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विदेश भूमि से भारत का विरोध करने वालों को ट्रंप की चेतावनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा समाप्त हो गई है, उनका यह शायद सबसे छोटा और सबसे व्यस्त दौर रहा है

Awadhesh Kumar द्वारा Awadhesh Kumar
15 February 2025
in मत, विश्व
अमेरिका दौरे के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की केमिस्ट्री को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं

अमेरिका दौरे के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की केमिस्ट्री को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा समाप्त हो गई है। अमेरिका का उनका यह शायद सबसे छोटा और सबसे व्यस्त दौर रहा है। वैसे तो अमेरिका की सारी यात्राएं या विदेश की यात्राएं प्रधानमंत्री की हमेशा व्यस्त रही हैं और उसी प्रकार से एक के बाद एक कार्यक्रम रहते हैं। लेकिन यह दौरा कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण था, राष्ट्रपति पद संभालने का अभी डोनाल्ड ट्रंप के एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया, व्हाइट हाउस में स्वागत किया और वहां से जो कुछ भी निकला है उसकी विस्तार से चर्चा तो लंबे समय तक होगी लेकिन भारत की दृष्टि से दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण बातें हुई हैं।

पहली बात हुई है कि जब भारत के एक पत्रकार ने संयुक्त प्रेस वार्ता में राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा कि आपने तहव्वुर राणा को भारत को सौंपने का प्रत्यर्पित करने का निर्णय लिया है और भारत के लोग इसके लिए आपके आभारी हैं लेकिन भारत विरोधी अनेक लोग अमेरिकी भूमि पर गतिविधियां चलाते हैं, विशेषकर हमारे विरुद्ध यहां खालिस्तानी अलगाववादियों की गतिविधियां रही है और राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के काल में उनकी गतिविधियां बढ़ी और क्या आप उसमें भी सहयोग करेंगे, वैसे लोगों को भारत  को सौंपेंगे। राष्ट्रपति बाइडन के कार्यकाल में भारत पर कई तरह के आरोप लगाए गए और यहां तक कि हमारी एजेंसियों को भी आरोपित किया गया। डोनाल्ड ट्रंप ने बहुत साफ-साफ उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि वह नहीं मानते कि बाइडन प्रशासन में भारत के साथ अमेरिका के अच्छे संबंध थे। उनका कहना है कि भारत के साथ हमारे संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं।

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उन्होंने कहा कि अपराध और आतंकवाद से लड़ने में हम एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं और भारत एक अत्यंत महत्वपूर्ण देश है, तो ऐसा जो भी होगा उसको हम आगे भी भारत को सौंपेंगे। अब उन्होंने इसमें खालिस्तानी अलगाववादी या अन्य का नाम नहीं लिया लेकिन इतना तो साफ है कि कम से कम जो बाइडन प्रशासन के अंदर जिस तरह खालिस्तान अलगाववादियों की गतिविधियां बढ़ी हैं, सरेआम भारत विरोधी बयान आतंकवादी पन्नू देता रहा है, जो हमारे यहां वांछित है। जिस ढंग से भारत के महत्वपूर्ण स्थानों, महावाणिज्य दूतावास से लेकर बाकी जगह उनकी गतिविधियां होती रही है, भारत को शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी। उन सबके बीच यह बयान ऐसा है जो विश्व भर के खालिस्तानी अलगाववादियों एवं दूसरे भारत विरोधियों को अपनी गतिविधियों पर नए सिरे से सोचने को बाध्य करेगा।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्या करेंगे, इस समय कहना कठिन है लेकिन भारत की दृष्टि से यह सर्वाधिक महत्व की बात है। अमेरिका की एजेंसियों ने, फिर वहां के मीडिया ने आरोप लगाया था कि पन्नू जो कि अमेरिका में रहता है उसको मारने के लिए भारतीय एजेंसियों ने और यहां के सरकार के अंदर के लोगों के बारे में भी संकेत था, उन लोगों ने सुपारी दी और एक व्यक्ति उसके बारे में बाहर गिरफ्तार भी हुए हैं। उनके विरुद्ध जांच चल रही है और पूरी सूचना भारत से साझा की गई कि भारत जांच करके इसकी जानकारी दे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए बहुत बड़ी समस्या थी क्योंकि अगर यह साबित हो जाए कि वाकई भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी दूसरी भूमि पर अपराधियों द्वारा या किसी के द्वारा हत्या की साजिश रचता है तो फिर अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हम पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध लग सकते हैं। शर्मिंदगी से हमारा सर झुक सकता है, फिर आतंकवाद के विरुद्ध, अलगाववादियों के विरुद्ध हमारा आवाज उठाना कठिन हो जाएगा। आमतौर पर अगर किसी देश में हमारे विरुद्ध गतिविधियां हैं तो हम उसे देश को सूचना देते हैं उनसे बातचीत करते हैं, उनको प्रत्यर्पित कराने की कोशिश करते हैं, संयुक्त राष्ट्र तक में कोशिश करते हैं।

