‘ये हमारे सुल्तान का’: भगवान मुरुगन की पवित्र पहाड़ी पर कब्जे की साजिश नाकाम, DMK सरकार ने दे दी थी पशु काटने की अनुमति

जानें क्या है पूरा मामला

तमिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम जिले में पवित्र मदुरै पहाड़ी स्थित भगवान् मुरुगन का मंदिर

तमिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम जिले में पवित्र मदुरै पहाड़ी स्थित भगवान् मुरुगन का मंदिर

पिछले एक महीने तमनिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम जिले में पवित्र मदुरै पहाड़ी , जहां भगवान मुरुगन का पवित्र श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर स्थित है, विवादों और साजिशों का केंद्र बन गई है। यह मंदिर हिंदू आस्था और परंपरा का प्रतीक है, लेकिन इसे निशाना बनाते हुए प्रतिबंधित PFI के राजनीतिक विंग SDPI जैसे इस्लामी संगठनों और डीएमके जैसी राजनीतिक पार्टियों ने इसे ‘सिकंदर मलई’ कहकर इसकी पहचान बदलकर इसका इस्लामीकरण करने की नापाक कोशिश की है। उनका दावा है कि पहाड़ी के दूसरी ओर स्थित सुल्तान सिकंदर शहीद वलीउल्लाह बदशाह की दरगाह के आधार पर इस क्षेत्र पर उनका अधिकार है।

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय को पहाड़ी पर पका हुआ मांस ले जाने की अनुमति दे दी, जिससे हिंदू संगठनों और श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया। इस फैसले के विरोध में मंगलवार (4 फरवरी) को मदुरई के पलक्कनाथम में हजारों हिंदू श्रद्धालुओं और संगठनों ने एकत्र होकर प्रदर्शन किया। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू मुन्नानी, आरएसएस और भाजपा समेत 50 से अधिक संगठनों ने भगवा झंडों के साथ रैली निकाली और अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई।

तमिलनाडु के थिरुपरनकुंद्रम जिले में पवित्र मदुरै पहाड़ी स्थित भगवान् मुरुगन का मंदिर

तनाव को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी और हिंदू संगठनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके खिलाफ हिंदू संगठनों ने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया, जहां कोर्ट ने शाम 5 बजे से 6 बजे तक प्रदर्शन की अनुमति दी। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए 3500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

थिरुपरनकुंद्रम स्थित श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर की पवित्रता पर इस्लामी संगठनों की साजिश

सिकंदर दरगाह में क़ुर्बानी देने का विवाद

27 दिसंबर 2024 को, राजापालयम के पास मलैयाडियपट्टी के रहने वाले सैयद अबू ताहिर अपने परिवार के साथ थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पहुंचे। उनका उद्देश्य पहाड़ी पर चढ़कर सिकंदर दरगाह में बकरे और मुर्गे की क़ुर्बानी चढ़ाना था। यह समूह “अल्लाह-हु-अकबर” के नारे लगाते हुए पहाड़ी की ओर बढ़ा।

मंदिर प्रशासन ने उन्हें पहाड़ी के आधार पर ही रोक दिया, जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो गई। इसके बाद एसडीपीआई और जमात जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सैयद अबू ताहिर और उनके परिवार के समर्थन में प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस घटना ने हिंदू समुदाय को आक्रोशित कर दिया, क्योंकि इसे मंदिर की पवित्रता और सांस्कृतिक पहचान को चोट पहुंचाने का प्रयास माना जा रहा है। यह विवाद थिरुपरनकुंद्रम की पवित्र भूमि और उसकी धार्मिक महत्ता पर खतरा बनकर सामने आया है, जिससे हिंदू समाज में गहरी चिंता और असंतोष है।

थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर समान पूजा अधिकारों की मांग को लेकर प्रदर्शन

5 जनवरी 2025 को एसडीपीआई समर्थकों और स्थानीय जमात समूहों ने थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने सिकंदर दरगाह तक मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति देने की मांग उठाई। जब पुलिस ने उनकी मांग को खारिज किया, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई और प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच झड़प हो गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को धमकी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

सिकंदर दरगाह पर मांसाहारी भोज का ऐलान

स्थानीय जमात समूहों ने 17 जनवरी को सिकंदर दरगाह पर “समानता भोज” आयोजित करने की घोषणा की। इसे संतनाकूडू त्योहार के साथ मनाने की योजना थी, जिसमें बकरे और चिकन के व्यंजनों को परोसे जाने की बात कही गई। इस आयोजन की जानकारी सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई, जिससे प्रशासन और पुलिस सतर्क हो गए।

