46 साल बाद संभल के खग्गू सराय शिव मंदिर में हुआ जलाभिषेक; महाशिवरात्रि के अवसर पर लगा भक्तों का तांता

शिवालयों में गूंजा 'हर हर महादेव'

46 साल बाद संभल के खग्गू सराय शिव मंदिर में हुआ जलाभिषेक

46 साल बाद संभल के खग्गू सराय शिव मंदिर में हुआ जलाभिषेक(Image Source: dainik tribune)

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर में श्रद्धा और भक्ति की लहर उमड़ पड़ी। शिवालयों में सुबह से ही “हर-हर महादेव” के जयघोष गूंज उठे, और भक्तों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। इस बार का पर्व एक ऐतिहासिक क्षण भी लेकर आया, जब संभल के नखासा थाना क्षेत्र के मुहल्ला खग्गू सराय में स्थित शिव मंदिर 46 साल बाद पहली बार महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया। मंदिर के पट खुलते ही श्रद्धालु उमड़ पड़े, और भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर जलाभिषेक किया।

यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक भी था, जिसे दशकों तक भुला दिया गया था। भक्तों की भारी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि हिंदू समाज अपनी परंपराओं और आस्था को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए, ताकि श्रद्धालु निर्विघ्न होकर भगवान शिव की आराधना कर सकें।

जिलेभर के शिवालयों में गूंजा ‘हर हर महादेव’

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जिलेभर के शिवालयों में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत नजारा देखने को मिला। खासकर संभल के खग्गू सराय इलाके का प्राचीन शिव मंदिर, जो 1978 से बंद था और दिसंबर 2024 में फिर से खोला गया, इस बार भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना। 46 साल बाद इस मंदिर में पहली बार महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया, जिससे श्रद्धालुओं के लिए यह एक भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण बन गया। सुबह पांच बजे से ही भक्तों का आना शुरू हो गया था। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। मंदिर परिसर में भक्ति का वातावरण इतना प्रबल था कि हर तरफ सिर्फ शिवमय ध्वनि ही सुनाई दे रही थी। श्रद्धालु जल, बेलपत्र और प्रसाद अर्पित कर भगवान शिव से आशीर्वाद मांग रहे थे। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की थीं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

केवल खग्गू सराय ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के प्रमुख शिवालयों में भी महाशिवरात्रि का उल्लास देखने को मिला। बहजोई रोड स्थित पातालेश्वर महादेव मंदिर, फत्तेहपुर भाऊ के प्रकटेश्वर महादेव मंदिर, झारखंडी महादेव मंदिर और चंदौसी के मूंछों वाले महादेव मंदिर समेत अन्य शिव मंदिरों को भव्य रूप से फूलों और विद्युत रोशनी से सजाया गया था। इन मंदिरों में भी भोर से ही जलाभिषेक जारी रहा और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। बेरनी रतनपुर के प्राचीन शिव मंदिर में भी आस्था का विशाल जनसैलाब उमड़ा, जहां भक्तों ने भगवान शिव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की। जिलेभर में महादेव की भक्ति का ऐसा अद्भुत नजारा दिखा जिसने यह साबित कर दिया कि सनातन संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं और शिवभक्त अपनी परंपराओं को पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

डाक कांवड़ का जत्था भी रवाना 

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर डाक कांवड़ का जत्था भी पूरे जोश और श्रद्धा के साथ रवाना हुआ। भोलेनाथ के जयकारों के बीच कांवड़ियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। उनकी आस्था और संकल्प की झलक उनके कदमों में दिख रही थी। कांवड़ मार्गों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिससे यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हो सके। सभी थानों और कोतवाली पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा गया था, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। मंदिर परिसर में भी श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग प्रवेश व्यवस्थाएं की गईं, जिससे भक्त बिना किसी परेशानी के भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक कर सकें।

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