बॉलीवुड ऐक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ली है। किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) ने ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया है और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। ममता ने कहा कि अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात है और यह उनके लिए एक बहुत यादगार पल है। इसके साथ ही किन्नर अखाड़े को लेकर भी बड़ी चर्चा शुरू हो गई है। आज हम जानेंगे इस अखाड़े का निर्माण कैसे हुआ था?
जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v
ऐसे समय में जबकि अपने राष्ट्र नायकों को लेकर भारत में राजनीतिक बहसें तेज़ हो रही हैं, विचारधाराओं की लड़ाई भी पहले से ज़्यादा गहरी...


