स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए। दरगाह क्षेत्र में मांस ले जाने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए और सभी आगंतुकों की गहन जांच शुरू कर दी गई। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य पहाड़ी की धार्मिक पवित्रता को बनाए रखना और किसी भी विवाद को टालना था।

डीएमके विधायक ने बताया मुस्लिम संपत्ति

मुस्लिम समुदाय का कहना है कि तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बादुशाह दरगाह 400 साल पुरानी है और इसे सुल्तान सिकंदर ने स्थापित किया था। इसी आधार पर इसे वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही, 21 जनवरी को डीएमके विधायक अब्दुल समद ने पहाड़ी का दौरा किया और इसे मुस्लिम समुदाय की संपत्ति बताया। इस दौरान नवाज कानी ने इसे ‘सिकंदर पहाड़ी’ का नाम देते हुए मांग की कि मुस्लिमों को यहां अपनी धार्मिक गतिविधियां पूरी स्वतंत्रता से करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

IUML सांसद नवाज गनी के सहयोगियों द्वारा मांसाहारी भोजन से मचा विवाद

22 जनवरी 2025 को, भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के सांसद और तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नवाज गनी ने थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी का दौरा किया। इस दौरे को “जमीनी जांच” का नाम दिया गया था, लेकिन उनकी यात्रा ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। दौरे के दौरान, उनके साथ आए दो सहयोगियों ने पहाड़ी पर मांसाहारी भोजन किया। उनकी मांसाहारी भोजन करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे तमिलनाडु के हिंदू समाज में गहरा आक्रोश फैल गया।

बीजेपी के राज्य अध्यक्ष अन्नामलाई ने इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी और ट्वीट किया, “आईयूएमएल सांसद नवाज गनी तिरुपरनकुंद्रम पर मांसाहारी भोजन कराकर समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।” इसके जवाब में नवाज गनी ने सफाई देते हुए कहा कि “प्रतिबंध केवल कच्चे मांस पर लागू है, पकाए हुए मांस पर नहीं।”

हिंदू संगठनों ने इस घटना को हिंदू भावनाओं को जानबूझकर आहत करने का प्रयास बताया और नवाज गनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा, हिंदू समुदाय ने नवाज गनी की स्वामित्व वाली एसटी कूरियर सेवाओं का बहिष्कार करने की अपील भी की। यह घटना थिरुपरनकुंद्रम की पवित्रता और सांप्रदायिक सद्भाव पर गहरा प्रभाव डाल गई है।

थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर जैन गुफा के पास शिलालेख पर हरे रंग का स्प्रे

थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित प्राचीन जैन गुफा के पास एक शिलालेख को अज्ञात मुस्लिम उपद्रवियों द्वारा हरे रंग के पेंट से विकृत किया गया। यह गुफा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। इस घटना का पता सबसे पहले अस्थायी सफाई कर्मचारी राजन ने लगाया।

घटना के बाद, पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने शिलालेख पर से हरे रंग को हटाया और पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस कृत्य ने स्थानीय हिंदू और जैन समुदायों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

मुस्लिम पक्ष के समर्थन में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा ज्ञापन

पिछले एक महीने से थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी, जहां भगवान मुरुगन का पवित्र धाम स्थित है, लगातार विवादों और साजिशों का केंद्र बनी हुई है। इस्लामी तत्वों द्वारा किए जा रहे उकसावों के जवाब में, हिंदू मुनानी ने 4 फरवरी 2025 को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का आह्वान किया। संगठन ने तमिलनाडु के सभी हिंदुओं से अपील की कि वे इस्लामी तत्वों से पहाड़ी की पवित्रता को बचाने के लिए बड़ी संख्या में जुटें।

इससे पहले, 27 जनवरी 2025 को, एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मदुरई के जिला कलेक्टर से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर मुस्लिम समुदाय को भी समान पूजा का अधिकार दिया जाए। इस प्रतिनिधिमंडल में डीएमके, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, कम्युनिस्ट पार्टियां, विदुथलाई चिरुथाइकल काची, एमडीएमके और एआईएडीएमके के नेता शामिल थे। इसके अलावा, मुस्लिम संगठनों, चर्च समूहों और कुछ हिंदू-विरोधी संगठनों के सदस्य भी इस ज्ञापन का हिस्सा बने।

सुब्रमण्यम स्वामी का मुख्यमंत्री स्टालिन को पत्र

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने थिरुपरनकुंद्रम मुरुगन मंदिर के मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को एक पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर भगवान सुब्रमण्य स्वामी का मंदिर स्थित है, और वहीं एक अवैध मस्जिद बनाने की कोशिश की जा रही है।

सुब्रमण्यम स्वामी का मुख्यमंत्री स्टालिन को पत्र(1/2)

 

