दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले ‘झा’ सरनेम के बहाने पूर्वांचल का मुद्दा एकदम गर्म हो चला है। ‘रिपब्लिक भारत’ पर बहस के दौरान शहजाद पूनावाला द्वारा दिए गए बयान में से एक शब्द को पकड़ कर पूरी भाजपा को पूर्वांचल विरोधी बताया जाने लगा। पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा। सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को बयान जारी कर के इस बयान की निंदा करनी पड़ी। उधर दिल्ली में 2 दिन बाद केंद्रीय कोयला एवं खनन राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे के यहाँ 2 दिन बाद मकर संक्रांति मनाई गई। AAP ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल वाले मुद्दे पर सारे के सारे विपक्षी दल मुखर हैं।
आइए, बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है। दिल्ली विधानसभा चुनाव पर ‘रिपब्लिक भारत’ के डिबेट में शहजाद पूनावाला अपने ही अंदाज़ में AAP की बखिया उधेड़ रहे थे। राघव चड्ढा द्वारा खालिस्तानियों से मुलाकात करने और बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज बनाने को लेकर ‘आम आदमी पार्टी’ पर शहजाद पूनावाला ने निशाना साधा। किरारी से AAP विधायक ऋतुराज झा भी इस डिबेट का हिस्सा थे। जैसे ही शहजाद पूनावाला ने पूछा कि बाटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल क्यों उठाया, ऋतुराज झा ने व्यक्तिगत टिप्पणी शुरू कर दी। वो भाजपा प्रवक्ता को बार-बार ‘चूनावाला’ कहने लगे। उनके सरनेम को बिगाड़ कर उनपर आक्षेप लगाने लगे।
शहजाद पूनावाला को भड़काया, ‘झा’ वाले बयान पर प्रपंच
उन्होंने एक बार फिर से अपनी टिप्पणी दोहराई। इस पर पलटवार करते हुए शहजाद पूनावाला ने ध्यान दिलाया कि उनके पूरे समाज को गाली दी जा रही है। उन्होंने आगे जवाब देते हुए कहा, “मैं भी बोल सकता हूँ कि संजय झा झाOne हैं और ऋतुराज झा झाTwo हैं। लेकिन, मैं ये सब बातें नहीं बोलता।” एंकर ऐश्वर्य कपूर इस शो को होस्ट कर रहे थे और वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी भी इसका हिस्सा थे। ख़ैर, यही भारतीय मीडिया है और यही भारत की राजनीति। नूपुर शर्मा जब किसी मजहब की पुस्तक से कुछ उद्धृत करती हैं तो कोई इसका फैक्ट चेक नहीं करता, जिस तस्लीम रहमानी द्वारा शिवलिंग का बार-बार मजाक बजाए जाने का वो जवाब देती हैं उसके बयान को कोई नहीं चलाता – लेकिन, नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे का ‘सर तन से जुदा’ हो जाता है।
इस मुद्दे पर भी वही हुआ। शहजाद पूनावाला के समर्थन में कई पूर्वांचली भी हैं, मैथिल भी हैं – जो कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ ग़लत नहीं कहा बल्कि सिर्फ़ सामने वाले का जवाब दिया। उद्धव भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने वीडियो के जरिए बयान जारी किया कि डिबेट में बोली गई आपत्तिजनक बात की वो कड़ी निंदा करते हैं, चाहे कोई कितना भी आपको भड़काए, भाजपा अपने प्रवक्ता से हमेशा अपेक्षा करती है कि वो अपने विचारों को सही रखे। इधर अब शहजाद पूनावाला ने भी अंततः इस बयान को लेकर माफ़ी माँग ली है। उन्होंने हाथ जोड़ कर पूर्वांचलियों से माफ़ी माँगते हुए कहा कि वो कोई सफाई नहीं देना चाहते, यूपी-बिहार के मेहनतकश लोगों से उनका रिश्ता प्यार और सम्मान का है। उधर सपा के मुखिया अखिलेश यादव इस बहस में कूद गए और भाजपा को यूपी-बिहार का विरोधी बता दिया। AAP ने तो वीडियो शेयर कर-कर के ये नैरेटिव चलाया।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, ‘झा’ सरनेम वाले पूर्वांचल के कई मैथिल यहाँ रहते हैं, ऐसे में शहजाद पूनावाला को बलि का बकरा बना लिया गया। हालाँकि, पूनावाला का बयान न पूर्वांचल के खिलाफ था, न ‘झा’ सरनेम वालों के और न यूपी-बिहार के। लेकिन, दिल्ली में चुनाव है न।
अखिलेश यादव को जवाब देते हुए उस डिबेट में शामिल रहे हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी बताया कि कैसे शहजाद पूनावाला का सरनेम बिगाड़ कर बार-बार आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही थी। उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों पर राजनीतिक दलों के प्रवक्ता हर बीतते दिन के साथ नीचे गिरने का स्तर तोड़ते जा रहे हैं, इसे ठीक करने के बजाय इसे भड़काने के तौर पर इस्तेमाल करना कहाँ तक ले जाएगा – इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। खैर, इस प्रकरण के बीच कुछ ऐसा भी हुआ जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया। भाजपा का एक ऐसा नाम जिससे बहुत लोग परिचित नहीं होंगे, उसकी एंट्री होती है।
