क्या है किन्नर अखाड़े का इतिहास जिसकी महामंडलेश्वर बनी हैं ममता कुलकर्णी?

ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया है और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा

किन्नर अखाड़े की संस्थापाक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (बाएं) और महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी (दाएं)

किन्नर अखाड़े की संस्थापाक लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (बाएं) और महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी (दाएं)

बॉलीवुड ऐक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ली है। किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) ने ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया है और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। ममता ने कहा कि अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात है और यह उनके लिए एक बहुत यादगार पल है। इसके साथ ही किन्नर अखाड़े को लेकर भी बड़ी चर्चा शुरू हो गई है। आज हम जानेंगे इस अखाड़े का निर्माण कैसे हुआ था?

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