बॉलीवुड ऐक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ली है। किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) ने ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया है और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। ममता ने कहा कि अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात है और यह उनके लिए एक बहुत यादगार पल है। इसके साथ ही किन्नर अखाड़े को लेकर भी बड़ी चर्चा शुरू हो गई है। आज हम जानेंगे इस अखाड़े का निर्माण कैसे हुआ था?
सभ्यता की आत्मा से आत्मनिर्भर भारत तक का रास्ता है “स्वदेशी”- लेकिन ‘ब्रांड प्रेमी’ हिंदुस्तानियों को स्वदेशी से जोड़ना चुनौती से कम नहीं
स्वदेशी केवल कोई आर्थिक विचार या व्यापारिक रणनीति नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता की आत्मा है। यह हमारी सांस्कृतिक चेतना का वह सहज संस्कार...