हालांकि, इतिहास में अमेरिका और कुछ बड़े देश स्वयं अपने देश के विरोधियों को या यहां तक की अंतरराष्ट्रीय नीति में उनके विरुद्ध कोई व्यक्ति आता है जो उनका लक्ष्य है, जहां अमेरिकी प्रभाव बढ़े या अमेरिकी प्रभाव बढ़ने में जो बाधाएं रहती है उनको हटाने के लिए अनेक कदम उठाते हैं जिसमें हत्याएं भी रही है। अपहरण कर लेना, उनको ले जाना, मारकर फेंक देना उनके विरुद्ध विद्रोह कर देना, सैनिक तक उतार देना, यह सब और हत्याएं होती रही है। जो बाइडन प्रशासन और खासकर जो डेमोक्रेट हैं, ऐसी कुछ पार्टियों दुनिया में एक नए तरह के, अजीब किस्म के वामपंथ का झंडा उठाए हुए हैं। इसमें अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के नाम पर संप्रभुता के उल्लंघन करने वालों को भी पूरी छूट दी जाती है। भारत जैसे देश और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे लोगों का शासन और दुनिया में जो भी देश अपनी सभ्यता संस्कृति अपने अध्यात्म धर्म के आधार पर अपनी राष्ट्रीय चेतना से खड़ा होता है और सिर उठाकर जीना चाहता है, ऐसे तत्वों को उनसे समस्या रही है।

कनाडा में जब प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने संसद में आरोप लगा दिया कि उनके यहां के एक व्यक्ति की हत्या में भारत की भूमिका रही है। हमारे यहां के मंत्री से लेकर और हमारी एजेंसी, यहां तक की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक के बारे में बात की गई और उसे लेकर कनाडा से हमारे संबंध भी बिगड़े और उसे समय जस्टिन ट्रूडो ने अपने साथी देशों से बातचीत की और उसमें जो बाइडन भी थे। बाइडन प्रशासन ने बयान दिया कि अगर आरोप हैं तो भारत को जांच में सहयोग करना चाहिए, भारत पर दबाव बनाने की यह पहल थी लेकिन ट्रंप के आने के बाद जस्टिन ट्रूडो की ही स्थिति खराब हो गई और उनको खुद ही जाना पड़ा। बाद में यह भी स्पष्ट हुआ कि भारत की किसी तरह की भूमिका का उनके पास कोई प्रमाण नहीं था, प्रशासन के अंदर भी नहीं था और अब जाकर यह बयान आया है तो इसका अर्थ है कि जो कुछ एक चक्र चला था भारत के विरुद्ध, उसे चक्र के उल्टे होने की संभावना बनी है।

विदेशी भूमि पर अरेस्ट हो, नहीं हो लेकिन पहले की तरह भारत विरोधी गतिविधियां नहीं रहेगी। भारत को घेरने का और भारत को दुनिया में कमजोर करने का जो प्रयास दुनिया में अलग-अलग तरीके से मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार आदि के नाम पर जो कुछ हो रहा था उसमें कमी आएगी। कम से कम अमेरिकी प्रशासन से उनका समर्थन नहीं मिलेगा। कनाडा में भी परिवर्तन हो चुका है और कनाडा के लोगों की, वहां के वर्तमान नेताओं की इच्छा है कि अमेरिकी प्रशासन के साथ अच्छे संबंध रहे क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप से सहयोग मिलने की ट्रूडो को कोई संभावना नहीं थी, वे भारत से भी अच्छा संबंध रखना चाहते हैं। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है जिसकी चर्चा हमारे यहां उतनी ज्यादा नहीं हो रही है जितनी अन्य बातों की हो रही है।

