दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla), जो एलन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व में ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव ला चुकी है, अब भारत में अपने कदम जमाने की तैयारी कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एलन मस्क से उनकी बातचीत हुई थी। इस मुलाकात के बाद अचानक टेस्ला ने भारत में नौकरियों के लिए आवेदन मांगने शुरू कर दिए, जिससे यह साफ हो गया कि कंपनी जल्द ही भारतीय बाजार में प्रवेश करने जा रही है।
अब इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है—टेस्ला ने भारत में 13 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें कस्टमर-फेसिंग और बैक-एंड जॉब्स दोनों शामिल हैं। इतना ही नहीं, कंपनी ने अपने पहले शोरूम खोलने के लिए मुंबई और दिल्ली जैसी प्रमुख लोकेशंस को लगभग फाइनल कर लिया है। इसके अलावा, टेस्ला के शीर्ष अधिकारी अप्रैल 2025 में भारत का दौरा कर सकते हैं, जिससे कंपनी के भारत में लॉन्च की योजनाओं को और मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मेक इन इंडिया जैसी नीतियों और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने वाले कदमों ने टेस्ला जैसी दिग्गज कंपनियों को भारतीय बाजार में निवेश के लिए आकर्षित किया है। टेस्ला की एंट्री से भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और देश को ईवी सेक्टर में एक ग्लोबल हब बनने का अवसर मिलेगा।
भारत आएंगे टेस्ला के अधिकारी
भारत में कारोबार विस्तार की दिशा में टेस्ला तेज़ी से आगे बढ़ रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, टेस्ला के शीर्ष अधिकारी अप्रैल में भारत का दौरा करेंगे, जहां वे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) समेत विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। कंपनी को भारत में आयात शुल्क (Import Duty) में छूट पाने के लिए सरकार की नीति के तहत आवेदन करना होगा।
सूत्रों के अनुसार, टेस्ला अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए महाराष्ट्र के चाकन और छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) के साथ-साथ गुजरात को प्रमुख विकल्पों के रूप में देख रही है। माना जा रहा है कि एलन मस्क की यह इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी भारत में 3 से 5 अरब डॉलर का निवेश कर सकती है, जिससे ऑटोमोबाइल और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बड़ा बदलाव आ सकता है।
एलन मस्क लंबे समय से भारत में इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपने रुख पर कायम है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि यदि टेस्ला भारत में निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) करती है, तो उसे कर राहत दी जा सकती है। लेकिन अगर कंपनी चीन में उत्पादन कर भारतीय बाजार में अपने वाहन बेचना चाहती है, तो उसे किसी भी तरह की टैक्स छूट नहीं मिलेगी।
इस हाई-प्रोफाइल दौरे को भारत और टेस्ला के बीच संभावित साझेदारी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को नए अवसर मिल सकते हैं और भारत में टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिल सकता है।
टेस्ला के भारत आने से कैसे होगा फायदा
भारत में टेस्ला के आने से न केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मार्केट को मजबूती मिलेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा। लंबे समय से यह चर्चा चल रही है कि एलन मस्क की कंपनी भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित कर सकती है। अगर यह योजना साकार होती है, तो भारतीय बाजार में उन्नत और किफायती इलेक्ट्रिक कारों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को ज्यादा विकल्प मिलेंगे। साथ ही, देश में हजारों नई नौकरियों का भी सृजन होगा, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।
टेस्ला की एंट्री से भारतीय ग्राहकों को अत्याधुनिक ईवी टेक्नोलॉजी तक सीधी पहुंच मिलेगी, जिससे ऑटोमोबाइल कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा और तेज़ होगी। यह प्रतिस्पर्धा अन्य कंपनियों को भी सस्ती और बेहतरीन इलेक्ट्रिक कारें लाने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे भारतीय बाजार में ईवी क्रांति को और मजबूती मिलेगी।
भारत सरकार ने हाल ही में 40,000 डॉलर से अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर कस्टम ड्यूटी को 110% से घटाकर 70% कर दिया है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करना आसान हो गया है। साल 2024 में भारत में एक लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई थी, जो इस सेक्टर की तेजी से बढ़ती मांग को दर्शाता है। टेस्ला की एंट्री से यह ग्रोथ और तेज़ होने की संभावना है।
ग्लोबल मार्केट में टेस्ला को BYD जैसी चीनी कंपनियों से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिससे उसकी बिक्री पर असर पड़ा है। ऐसे में भारत टेस्ला के लिए एक रणनीतिक बाजार बन सकता है, जहां कंपनी अपने उत्पादों के जरिए नए ग्राहकों तक पहुंच बना सकती है। इसके साथ ही, टेस्ला का भारत में निवेश ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों को भी मजबूती देगा, जिससे भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति और अधिक सशक्त होगी।