बॉलीवुड ऐक्ट्रेस ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ली है। किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) ने ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। ममता कुलकर्णी ने संगम किनारे पिंडदान किया है और अब उन्हें यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। ममता ने कहा कि अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से महामंडलेश्वर बनना सौभाग्य की बात है और यह उनके लिए एक बहुत यादगार पल है। इसके साथ ही किन्नर अखाड़े को लेकर भी बड़ी चर्चा शुरू हो गई है। आज हम जानेंगे इस अखाड़े का निर्माण कैसे हुआ था?
कब हुई किन्नर अखाड़े की शुरुआत?
किन्नर अखाड़ा ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़ा एक धार्मिक संगठन है, जो हिंदू धार्मिक परंपराओं में इस समुदाय की समावेशिता को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक खास स्थान प्राप्त है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें समाज में भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा है। इस स्थिति को बदलने और आध्यात्मिक रूप से मजबूत आधार प्रदान करने के उद्देश्य से 2015 में प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर अखाड़ा की स्थापना की। शुरुआत में इसकी स्थापना को लेकर विवाद हुआ लेकिन यह अखाड़ा सबसे पहले 2016 में उज्जैन कुंभ में शामिल हुआ था। फिर बाद में किन्नर अखाड़ा 2019 में प्रयागराज के कुंभ मेले में शामिल हुआ था।
यह अखाड़ा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में भागीदारी का एक मंच बनकर उभरा है। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद, यह समुदाय लंबे समय तक समाज के हाशिये पर रहा। किन्नर अखाड़ा का गठन इस स्थिति को बदलने और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की पुनर्स्थापना में मदद करने की दिशा में एक अहम कदम है। इसके चलते ट्रांसजेंडर लोगों को भी हिंदू धर्म की प्रथाओं और अनुष्ठानों में शामिल होने का एक मंच मिला गया है।
कौन हैं किन्नरों की कुलदेवी?
इस्लाम अपनाने वाले दर्जनों किन्नरों को भी किन्नर अखाड़े ने फिर से अपने साथ जोड़ा है। इस अखाड़े में अब तक कई महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी बनाए हैं। 2019 के कुंभ से पहले किन्नर अखाड़े ने श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के साथ लिखित समझौता भी किया था। किन्नर अखाड़ा को अब भी एक अलग स्वतंत्र अखाड़े के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है और यह जूना अखाड़ा के अधीन है।
किन्नर अखाड़े के देश में 10 स्थानों पर मठ हैं और देश भर में इसी अखाड़े के ही 13 उप-अखाड़े है। जिनमें शैव संप्रदाय को मानने वाले किन्नर, भगवान विष्णु को मानने वाले किन्नर और गुरु नानक देव जी को मानने वाले किन्नर शामिल है। किन्नरों की कुल देवी बहुचरा माता को माना जाता है और सबसे पहले किन्नर अखाड़े में इनकी की पूजा होती है। गुजरात के अहमदाबाद में बहुचरा माता का मंदिर है और इसे मुर्गी वाली माता का मंदिर कहा जाता है।
किन्नरों को लेकर धार्मिक मान्यताएं
महाभारत और रामायण जैसे कई हिंदू ग्रंथों में ट्रांसजेंडर लोगों का उल्लेख मिलता है। भारतीय संस्कृति में किन्नरों को एक विशेष स्थान प्राप्त है और इनकी उपस्थिति को बहुत शुभ माना जाता है। नवजात शिशुओं और शादियों के मौके पर आशीर्वाद देने के लिए किन्नरों को आमंत्रित किया जाता रहा है। किन्नरों को भगवान शिव के उपासक के रूप में देखा जाता है। हालांकि, समय के साथ सामाजिक परिवर्तनों ने इस समुदाय को हाशिए पर भी डाल दिया था। लेकिन इस अखाड़े की स्थापना के बाद से हिंदू धर्म में उनके ऐतिहासिक महत्व फिर से उठता दिख रहा है।
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की भागीदारी
प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ मेले 2025 में किन्नर अखाड़ा की उपस्थिति ना केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि समाज में किन्नरों की स्वीकृति की दिशा में एक महत्वपूर्ण होने जा रही है। महाकुंभ में स्थापित होने वाले किन्नर अखाड़े के शिविर में धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक पहलों के लिए केंद्र के रूप में काम करेंगे। यहां दैनिक पूजा, यज्ञ और प्रवचनों के माध्यम से समावेशिता को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, शाही स्नान जैसे प्रमुख अनुष्ठानों में उनकी सक्रिय भागीदारी, पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ, हिंदू धर्म में किन्नर समुदाय की समानता और स्वीकृति को दर्शाएगी।
ग्लोबल होगा किन्नर अखाड़ा
किन्नर अखाड़े को अब ग्लोबल स्तर पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है और महाकुंभ में इस पर काम शुरू हो जाएगा। अमेरिका, थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में किन्नर अखाड़े का विस्तार किया जाएगा। महाकुंभ मेले में विभिन्न देशों से किन्नर समाज के लोग पहुंचेंगे और इन्हें जगदगुरु, महामंडलेश्वर, महंत और पीठाधीश्वर जैसे पदों पर सुशोभित किया जाएगा। करीब आधा दर्जन देशों में इस महाकुंभ के बाद किन्नर अखाड़े की उपस्थिति नज़र आ सकता है।