस को न देखकर निराश हो रहे हैं, उन्हें जल्दी ही इस विमान को कलाबाजियां खाते हुए देखने का एक और मौका मिलने वाला है, जब अगले महीने (10-14) फरवरी के बीच ये विमान बेंगुलुरू एयरशो में शक्तिप्रदर्शन करता हुआ नज़र आएगा।

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