‘आम लोगों के बच्चों को उर्दू पढ़ाकर मौलवी बनाना चाहते हैं….’ विधानसभा में सपा नेता पर जमकर भड़के सीएम योगी

CM Yogi In UP Vidhansabha

CM Yogi In Vidhan Sabha

यूपी विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक गर्मा-गर्म बहस देखने को मिली। जब नेता प्रतिपक्ष, माता प्रसाद पांडेय ने सदन की कार्यवाही को क्षेत्रीय भाषाओं जैसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंडी और अंग्रेजी में करने पर ऐतराज जताया, तो सीएम योगी आदित्यनाथ भड़क उठे। मुख्यमंत्री ने तीखा जवाब देते हुए कहा, “आप लोग अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाएंगे, जबकि आम लोगों के बच्चों को उर्दू पढ़ाकर मौलवी बनाएंगे? ऐसा नहीं चल सकता।”

क्यों हुआ विवाद?

उत्तर प्रदेश विधानसभा में हाल ही में लागू किए गए भाषा सेटिंग सिस्टम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने यह घोषणा की कि अब सदस्य अपनी भाषाओं में भाषण दे सकेंगे, और उसे संबंधित चैनल पर सुना जा सकेगा। इसका मतलब यह होगा कि जो सदस्य जिस भाषा में बोलेंगे, वही चैनल पर दिखाई देगी। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई सदस्य भोजपुरी में बोलते हैं तो वह 0 चैनल पर आएगा, जबकि हिंदी के लिए चैनल 2 होगा। इस तरह, फ्लोर लैंग्वेज सदस्य की बोली के हिसाब से बदलते रहेंगे।

अब सदस्यों के लिए अलग-अलग भाषाओं के विकल्प होंगे – 0 अवधी, 1 भोजपुरी, 2 ब्रज, 3 बुंदेलखंडी, 4 अंग्रेजी और 5 हिंदी।

समाजवादी पार्टी के नेता, माता प्रसाद पांडेय ने इस फैसले पर विरोध जताते हुए कहा, “यह बड़ी विडंबना है कि भोजपुरी और बुंदेलखंडी को तो स्वीकार किया जा रहा है, लेकिन विधानसभा में अंग्रेजी का इस्तेमाल गलत माना जा रहा है। बड़ी मुश्किल से अंग्रेजी को हटाया गया था, और अब फिर से इसे लाना हमारी हिंदी पर हमला है।” पांडेय ने यह सवाल भी उठाया, “अगर अंग्रेजी को स्वीकार किया जा रहा है, तो उर्दू को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? उर्दू भी एक अहम भाषा है, उसे क्यों शामिल नहीं किया जाता?”

सीएम योगी का जवाब

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की विभिन्न बोलियों – भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी – को विधानसभा में सम्मान मिलना एक सही कदम है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग अकादमियां स्थापित कर रही है। इन सभी बोलियों को हिंदी की उप-भाषाएं मानते हुए उन्होंने कहा कि ये हिंदी की बेटियां हैं, और इनकी समृद्धि हमारी भाषा की समृद्धि का आधार है।

योगी ने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर कोई व्यक्ति हिंदी में धाराप्रवाह नहीं बोल पाता, तो उसे अपनी बात भोजपुरी, अवधी, ब्रज या बुंदेलखंडी में कहने का पूरा अधिकार होना चाहिए। आखिर यह कैसी सोच है कि आप भोजपुरी और अवधी को नकारते हो, लेकिन उर्दू की वकालत करते हो? यह न केवल अजीब है, बल्कि विरोधाभासी भी है।”

मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी के नेताओं पर भी तीखा हमला किया और कहा, “आपका दोहरा आचरण साफ नजर आता है। अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भेजेंगे और दूसरों के बच्चों को उन्हीं सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए कहेंगे, जहां संसाधनों की भारी कमी है। यही दोहरा आचरण है, और यही कारण है कि आप हमेशा भोजपुरी, अवधी और बुंदेलखंडी का विरोध करते रहे हैं।”

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