अखिलेश यादव ने यह पोस्ट न की होती तो मैं इस पर लिखता भी नहीं, लेकिन इस चर्चा में मैं भी था और पंकज शर्मा जी भी थे। इस बहस में पहले आम आदमीं पार्टी के प्रवक्ता ने शहजाद पूनावाला को कई बार चूनावाला और उसकी प्रतिक्रिया में शहजाद ने कहाकि, बार-बार आप मेरा नाम बिगाड़ रहे हैं। ऐसे तो… https://t.co/em49CwEBW9
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी 🇮🇳Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) January 17, 2025
सतीश चंद्र दुबे के यहाँ 2 दिन बाद वाली मकर सक्रांति
इस बार मकर संक्रांति मंगलवार (14 जनवरी, 2025) को मनाई गई। लेकिन, केंद्रीय कोयला एवं खनन राज्यमंत्री व बिहार के पश्चिम चम्पारण स्थित वाल्मीकिनगर से सांसद रहे सतीश चंद्र दुबे के आवास 12, नॉर्थ एवेन्यू पर इसके 2 दिन बाद यानी 16 जनवरी को ये त्योहार मनाया गया। शहजाद पूनावाला के बयान के 1 दिन बाद। सतीश चंद्र दुबे 2014 में वाल्मीकिनगर से सांसद बने थे, उससे पहले नरकटियागंज और चनपटिया से विधायक रहे हैं। लुटियंस में नया चेहरा हैं, क्योंकि उन्हें मंत्री बनाए गए मात्र 7 महीने हुए हैं। लेकिन, एक संवेदनशील मौके पर काम उन्होंने बड़ा कर दिया है।
जब AAP समेत तमाम विपक्षी दल पूर्वांचल के अपमान को लेकर भाजपा को बैकफुट पर धकेलने में लगे हुए थे, सतीश चंद्र दुबे के आवास पर मकर संक्रांति के मौके पर पूर्वांचलियों का ताँता लगा। मनोज तिवारी से लेकर रवि किशन जैसे सांसदों ने समाँ बाँधा, जो गायक के साथ-साथ भोजपुरी सुपरस्टार भी रहे हैं। अंजू झा और विकास सिंह ‘विराट’ जैसे कलाकार लगातार भोजपुरी व मैथिली गीतों से वहाँ उपस्थित जनसमूह का मनोरंजन कर रहे थे। उन्होंने भाजपा के पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष संतोष ओझा को भी झूमने पर मजबूर कर दिया।
लुटियंस में पूर्वांचल की जय-जयकार, क्या निकलेगा नतीजा?
जब किसी केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम में प्रदेश के किसी मोर्चे का अध्यक्ष आकर्षण का केंद्र रहे और उसकी जय-जयकार हो तो 2 चीजें पता चलती हैं – मंत्री पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं, और वो मोर्चा प्रदेश में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ दोनों की बातें थीं। सतीश चंद्र दुबे ने एक-एक नेता-कार्यकर्ता से मिल कर उनका हालचाल जाना। ‘मैं पूर्वांचली हूँ, भाजपा के साथ हूँ’ जैसे बैनरों के साथ लोग तस्वीर क्लिक करवाते हुए दिखे। एक तरफ सोशल मीडिया पर भाजपा घिरी हुई थी, दूसरी तरफ जमीन पर उतर कर सतीश चंद्र दुबे ने पार्टी के लिए काम आसान कर दिया।
📍मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित पूर्वांचल परिवार मिलन-सह-भोज में सहभागिता !📍
आज केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री श्री @satishdubeyy जी द्वारा नॉर्थ एवेन्यू में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित पूर्वांचल परिवार मिलन-सह-भोज कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ !
इस कार्यक्रम में… pic.twitter.com/duTOlB97Sa— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) January 16, 2025
सतीश चंद्र दुबे को इस विधानसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली का प्रभार भी पार्टी द्वारा सौंपा गया है, ऐसे में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। शहजाद पूनावाला हर सप्ताह दर्जनों डिबेट्स में हिस्सा लेते हैं, पार्टी के लिए सोशल मीडिया पर भी तगड़ी बल्लेबाजी करते हैं। लेकिन, कहते हैं न कि ये नैरेटिव का युग है। इस मामले में भाजपा हमेशा पीछे छूटती रही है। उन्होंने ‘झा’ सरनेम वालों पर एक समाज के रूप में कोई टिप्पणी नहीं की थी, लेकिन बात का बतंगड़ बन गया। अब देखना होगा कि सतीश चंद्र दुबे ने ऐन वक्त पर जो कैमियो खेला है, उसका क्या नतीजा निकलता है।