सुब्रमण्यम स्वामी का मुख्यमंत्री स्टालिन को पत्र(2/2)

सुब्रमण्यम स्वामी का मुख्यमंत्री स्टालिन को पत्र (2/2)सुब्रमण्यम स्वामी ने इस विषय पर 3 फरवरी 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “मैंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को अंग्रेजी और तमिल में एक पत्र भेजा है। इसमें मैंने राज्य पुलिस से अनुरोध किया है कि वे मदुरै जिले में मुस्लिम संगठनों को भगवान सुब्रमण्य स्वामी मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण करने और मंदिर के समीप अवैध मस्जिद निर्माण की कोशिशों को रोकें। मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री स्टालिन इस पर त्वरित कार्रवाई करेंगे।”

हिंदू मुनानी के प्रदर्शन को रोकने के प्रयास

3 फरवरी को, हिंदू मुनानी द्वारा घोषित प्रदर्शन के विरोध में “मठा नलने अमाइपुकल” नामक धार्मिक सौहार्द संगठन ने मदुरई जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि मुस्लिम समुदाय को थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर पूजा का अधिकार दिया जाए और हिंदू मुनानी के प्रदर्शन को रद्द किया जाए।

इस प्रदर्शन के दौरान, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के वंचीनाथन और तमिल नेशनल पीपल्स मूवमेंट के महासचिव मार्क्स डेनियल पांडियन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की। उन्होंने हिंदू मुनानी और बीजेपी के प्रदर्शन को रद्द करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। साथ ही, यह चेतावनी भी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे इसके खिलाफ काउंटर प्रदर्शन करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में मुस्लिम और चर्च संगठनों के कई सदस्य भी शामिल थे।

हाई कोर्ट ने हिंदू मुनानी के प्रदर्शन को दी अनुमति

हिंदू-विरोधी संगठनों द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे जाने के बाद, मदुरई के जिला कलेक्टर ने 3 और 4 फरवरी को सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित करने के लिए धारा 144 लागू कर दी। इसके साथ ही, हिंदू मुनानी के प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। पुलिस ने जिला सीमा पर हिंदू मुनानी के कार्यकर्ताओं के वाहनों को रोक दिया और कई हिंदू मुनानी तथा भाजपा नेताओं को घर में नजरबंद कर दिया।

इसके बाद, हिंदू मुनानी ने न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए प्रदर्शन की अनुमति के लिए मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच का रुख किया। हाई कोर्ट ने न्याय करते हुए प्रदर्शन की अनुमति दी, हालांकि यह प्रदर्शन मंदिर स्थल से पांच किलोमीटर दूर पलंगनाथम जंक्शन पर आयोजित करने का निर्देश दिया गया।

थिरुपरनकुंद्रम बचाने के लिए हिंदू मुनानी का विशाल प्रदर्शन

मद्रास हाई कोर्ट की अनुमति के बाद हिंदू मुनानी, भाजपा, विश्व हिंदू परिषद (VHP), और हजारों हिंदुओं ने थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर इस्लामी समूहों द्वारा कब्जे की कोशिशों के खिलाफ एक ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान “वेत्री वेल, वीरा वेल” और “भारत माता की जय” जैसे नारे गूंजते रहे, जो प्रदर्शनकारियों के जोश और एकता का प्रतीक बने। सोशल मीडिया पर इस प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हुए, जिनमें हिंदू समुदाय की अटूट प्रतिबद्धता और उनके दृढ़ संकल्प की जमकर सराहना की गई।

हिंदू मुनानी के प्रदर्शन पर डीएमके और इस्लामी संगठनों की प्रतिक्रिया

हिंदू मुनानी के प्रदर्शन की भारी सफलता और थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी के मुद्दे पर हिंदुओं की एकजुटता के बाद, डीएमके समर्थित समूहों और इस्लामी संगठनों ने मुख्यधारा और सोशल मीडिया पर एक झूठा अभियान शुरू कर दिया। इन संगठनों ने हिंदू मुनानी और भाजपा पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया।

इस बीच, एसडीपीआई और जमात समूह, जो इस पूरे विवाद के लिए जिम्मेदार हैं, सत्तारूढ़ डीएमके के समर्थन से घटनाओं का ठीकरा हिंदू संगठनों पर फोड़ने में जुट गए। डीएमके की सोशल मीडिया टीम और कुछ प्रभावशाली लोग इस प्रदर्शन को सांप्रदायिक सौहार्द्र को बाधित करने वाला बताकर एक विकृत कथा तैयार कर रहे हैं। हालांकि, हिंदू संगठनों ने इस आरोप को नकारते हुए इसे हिंदू विरोधी प्रोपेगेंडा करार दिया है।

 

 

 

 

 

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