‘रोटी के साथ राम’ का नारा देने वाले ‘प्रथम कारसेवक’ कामेश्वर चौपाल का निधन, राम मंदिर निर्माण के लिए रखी थी पहली ईंट

कामेश्वर के निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई: सीएम नीतीश कुमार

राम मंदिर के लिए शिलादान करते परमहंस रामचंद्र दास (बाएं) कामेश्वर चौपाल (दाएं)

राम मंदिर के लिए शिलादान करते परमहंस रामचंद्र दास (बाएं) कामेश्वर चौपाल (दाएं)

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और बिहार के पूर्व MLC कामेश्वर चौपाल का गुरुवार देर रात 68 साल की उम्र में निधन हो गया है। मूल रूप से बिहार के सुपौल के रहने वाले कामेश्वर चौपाल पिछले कई दिनों से किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे और दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली है। अगस्त 2024 में कामेश्वर का इसी अस्पताल में किडनी का ट्रांसप्लांट कराया गया था लेकिन उनकी हालत में बहुत सुधार नहीं हुआ था। बता दें कि कामेश्वर ने ही 1989 में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली राम शिला (ईंट) रखी थी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक (RSS) ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया था।

कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

कामेश्वर के निधन के बाद शोक की लहर दौड़ गई है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह व बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि दी है। नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि कामेश्वर एक कुशल राजनेता एवं समाजसेवी थे और उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, “कामेश्वर चौपाल जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। सनातन संस्कृति, राष्ट्रसेवा और सामाजिक समरसता के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं उनके परिवारजनों, अनुयायियों को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति दें।” सम्राट चौधरी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “रामजन्म भूमि में प्रथम ईंट रख कर आधारशिला रखने वाले बड़े भाई श्री कामेश्वर चौपाल जी के निधन की दुःखद सूचना प्राप्त हुई। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके चाहने वालों को संबल प्रदान करें।”

‘रोटी के साथ राम का नारा’ और राम मंदिर की पहली ईंट

दलित समाज से आने वाले कामेश्वर की पढ़ाई मधुबनी से हुई थी और यहीं कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनका संपर्क RSS से हुआ था। बताया जाता है कि उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता थे और उनकी मदद से ही कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे संघ के प्रति समर्पित होकर पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे। कामेश्वर ने संघ के वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में भी काम किया। 9 नवंबर 1989 को जब राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास का कार्यक्रम था तो वे विश्व हिंदू परिषद के बिहार के संगठन मंत्री के नाते अयोध्या पहुंचे थे।

इस कार्यक्रम में धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल से पहली राम शिला रखने के लिए कहा तो वे बिल्कुल चौंक गए थे। इस कार्यक्रम में देशभर से लाखों लोग इकट्ठा हुए थे और उन्हें खुद भी अंदाजा नहीं था कि धर्मगुरुओं ने एक दलित से ईंट रखवाने का फैसला किया है। इसके बाद उन्होंने पहली राम शिला रखी और RSS की तरफ से उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया गया था। आपको बता दें कि कामेश्वर चौपाल ही वह शख्स हैं जिन्होंने ‘रोटी के साथ राम’ का नारा दिया था। कामेश्वर ने कहा था कि पहली ईंट रखने वाला पल वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे और वो क्षण हमेशा गर्व का अहसास करवाता है।

दो बार MLC रहे कामेश्वर चौपाल

1991 में बीजेपी में शामिल हुए कामेश्वर चौपाल राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे थे। 2004 से लेकर 2014 तक कामेश्वर बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे थे। 1991 उन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ रोसड़ा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन कामेश्वर को सफलता नहीं मिली। इसके अलावा भी उन्होंने कई बार चुनावी मैदान में हाथ आजमाया लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। कामेश्वर की छवि हमेशा ही ऐसे व्यक्ति की रही जो राम मंदिर के लिए पूरी तरह समर्पित थे और इसी के चलते 2020 में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में कामेश्वर को शामिल किया गया था

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