हम सीमा शुल्क, टैरिफ पर चर्चा करते हैं, वह हमारे लिए निश्चित रूप से महत्वपूर्ण विषय है लेकिन यह विषय भी महत्वपूर्ण है और इस पर देश में चर्चा होनी चाहिए थी। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस प्रकार से प्रधानमंत्री को एक महान नेता बताया और उन्होंने भारत की अपनी यात्रा का उल्लेख किया है और ऐसी कई बातें हुई है, एशिया प्रशांत का क्षेत्र हो उसके बारे में हुई है। हालांकि, बांग्लादेश के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट बातें नहीं की सिर्फ इतना कहा कि बांग्लादेश को हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दिया है देखते हैं उसे संदर्भ में क्या बात होती है।

इसके अलावा आतंकवाद से संबंधित बात थी, जो संयुक्त घोषणा पत्र है उसमें पाकिस्तान का स्पष्ट नाम है, उसमें इस्लामी आतंकवाद की चर्चा है। ‘इस्लामी उग्रवाद’ शब्द की चर्चा हुई है और जो घोषणा हुई है उसमें पाकिस्तान का नाम लेकर कहा गया है कि वह 2008 में मुंबई में हुए हमले के दोषियों पर कानूनी कार्रवाई करें, सीमा पार आतंकवाद को रोके। पाकिस्तान में इसको लेकर बहुत खलबली है वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह भ्रामक बयान है और पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ने में जो अपना बलिदान दिया उसको नजरअंदाज करता है और इससे भारत जो आतंकवाद को समर्थन दे रहा है उसका मसला खत्म नहीं हो जाता है। पाकिस्तान में खलबली मची हुई है और पहले भी लगभग 846 मिलियन डॉलर की एक सहायता डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए रोकी हुई है। इन दृष्टियों से देखिए कि हमारे देश के अंदर के अलगाववादी, आतंकवादी गतिविधियां और सुरक्षा की दृष्टि से जो घोषणाएं हुईं, उनका ज़बरदस्त महत्व है।

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल के अंतिम चरण में ही दुनिया भर में खालिस्तानी अलगाववाद की गतिविधियां बढ़ने लगी थी। उसी समय हमारे यहां नागरिक संशोधन कानून के विरुद्ध शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ जो दुनिया भर में चर्चा का विषय बना था और उसे लेकर संयुक्त राष्ट्र से भी बयान आया था उस समय जनमत संग्रह की भी बात हो रही थी। बाइडन प्रशासन के काल में जो हुआ उसकी उम्मीद भारत को भी नहीं थी लेकिन भारत ने बहुत संयम का परिचय देते हुए बाइडन प्रशासन का सामना किया। कल्पना कर सकते हैं कि भारत पर कितने दबाव आए होंगे और भारत किस ढंग से उससे निपटा होगा कि अमेरिका चाहते हुए भी खुलकर भारत विरोधी बयान नहीं दे सका जबकि उसके पूरी रणनीति यही थी कि इन मामलों में भारत को घेरा जाए और भारत को दबाव में लाकर उससे बहुत कुछ राष्ट्रीय हितों में और जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हम चाहते हैं वह कराया जाए। वह दौर खत्म हुआ है और यह इस यात्रा की बहुत बड़ी सफलता है।

स्रोत: अमेरिका, भारत, खालिस्तान, डोनाल्ड ट्रंप, नरेंद्र मोदी, जो बाइडन, जस्टिन ट्रूडो, America, India, Khalistan, Donald Trump, Narendra Modi, Joe Biden, Justin Trudeau,
Tags: AmericaDonald TrumpIndiaJoe BidenJustin TrudeauKhalistanNarendra Modiअमेरिकाखालिस्तानजस्टिन ट्रूडोजो बाइडनडोनाल्ड ट्रंपनरेंद्र मोदीभारत
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